भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। शहरी निकाय संस्था के एडिशनल चीफ सैकेट्री एसएन रॉय की ओर आज प्रात: ही आदेश आ गए कि गुरुग्राम-फरीदाबाद निगमों के डेपुटेशन पर लगे हुए कर्मचारी अपने विभागों में वापिस जाएं लेकिन सायं होते-होते आदेश आ गए कि सुबह का ऑर्डर रद्द किया जाता है। यही सवाल है।

शहरी निकाय मंत्री अनिल विज एक वर्ष से भी अधिक समय से कह रहे हैं कि निकाय में आए डेपुटेशन के कर्मचारियों को उनके विभाग में वापिस भेजा जाएगा लेकिन वह अब तक संभव नहीं हो पाया। इस पर अनेक लोग चुटकी भी लेते थे कि विज साहब तो यूं ही बोलते रहते हैं।

 आज आदेश आया तो उन लोगों की जुबान बंद हुई लेकिन जब सायं उसके रद्द होने का आदेश आया तो वह फिर और अधिक चहकने लगे कि कहा था न विज साहब कहते ही कहते हैं।

राजनीति में हर बात के अर्थ निकाले जाते हैं। कुछ राजनैतिक जानकारों से बात हुई तो उनका कहना था कि यदि डेपुटेशन के अधिकारी भेजने ही होते तो इतने समय से भेज दिए जाते लेकिन नहीं भेजे गए। इसके पीछे उनका कहना है कि मुख्यमंत्री इस फैसले से रजामंद नहीं हैं और इसीलिए यह बात आई-गई होती रही।

आज हुआ यह होगा कि विज साहब ने मौका देखकर आदेश जारी करा दिए लेकिन जब मुख्यमंत्री को इसका पता लगा तो मुख्यमंत्री ने कैंसिल करा दिए। बात कुछ जंचती भी है, क्योंकि यह तो संभव नहीं लगता कि जो व्यक्ति चीफ सैके्रट्री के पद पर आसीन है, वह गलती से इतने महत्वपूर्ण आदेश कर दे और फिर उन्हें रद्द कर दे। यह खेल तो मंत्रीमंडल में ही टकराव का लगता है।

 इस घटना से संभव है कि आने वाले समय में सरकार में इसका कुछ असर देखने को मिले। यह गलती अनिल विज मानेंगे कि उनकी गलती से आदेश जारी हुए और फिर उन्होंने वापिस लेने के निर्देश दिए या यह बात चीफ सैक्रेट्री पर डाल दी जाएगी या फिर खुलकर मुख्यमंत्री का उनके विभाग में दखल का आरोप लगाते हैं। देखिए होता है क्या।

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