हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि आरटीआई में हुए खुलासे के बाद अब हरियाणा सरकार से मांग की जाएगी कि फरीदाबाद के सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की,आमदनी व खर्च की जांच सीएजी से कराई जाए. मांग पूरी ना होने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लिया जाएगा.

फरीदाबाद. कोरोना महामारी के दौरान स्‍कूलों की ओर से मांगी जा रही पूरी फीस के बजाय सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के लिए अभिभावक लंबे समय से मांग कर रहे हैं साथ ही सरकार सेब स्‍कूलों की बैलेंस शीट की भी जांच करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अब हरियाणा के अभिभावक एकता मंच की ओर से डाली गई आरटीआई में प्राइवेट स्‍कूलों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

हरियाणा शिक्षा मंत्री को मंच की ओर से दी गई शिकायत में भी कई बार कहा गया है कि   प्राइवेट स्कूल प्रबंधक खासकर सीबीएसई स्‍कूलों वाले लाभ में होते हुए भी हर साल ट्यूशन फीस और अन्य फंडों में वृद्धि करके अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलते हैं. मंच ने आरोप लगाया है कि स्कूल प्रबंधक पेरेंट्स से वसूली गई फीस का इस्तेमाल निजी या अपने अन्य संस्थानों पर खर्च करके करते हैं. हालांकि अब आरटीआई में स्‍कूलों के खर्च को लेकर नई बात सामने आई है.

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित अवधि 31मार्च 2021 तक सीबीएसई के 150 स्कूलों में से सिर्फ 88 ने फार्म 6 जमा कराया है जिसमें से 44 ने बैलेंस शीट लगाई है. उसी प्रकार हरियाणा बोर्ड के 350 स्कूलों में से सिर्फ 20 स्कूलों ने फॉर्म 6 जमा कराया है उसमें से भी 10 ने बैलेंस शीट लगाई है. ऐसे में कुल 500 स्‍कूलों में से सिर्फ 54 स्‍कूलों ने अपने खर्च का ब्‍यौरा सरकार को सौंपा है. जबकि बाकी स्‍कूल इस मामले पर चुप्‍पी साधे हुए हैं.

मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा और प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आरटीआई लगाकर सीबीएसई व हरियाणा बोर्ड के उन सभी प्राइवेट स्कूलों की सूची मांगी गई थी जिन्होंने पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ फार्म 6 जमा कराया है. जिसका जवाब अब मिला है.

इसके अलावा मंच ने अलग से सीबीएसई के 36 बड़े प्राइवेट स्कूलों द्वारा पिछले 3 सालों में बैलेंस शीट के साथ जमा कराए गए फार्म 6 की फोटोकॉपी भी मांगी थी. आरटीआई में बताया गया कि इनमें डीएवी, मानव रचना, सेंट थॉमस, तक्षशिला,डीपीएस, आदि स्‍कूल और उनकी कई ब्रांच शामिल हैं. इन्‍होंने आधी-अधूरी बैलेंस शीट और फॉर्म 6 जमा  कराया है. जबकि रेयान, ग्रैंड कोलंबस, डीएवी और एनआईटी सहित कई स्‍कूलों ने फॉर्म 6 और बैलेंस शीट जमा नहीं कराई है.

मंच ने लगाए स्‍कूलों पर आरोप

इस बारे में मंच के पदाधिकारी कैलाश शर्मा ने कहा कि कई स्‍कूलों की उपलब्ध बैलेंस शीट की जांच व पड़ताल मंच के वरिष्ठ सलाहकार सतीश मित्तल सीए से कराई गई है. जिसमें पता चला है कि स्कूल प्रबंधकों ने लगभग आमदनी दिखाई है. साथ ही ट्यूशन फीस के अलावा अन्य जिन गैर कानूनी फंडों में फीस वसूली गई है उन फंडों का नाम और उनमें वसूली गई फीस का जिक्र नहीं किया गया है.

शर्मा ने कहा कि जांच में पाया गया कि खर्चों में कई मदों जैसे एडवरटाइजमेंट, लीगल, एनुअल फंक्शन, किताब कॉपी बेचने, वेलफेयर मनोरंजन, डोनेशन, दिवाली खर्चा, टूर एंड ट्रैवल, प्लॉट व जमीन खरीदने आदि पर लाखों का खर्च दिखाया है जो पूरी तरह से गैरकानूनी है. इसके अलावा आमदनी व खर्च बराबर करने के लिए जो पैसा लाखों में लाभ के रूप में बचा उसे अन्‍य खर्चों पर दिखा दिया गया है.

मंच की ओर से आरोप लगाया गया कि यह बात भी पकड़ में आई है कि लाभ के पैसे को अपने अन्य संस्थानों में ट्रांसफर किया गया है. जितने अध्यापक व कर्मचारियों के नाम व उनको दी गई सैलरी दिखाई हैं उसमें भी हेराफेरी की गई है. बिना कार्यरत अध्यापक व कर्मचारियों के नाम दर्शाए गए हैं. जितनी सैलरी उनके नाम के आगे दिखाई गई है वास्तव में वह उनको दी ही नहीं गई है.

स्‍कूलों के खिलाफ कोर्ट जाएंगे अभिभावक

मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि डीपीएस, ग्रैंड कोलंबस, मॉडर्न डीपीएस, जीवा, मानव रचना आदि स्‍कूलों की बैलेंस शीट प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है. मंच का लीगल व ऑडिट सेल सभी बैलेंस शीट का बारीकी से अध्ययन कर रहा है. जांच पड़ताल हो जाने के बाद सबसे पहले हरियाणा सरकार से मांग की जाएगी कि इन सभी स्कूलों के साथ साथ फरीदाबाद के अन्य सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 5 साल के खातों की,आमदनी व खर्च की जांच सीएजी से कराई जाए. मांग पूरी ना होने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लिया जाएगा.

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