पंचकूला ,28 जून। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने ठेकेदारों पर ठेका कर्मियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए ठेका सिस्टम को बंद करने और ठेका कर्मियों को सीधे विभागों के पे रोल पर लेने व पक्का करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री ने भी आउटसोर्सिंग पालिसी में भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर ठेका प्रथा को समाप्त करने क आवाज उठाई है। इससे सकसं हरियाणा द्वारा लगातार लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि हुई है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि बताया कि ठेकेदार विभागों से निर्धारित रेट के हिसाब से वेतन क्लेम करते हैं और कर्मचारियों को पूरे वेतन का भुगतान नहीं करते हैं। साल में जब ठेका बदल जाने पर नया ठेकेदार आता है तो वह नौकरी पर रखने के नाम पर 50 से 80 हजार तक अवैध तरीके से ठेका कर्मचारियों से वसूलता है और अनुबंध से कम कर्मचारियों को रखता है और क्लेम ज्यादा का करता है। कुछ ठेकेदार तो एकाउंट में पूरा पैसा डालकर ठेका कर्मियों से वेतन का आधा हिस्सा वापस नकद वसूल रहे हैं और विभागों से ईपीएफ व ईएसआई की राशि को ठेका कर्मियों के खातों में डालने की बजाय स्वयं ही डकार जाते हैं। इसकी पुष्टि कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग द्वारा कराई गई जांच में हुई है।

उन्होंने कहा कि पूरा वेतन दिलवाने, ईपीएफ व ईएसआईसी की कटौती की गई राशि को खातों डलवाने की कानूनी ड्यूटी प्रिंसिपल एम्पलायर की होती है। उनकी ठेकेदारों से मिलीभगत होती है। सरकारी संरक्षण प्राप्त ठेकेदार अब इतने ताकतवर हो गए हैं कि वह अब विभागीय मंत्रियों व आला अधिकारियों के आदेशों तक को ठेंगा दिखा रहे हैं।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के नेताओं ने बताया कि जो ठेका कर्मचारी ठेकेदारों के शोषण व गुंडागर्दी के खिलाफ संगठित होकर आवाज उठाते हैं तो उन्हें प्रिंसिपल एम्पलायर की मदद से झुठे आरोप लगवा कर नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है। अब तो ठेकेदारों ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले कर्मचारियों को दुर दराज बदली करने का नया औजार भी चलाना शुरू कर दिया है। सरकार ने ठेकेदारों को अब एक नया औजार और दे दिया है। सरकार ने अब वर्क को आउटसोर्स करना शुरू कर दिया है। उसमें ठेकेदार मजदूरों को न तो डीसी रेट देते और ना ही किसी श्रम कानून को मानने को तैयार है। प्रिंसिपल एम्पलायर भी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह तो वर्क आउटसोर्स का ठेका है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। जबकि क़ानून यह बिल्कुल ग़लत है।

उन्होंने कहा सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने समय-समय पर माननीय मुख्यमंत्री को सुझाव दिए है कि आउटसोर्सिंग पोलसी कर्मचारी व सरकार दोनों के हित मे नही है। परंतु सरकार शोषण पर आधारित और भ्रष्टचार की जननी इस ठेका प्रथा को खत्म करने के प्रति गम्भीर नही है। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि लगातार ठेकेदारों द्वारा श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। समय पर वेतन तक का भुगतान नही होता है। भ्रष्टचार के आरोप सिद्ध होने के बावजूद अधिकारी ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर पा रहे है। श्रम कानूनों को लागू करवाने के लिए कर्मचारियों को आंदोलन  के लिए मजबूर किया जा रहा है।  

प्रदेशाध्यक्ष लांबा व महासचिव सेठी ने बताया कि भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में आउटसोर्सिंग की पालिसी बनाई थी। जिसके अनुसार स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध लगने वाले ठेका कर्मचारी आउटसोर्सिंग पालिसी 2 में होंगे और उनका सीधा कंट्रेक्ट विभागों के साथ होगा। यानी ठेकेदार बीच में नहीं होगा। आउटसोर्सिंग पालिसी 1 में उन कर्मचारियों को रखा जाएगा, जहां पद स्वीकृत नहीं है, लेकिन काम है। इस काम के लिए मेन पावर के ठेकेदारों से ठेका कर्मचारियों को लिया जाएगा। ठेका कर्मचारियों के वेतन, ईपीएफ व ईएसआईसी का पैसा उनके सीधे खातों में डालने के लिए एस्क्रो एकाउंट खोलने की शर्त भी पालिसी में लगाई थी। 

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