6 मई को भी इसी मिल के साथ बिनौला-खल गोदाम में लगी आग.
बुधवार दोपहर मिल-गोदाम की लगी रात करीब 8 बजे किया शांत.
करीब एक दर्जन से अधिक फायर ब्रिगेड गाड़ियां मौके पर पहुंची.
मिल में आग से किसी प्रकार के जानी नुकसान की नहीं सूचना

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।  पटौदी क्षेत्र में  एक काॅटन फीड डायल मिल में फिर से अचानक आग लग गई । सूत्रों के मुताबिक हाल ही के दिनों में सालासर आयल मिल में आगजनी की यह दूसरी घटना कथित रहस्य बन गई है। आग इतनी भयंकर और भयावह थी कि मिल के साथ ही यहां परिसर में ही गोदाम सुलगती आग में पूरी तरह से लाल ही लाल दिखार्द दिया।  आग पर काबू पाने के लिए करीब एक दर्जन से अधिक फायर ब्रिगेड की गाड़ियों और फायर कर्मचारियों को दोपहर से लेकर दिन ढ़ले रात तक मशक्कत करनी पड़ी । गनीमत यही रही कि जिस समयं आगजनी की यह घटना हुई मौके पर कोई भी कर्मचारी अथवा मजदूर काम करने के लिए मौजूद नहीं था। बताया गया है कि जिस समय आग लगी यहां के कर्मचारी भोजनावकाश के लिए निकल चुके थे।

सूत्रों के मुताबिक बीती 6 मई को भी इसी मिल के साथ बने बिनौला-खल के गोदाम में अचानक से आग लग गई थी। तब भी यहां भड़की आग पर काबू पाने के लिए 5-6 फायर बिग्रेड की 5-6 गाड़ियों सहित फायर कर्मियों को मशक्त करनी पड़ी, करीब 5-6 घंटे के बाद ही गोदाम में भड़की आग पर काबू पाया जा सका था। मई के बाद अब 23 जून को फिर से लगी आग के कारण सवाल खड़े होना स्वभाविक है कि, संचालकों सहित अधिकारियों के द्वारा क्या और किस प्रकार के आगजनी से बचाव के अतिरिक्त प्रंबध किये गए ?

जानकारी के मुताबिक पटौदी और बिलासपुर के बीच में स्थित जय श्री फर्टिलाइजर एवं केमिकल फैक्ट्री परिसर के ही पीछे लगभग 10000 वर्ग फुट क्षेत्रफल में सालासर आयल मिल के नाम से एक फैक्ट्री और यहीं पर ही गोदाम भी स्थित है । सूत्रों के मुताबिक यहां पर कपास से बिनौला अलग करके कथित रूप से ऑयल निकालने के साथ-साथ रुई को अलग कर बिनौला की खल भी बनाने का काम किया जाता है । मौके पर मिले सालासर आयल मिल के मैनेजर आदित्य के द्वारा किये गए दावे के मुताबिक  जो आगजनी की घटना हुई , उसके पीछे मोटर में स्पार्किंग होना बताया गया । जिसकी वजह से वहां फैक्ट्री परिसर में रखे बिनोले , रूई , बिनौला की खल सहित बोरों में आग सुलग उठी। आग उगलते सूरज की तपिश और गर्मी के कारण देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। हालांकि सालासर आयल मिल के प्रबंधकों के द्वारा दावा किया जा रहा है कि आग सामान्य रूप से ही लगी और फैली।

लेकिन मौके पर जो हालात देखे गए वह दिल दहलाने वाले महसूस किए गए । सूत्रों के मुताबिक बुधवार को सालासर आयल मिल परिसर मैं दोपहर के समय लगभग सवा एक बजे के आसपास अचानक से आग लग गई । उस समय कोई भी कर्मचारी अथवा मजदूर उस क्षेत्र में मौजूद नहीं था , जिस जगह पर मोटर में स्पार्किंग होने से आग लगना बताया गया है । संभवत यही कारण रहा कि आग चुपचाप लेकिन बहुत तेजी से बेकाबू होकर फैलती चली गई । मौके पर कवरेज के लिए पहुंचने पर देखा गया कि चार फायर ब्रिगेड की गाड़ियां और फायर कर्मचारी आग बुझाने की मशक्कत में जुटे हुए थे । काॅटन फीड आयल मिल परिसर में अधिकारी वर्ग के लिए बैठने और काम करने वाला केबिन भी आग की भेंट चढ़ चुका था। आग की तपिश और भभक सहित धंुआ इतना भयंकर तरीके से फैला हुआ था कि आंखों में तेज जलन के साथ-साथ सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था ।

आग पर जल्दी से जल्दी काबू पाने के लिए फायर विभाग के ही कर्मचारियों के द्वारा संबंधित आयल मिल के एक तरफ की लोहे की चादर गैस कटर के साथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ गया। जिससे कि मिल परिसर क्षेत्र में तेजी से सुलग रहे बिनौले ,रूई और खाली बोरों को पानी डालकर सुलग रही आग को जल्द से जल्द शांत किया जा सके । बिनौले से ऑयल निकालने वाला कोल्हू सहित अन्य उपकरण भी आग की चपेट में आने से एक तरह से नकारा हो गए । जानकारी के मुताबिक सालासर आयल मिल में दोपहर करीब सवा एक बजे लगी आग को दिन ढले रात करीब  8 बजे तक शांत किया जा सका  और तब तक फायर विभाग के कर्मचारी आग को पूरी तरह से शांत करने में जुटे हुए थे।

सूत्रों के मुताबिक यहां मिल परिसर के साथ ही कथित रूप से गोदाम भी मौजूद है और यह गोदाम व्यापारियों की खरीद-फरोख्त की बिनौला की खल व बिनौला के रखने के लिए उपलब्ध है। बहरहाल सबसे बड़ी राहत की बात यही है कि यहां आगजनी की घटना में किसी भी प्रकार के जानी नुकसान की सूचना नहीं है । आगजनी के घटना स्थल का फायर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा भी मुआयना किया गया। सूत्रों के मुताबिक जिस परिसर में आग लगी वह 10 हजार वर्ग फीट सालासर आयल मिल संचानकों के द्वारा किराये पर लिया हुआ है।

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