रमेश गोयत  

पंचकूला। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट से 150 किलो वजन वाले मरीज का सफल इलाज किया गया। इस केस स्टडी को, जो कि वाल्वुलर हृदय रोग के उपचार में एक नया माइलस्टोन है, को प्रकाशन के लिए यूरोपीय हार्ट जर्नल में भेजा गया है। डॉ. विवेका कुमार प्रिंसिपल डायरेक्टर व चीफ. कैथ लैब्स-कार्डियक साइंस (पैन मैक्स), मैक्स अस्पताल, साकेत ने जानकारी दी कि हरियाणा के 61 वर्षीय रोगी के एओर्टिक वाल्व में संकुचन, जिसे एओर्टिक स्टेनोसिस भी कहा जाता है, का पता चला था। उन्होंने कहा कि हार्ट का एओर्टिक वाल्व उचित दिशा में रक्त की मूवमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए इसके संकुचन के परिणामस्वरूप गड़बड़ी होती है जो संभावित रूप से जीवन के लिए खतरा है।

डॉ. विवेका कुमार ने कहा कि रोगी गुर्दे की विफलता से पीड़ित था और उनके दोनों गुर्दे काम नहीं कर रहे थे। इसके अतिरिक्त, रोगी को 4 साल पहले मस्तिष्क में स्ट्रोक और रक्तस्राव की समस्या भी  हुई थी। वह मधुमेह और मोटापे से भी पीड़ित थे। मरीज के जीवन के लिए तत्काल एओर्टिक वाल्व प्रतिस्थापन की आवश्यकता थी, लेकिन जोखिम कारकों के कारण, पेशेंट को सर्जरी के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया था।

डा.ॅ विवेका ने कहा कि इसलिए टीएवीआर या ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट के जरिए इलाज किया गया। टीएवीआर एक कैथेटर आधारित एंजियोप्लास्टी जैसी तकनीक है, जिसके दौरान डॉक्टर आमतौर पर ग्रोइन (शरीर का वह भाग जहाँ टाँगें मिलती है) की एक आर्टरी के माध्यम से कैथेटर द्वारा हार्ट तक पहुंचते हैं ताकि एक नया एओर्टिक वाल्व रोग ग्रस्त वाल्व के अंदर छाती को खोले बिना फिट किया जा सके।

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