केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने प्रोजेक्ट प्रबंधन में जीआईएस प्रौद्योगिकी के प्रयोग को सराहा.
जीआईएस प्रौद्योगिकी के प्रयोग से देश मे पहली बार होगा ऐसा सर्वेक्षण.
धरातल से 400 मीटर नीचे तक भू-जल की मैपिंग, हेलीबोर्न सर्वे एक वर्ष में पूरा

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । 
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने (जीएमडीए) द्वारा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की और कहा कि इस तकनीक का उपयोग करके हरियाणा और राजस्थान राज्यों में हाई रेजोल्यूशन एक्विफर मैपिंग के लिए हेलीबोर्न सर्वेक्षण करवाया जाएगा। देश में पहली बार ऐसा सर्वेक्षण होगा, जो धरातल से 400 मीटर नीचे तक भू-जल की मैपिंग करेगा। यह हेलीबोर्न सर्वे एक साल में पूरा किया जाएगा।

गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) का गठन करने और इसमें  जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के वीजन की सराहना करते हुए,  शेखावत ने कहा कि जीआईएस प्रौद्योगिकी पानी के क्षेत्र में काम करने वाले सभी हितधारकों को एक मंच प्रदान कर सकती है और उनके समन्वित प्रयास पूरे देश के लिए लाभदायक साबित होंगे। शेखावत ने ‘वन मैप गुरुग्राम पोर्टल’  की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘पोर्टल’ बनाने की इच्छा जाहिर की और कहा कि जीएमडीए के अधिकारीगण इस कार्य में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि इस तरह के डेटाबेस को बनाने के लिए आवश्यक खर्च  जलशक्ति मंत्रालय वहन करेगा, जीएमडीए को केवल सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सुविधा प्रदान करने के साथ परिकल्पना देनी होगी और हरसैक क्षमता निर्माण में सहयोग दे।

उन्होंने हरियाणा को ‘हर घर जल’ के लक्ष्य की ओर बढ़ने में अच्छा काम करने के लिए बधाई दी। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 95 प्रतिशत घरों में अब पाइप से पानी पहुंचाया जा रहा है। हरियाणा के भिवानी और सोनीपत जिले ‘हर घर जल’ जिले बन चुके हैं। भिवानी जिले के 1.67 लाख से अधिक और सोनीपत जिला में 2 लाख से अधिक घरों को नल के पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री शेखावत के साथ गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) कार्यालय परिसर में जीआईएस डिवीजन के दौरे के दौरान जलशक्ति राज्य मंत्री और अंबाला (हरियाणा) से सांसद रतन लाल कटारिया भी थे। दोनो मंत्रियों ने प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बातचीत की और जल संसाधन प्रबंधन में जीआईएस प्रौद्योगिकी की क्षमता का जायजा लिया। एक प्रस्तुति के माध्यम से शेखावत ने देखा कि चल रही विभिन्न परियोजनाओं के प्रबंधन में उन्नत जीआईएस तकनीक का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है। उन्होंने भूजल, सतही जल, जल निकासी, तालाब आदि जैसे उपलब्ध राज्य व्यापी घटकों का डेटा बनाने में जीएमडीए के जीआईएस डिवीजन द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि यह डाटा ‘राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र’ (एनडब्ल्यूआईसी) के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के समान एन डब्ल्यू आई सी बनाया गया है।

जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए जीआईएस इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे जीआईएस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजीज जीएमडीए में परियोजनाओं की बेहतर योजना और प्रबंधन में प्राधिकरण की मदद कर रही हैं। उन्होंने जीएमडीए द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों की भी जानकारी दी। जीएमडीए के प्रमुख जीआईएस और हरसैक के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुल्तान सिंह ने हरियाणा में राज्य स्तर पर भूजल, सतही जल, जल निकासी, नहर नेटवर्क, तालाबों, जल संचयन संरचना सहित उपलब्ध जल बुनियादी ढांचे से संबंधित विकसित जीआईएस डेटाबेस और एप्लिकेशन्स का प्रदर्शन किया। पानी का यह डेटा जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सैटेलाइट से एकत्र किया गया है, जिसे अब ‘वन मैप पोर्टल’ पर उपलब्ध करवाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि जल शक्ति अभियान, हरियाणा तालाब प्राधिकरण, हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन) प्राधिकरण अधिनियम 2020 के अंतर्गत काम करने वाले विभिन्न हितधारकों के लिए सभी प्रकार के पानी के बारे में उपलब्ध सूचनाएं बहुत उपयोगी है। जल संसाधन की इस सूचना का उपयोग हरियाणा राज्य में जल संसाधन प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।

बैठक में हरियाणा के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह, हरियाणा जल संसाधन के अध्यक्ष एवं हरियाणा सरकार की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा, निदेशक हरसैक डॉ. वी.एस. आर्य, हरियाणा तालाब प्राधिकरण के कार्यकारी उपाध्यक्ष. प्रभाकर कुमार वर्मा, गुरूग्राम के उपायुक्त डा. यश गर्ग, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता श्री. सतबीर सिंह कादियान आदि शामिल थे।

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