-कमलेश भारतीय
मनोविज्ञान से खुद को समझने का और दूसरों की मदद करने का अवसर मिलता है । यह कहना है गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष व चीफ हाॅस्टल वार्डन प्रो राकेश बहमनी का । मूल रूप से महम निवासी प्रोफेसर राकेश बहमनी का कहना है कि उनके पिताजी स्वर्गीय श्री सूबे सिंह बहमनी हरियाणा सचिवालय चंडीगढ़ में कार्यरत थे जिनके चलते हम सभी भाई बहनों को चंडीगढ़ तथा पंचकूला में शिक्षा पाने का अवसर मिला । पूरे तेईस साल वहीं बिताये । ग्रेजुएशन की पंचकूला के गवर्नमेंट काॅलेज से और मनोविज्ञान की डिग्री ली पंजाब विश्विद्यालय चंडीगढ़ से और पीएचडी भी वहीं प्रोफेसर विश्व विजय उपमन्यु जी के निर्देशन में कर रहा था कि गुजवि में सन् 2001 में मनोविज्ञान विभाग में नौकरी लग गयी । इसलिए पीएचडी पूरी की प्रो संदीप राणा जी के निर्देशन में ।
-काॅलेज के समय किन गतिविधियों में रूचि रही ?
-एन एस एस में रहा पांचों वर्ष । इसके अतिरिक्त डांस में भी प्रतिभागी रहता था ।
-विभाग के अध्यक्ष के अतिरिक्त कोई और जिम्मेवारी?
-चीफ हाॅस्टल वार्डन भी हूं और हाॅस्टल में सांस्कृतिक संध्याओं के आयोजन की शुरूआत की है ।
-कोई और शौक ?
-पर्वतारोहण । पिछले वर्ष हम साथी प्रोफेसरों के साथ हैम्पटा पास गये थे ।
-मनोविज्ञान में रूचि कैसे ?
-सच्ची बात ये है कि पहले तो एक दोस्त के कहने पर ही यह विषय लिया था, लेकिन पंचकूला के उस काॅलेज के अध्यापक श्री राकेश गोयल जी ने मेरी रूचि बढ़ा दी । इसी विषय में आगे बढ़ने का फैसला किया ।
-क्या काम करता है मनोविज्ञान हमारे जीवन में ?
-पहले हम खुद को समझकर अच्छा बनाते है और फिर हम दूसरों की मदद कर पाते हैं ।
-परिवार?
-पत्नी डाॅ सुमन और यहीं एमबीए से मार्केटिंग मैनेजमेंट में पीएचडी हैं और दो बेटे । बड़ा बेटा लक्षित अभी बारहवीं पास की है और छोटा सिद्धार्थ सातवीं में ।
-लक्ष्य ?
-मनोविज्ञान से दूसरों की मदद करता रह सकूं ।
हमारी शुभकामनाएं प्रो राकेश बहमनी को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9896271775