भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रदेश है। बड़े बुजुर्ग बड़ी-बड़ी सीख इन लोकोक्तियों और मुहावरों से सरलता से दे देते हैं। आज यही बात याद आई समाचार पढ़ कि मुख्यमंत्री ने ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के पोर्टल का उद्घाटन किया। 

मुख्यमंत्री यूं तो सारे प्रदेश के मालिक कहलाए जाते हैं परंतु सरकार चलाने के लिए कुछ नियम-कायदे भी बनाए गए हैं। हर विभाग के मंत्री अलग-अलग बनाए जाते हैं। मेरे विचार से हर विभाग के लिए मंत्री इसलिए अलग-अलग बनाए जाते हैं, ताकि वे अपने विभाग का कार्य भली प्रकार देख सकें। उसमें जो कमियां उन्हें सुधार सकें। सुधार की योजनाएं बना सकें।

आज मुख्यमंत्री ने शहरी निकाय के पोर्टल का उद्घाटन किया, जिसमें शहरी निकाय मंत्री कहीं दिखाई ही नहीं दिए, कुछ अजीब सा लगा। तभी यह कहावत आई। वर्तमान में हरियाणा के अनेक शहरी निकाय संस्थानों अर्थात नगर परिषद और नगर निगमों में भ्रष्टाचार के समाचार आ रहे हैं तो क्या उसके लिए भी मुख्यमंत्री जवाब देंगे? क्या मुख्यमंत्री उन निकायों और निगमों पर जांच बैठाएंगे? या इस काम का जिम्मा शहरी निकाय मंत्री स्वयंभू गब्बर अनिल विज को सौंपेंगे? ऐसे ही प्रश्न दिमाग में आते हैं। ऐसा इस एक विभाग के साथ नहीं लगभग हर विभाग में ही देखा जाता है।

आज का दूसरा समाचार गृहमंत्री अनिल विज दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर उनके पंजाब में दिए हुए वक्तव्य पर बरसे। इसके साथ ही वह राहुल गांधी, अभय चौटाला आदि-आदि पर भी बरसे। मन में प्रश्न उठा कि क्या हमारे गृह, स्वास्थ, आयुष, निकाय आदि महकमों के मंत्री का यही काम है कि वह विपक्ष के नेताओं पर बरसते रहें?

इस समय प्रदेश में किसानों ने टोल नाकों पर कब्जा किया हुआ है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्री इन क्षेत्रों में कार्यक्रम नहीं कर पाए। कानून व्यवस्था बिगड़ रही है, अनेक घोटाले चर्चा में हैं। इन विषयों पर गृहमंत्री अनिल विज कहीं बरसते नहीं नजर आए। 

वर्तमान में कोरोना महामारी में स्वास्थ्य विभाग की सबसे अधिक भूमिका है। ऐसे समय में निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को लूटना जारी रहा। पंचकूला में तो उपायुक्त के प्रयास से कुछ मरीजों को निजी अस्पतालों द्वारा अधिक लिए गए पैसे वापिस किए गए बाकी हरियाणा में क्या हुआ।

गुरुग्राम मैडिकल हब बनने की ओर अग्रसर है लेकिन निजी अस्पतालों की लूट भी नई ऊंचाइयां छू रही है। कोरोना काल में भाजपा के पदाधिकारी भी इन अस्पतालों में लूट का शिकार बने। क्या हमारे स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुग्राम के अधिकारियों से यह जानना चाहा कि यह लूट क्यों हो रही है, इसके जिम्मेदार कौन हैं? मरीजों के हितार्थ क्या कार्य किए, इनका जवाब देना तो गृहमंत्री को बनता है।

गुरुग्राम का नगर निगम भी अनेक घोटालों में घिरा हुआ है। नकली दस्तखत कर पेमेंट ले ली जाती है, बिना काम पेमेंट ले ली जाती है, उन पर एफआईआर दर्ज होने की बजाय विभागीय जांच में दोषमुक्त कर दिया जाता है, इसका जवाब कौन देगा विज साहब।

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