तीनो काले कानून रद्द करने की मांग पर  किसानों का किया समर्थन 
भाकियू प्रधान गुरनाम चढूनी व किसान जथेबंदियो ने चंद्रमोहन का किया आभार प्रकट,खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने व एमएसपी की मांग को लेकर राजभवन तक गए किसान

पंचकूला। तीन कृषि काले कानूनों के विरोध में 7 माह से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने अब खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने व एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन देने के लिए हजारों की संख्या में राजभवन तक पैदल मार्च किया। पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कांग्रेस के सेकड़ो साथियो के साथ अपने निवास स्थान पर किसान जथेबंदियो का स्वागत किया।इसके साथ ही 7 हजार से ज्यादा लस्सी पैकेट्स समेत जलपान का भी कार्यक्रम कर किसानों को कांग्रेस पार्टी की तरफ से पूरा समर्थन देने के लिए आश्वस्त किया। भाकियू प्रधान गुरनाम चढूनी के साथ अभिमन्यु पुहाड, सोनिया मान, मलकीत सिंह, अमरजीत सिंह समेत हजारो किसानों ने पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन का आभार प्रकट किया।

पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा पिछले सात महीने से भारत सरकार ने किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए के लोकतंत्र की हर मर्यादा की धज्जियां उड़ाई हैं।इस आंदोलन में अब तक 500 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके है।किसानो ने प्रदेश में लंबित पड़े 80 हजार से ज्यादा ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शनों को देने समेत बिजली सम्बंधित समस्याओ को भी आंदोलन में प्रमुखता से रखा। चंद्रमोहन ने कहा कि मोदी सरकार ने तीन ऐसे काले कानून बनाए जो किसानों की नस्लों और फसलों को बर्बाद कर देंगे, जो खेती को किसान के हाथ से छीनकर कंपनियों की मुठ्ठी में सौंप देंगे। ऊपर से पराली जलाने पर दंड और बिजली कानून के मसौदे की तलवार भी किसानों की सर पर लटका दी।

खेती के तीनों कानून असंवैधानिक हैं क्योंकि केंद्र सरकार को कृषि मंडी के बारे में कानून बनाने का अधिकार ही नहीं है। यह कानून अलोकतांत्रिक भी हैं। इन्हें बनाने से पहले किसानों से कोई राय मशवरा नहीं किया गया। इन कानूनों को बिना किसी जरूरत के अध्यादेश के माध्यम से चोर दरवाजे से लागू किया गया। इन्हें संसदीय समितियों के पास भेज कर जरूरी चर्चा नहीं हुई और तो और इन्हें पास करते वक्त राज्यसभा में वोटिंग तक नहीं करवाई गई। हमने उम्मीद की थी कि बाबासाहेब द्वारा बनाए संविधान के पहले सिपाही होने के नाते आप ऐसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और किसान विरोधी कानूनों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देंगे। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।चंद्रमोहन ने किसान आंदोलन के माध्यम से यह भी मांग की है कि किसान को स्वामीनाथन कमीशन के फार्मूले (सी2+50%) के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी पूरी फसल की खरीद की गारंटी मिल जाए।

चंद्रमोहन ने कहा कि बिजली की बड़ी लाइनों के टावर (पोल) जो किसानों के खेतो में लगाए जाते है उस की वजह से जो खेत की जमीन खराब होती है व उस जमीन की कीमत बहुत ज्यादा घट जाती है इसलिए जिस खेत में बिजली का टावर लगाया जाए उस खेत वाले किसान को 15 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए तथा जिस खेत के ऊपर से बड़ी लाइन की तारे गुजरे उस खेत का 5 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा व 20 हजार रुपए हर साल का ठेका दिया जाए ताकि किसान की जमीन व फसल की भरपाई हो सके इन लाइनों के मुआवजे के लिए सरकारी पोलसी बनाई जाए।

इसके साथ ही विभाग की शर्त अनुसार टयुवबैल कनेक्शनों जारी करने को लेकर विभाग द्वारा चिन्हित कंपनियों की मोटरे खरीदने की लगाई है वह सरासर गलत है क्योंकि किसानो को बाहर बाजार से उसी क्वालिटी की मोटर सस्ती दरों पर मिलती हैं यह शर्त वापिस ली जानी चाहिए ताकि किसान बाहर से मोटर खरीद सके।

चंद्रमोहन ने  कहा कि जहां पर ट्रांसफार्मर पहले से ही लगा हुआ है और किसान को नये टयुवबैल कनेक्शन के लिए उस पुराने ट्रांसफार्मर का शेयर भी भरने के लिए किसान को मजबूर किया जा रहा है जोकि गलत है यह शेयर प्रत्येक कनेक्शन लगभग 15 से 20 हजार रुपये किसान पर अतिरिक्त पड़ेगा जो की पूरी तरह से गलत है यह वापस लिया जाना चाहिए।

बिजली विभाग द्वारा नए टयुवबैल कनेक्शनों को लगाने का ठेका किसी प्राइवेट कंपनी को दिया गया है जिस कारण से नए कनेक्शन लगाने में बेहद देरी हो रही है जबकि विभाग को यह कार्य खुद शीघ्र अति शीघ्र करना चाहिए।  डार्कजोन एरिया में किसानों को मोटरों के कनेक्शनों के लोड बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए ।

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