1947 में आज के पाकिस्तान से विस्थापित होकर आया हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बसने वाला हर परिवार, व्यक्ति, नागरिक सच्चा देशभक्त हिन्दुस्तानी है, इस पर न तो पहले कोई विवाद था और न आज है। विद्रोही

रेवाड़ी, 5 जुलाई 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि भारत के बटवारे के बाद 1947 में आज के पाकिस्तान से विस्थापित होकर आया हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बसने वाला हर परिवार, व्यक्ति, नागरिक सच्चा देशभक्त हिन्दुस्तानी है, इस पर न तो पहले कोई विवाद था और न आज है। विद्रोही ने कहा कि जो भी इस मुद्दे तथ्यों को तरोड़-मरोड़ कर औच्छी राजनीति करते रहते है, वे केवल मीडिया में सुर्खियो पाने व असल समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसे मुद्दों को जान-बूझकर तूल देते है। हरियाणा में बसने वाला हर व्यक्ति चाहे वह बटवारे के समय पाकिस्तान से आया हिन्दुस्तानी नागरिक या देश के किसी भी राज्य से रोजी-रोटी की तलाश में प्रदेश में आकर बसा व्यक्ति-परिवार हो, सभी हरियाणवीं है। हरियाणा के आज के हर स्थायी निवासी के हकों की रक्षा करना और उसके सुख-दुख में शामिल होना प्रदेश सरकार व हरियाणवीं का नैतिक दायित्व है जिस पर किसी को पीछे नही हटना चाहिए। 

विद्रोही ने कहा कि विचारणीय विषय यह है कि खट्टर जी के नाम पर विवाद क्यों और किसलिए हुआ और इसके पीछे पृष्ठभूमि क्या है? इस मुद्दे को स्वयं भाजपा खट्टर सरकार ने हवा दी है। सवाल उठता है कि रोजी-रोटी के लिए वर्षो पूर्व आये बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के मजदूर जब फरीदाबाद में बसे, उनका राशनकार्ड, आधार कार्ड, मकान भी यहीं का है और बहुत से लोगों की पैदाईश भी हरियाणा की है तो फिर भाजपा सरकार का यह कहना कि खोटी फरीदाबाद की वन भूमि क्षेत्र में गैरकानूनी रूप से बसने वाले लगभग दस हजार परिवारों में से प्रदेश सरकार केवल हरियाणा के मूल 1400 परिवारों को ही विस्थापित होने पर वैकल्पिक रूप से बसाएगी, कैसे न्यायसंगत व तर्कसंगत है?

विद्रोहीे ने कहा कि खोटी-फरीदाबाद में वन क्षेत्र की भूमि पर मकान बनाकर रहने वालों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद वहां से हटाने के संदर्भ में मुख्यमंत्री खट्टर का स्वयं का बयान शर्मनाक व जवाबदेही से भागने वाला है। सवाल उठता है कि वर्षो पूर्व खोटी फरीदाबाद वन क्षेत्र में बसे देश के विभिन्न राज्यों से आये नागरिक हरियाणवीं कैसे नही है? हरियाणा में उनका वर्षो पूर्व राशनकार्ड, आधारकार्ड होने पर भी उन्हे हरियाणवीं नही मानकर क्या खट्टर जी स्वयं औच्छी राजनीति नही कर रहे है? जब मुख्यमंत्री स्वयं औच्छी राजनीति करे तो ठीक है और दूसरा कोई ऐसे ही शब्द मुख्यमंत्री के बारे में कहे तो गलत, यह दोहरा मापदंड जायज कैसे है? विद्रोही ने मांग की कि खोटी-फरीदाबाद में भू-माफियों के शिकार उन सभी लोगों को प्रदेश सरकार बसाये जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपना सबकुछ खोकर विस्थापित हो गए है। 

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