महिला आयोग की अनुशंसा के बाद दिवाली से पूर्व आरोपी एसपी का अंबाला रेलवे एसपी के रूप में तबादला, मिठाइयां बंटने की सूचना आरोपी डीएसपी और महिला थाना प्रभारी का भी तबादला क्यों नहीं? यूट्यूब पर के खिलाफ जांच तेज, महिला पुलिसकर्मी यौन शोषण मामले में मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन हरियाणा पुलिस संगठन का लीपापोती का आरोप अशोक कुमार कौशिक हरियाणा के जींद में महिला थाने के कर्मचारियों में अजीब तरह का तनाव है। चार महिला पुलिसकर्मी कमरे के एक कोने में बैठी हैं और धीमी आवाज़ में एक पत्र के बारे में चर्चा कर रही हैं, जिसने मुख्यमंत्री कार्यालय में खतरे की घंटी बजा दी है। पत्र में जींद के तत्कालीन एसपी सुमित कुमार पर सात महिला पुलिसकर्मियों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है। दिवाली से पूर्व उनका तबादला रेलवे अंबाला पुलिस अधीक्षक के तौर पर कर दिया गया है। महिला पुलिसकर्मी यौन शोषण मामले में जन संघर्ष मंच ने सीएम के नाम ज्ञापन दिया है जिसमें उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, गृह मंत्रालय, डीजीपी और अन्य शीर्ष अधिकारियों को संबोधित इस पत्र में डीएसपी गीतिका झाकड़ और जींद महिला थाने की एसएचओ मुकेश रानी पर उत्पीड़न को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। एसपी कार्यालय से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर स्थित पुलिस स्टेशन से बाहर निकलते समय एक महिला पुलिस अधिकारी ने कहा, “पत्र वायरल होने के बाद पूरा थाना एकदम शांत हो गया है। जांच चल रही है, लेकिन अभी तक कोई भी आगे नहीं आया है। हर कोई डरा हुआ है – इस बारे में बात करने से भी डरता है।” ईमेल शिकायत की कहानी ने जींद के अधिकारियों में हलचल मचा दी है, लेकिन एक बात पर सभी सहमत हैं – आरोपी और महिला पुलिस अधिकारी दोनों आरोपी अधिकारियों ने आरोपों से इनकार किया है और पत्र को उन्हें बदनाम करने की साजिश बताया है। एसएचओ मुकेश रानी ने एक स्थानीय सोशल मीडिया चैनल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चैनल ने अपनी रिपोर्टिंग में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और पुलिस की छवि खराब की है। शिकायत पत्र में जिन महिला पुलिसकर्मियों के नाम हैं, उन्होंने भी अपने नाम पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। नाम न बताने की शर्त पर पुलिस विभाग के एक पुरुष अधिकारी ने बताया, “पिछले कुछ महीनों में हरियाणा में विश्वविद्यालयों, स्कूलों या पुलिस थानों में यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाले कई ऐसे ही पत्र वायरल हुए हैं।” हरियाणा में पिछले कुछ सालों में ताकतवर लोगों के खिलाफ आरोप लगाने वाले गुमनाम पत्र अक्सर सामने आते रहे हैं। जींद के एक पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल के हाथों कथित उत्पीड़न के मामले में, जिला अधिकारियों को लिखे गए पत्रों ने ही चिंता बढ़ाई। हालांकि, सिरसा विश्वविद्यालय मामले में जांच में काफी संसाधन खर्च हुए, लेकिन यह पता चला कि आरोप एक प्रतिद्वंद्वी प्रोफेसर द्वारा गढ़े गए थे। पुलिस ने आरोपों को निराधार मानने से पहले 500 विश्वविद्यालय छात्रों से बयान एकत्र किए। एसपी आस्था मोदी ने कहा, “यह पत्र संदिग्ध लगता है, लेकिन हम सभी कोणों से जांच कर रहे हैं। उदाहरण के लिए उल्लेखित नामों में से एक सोनिया है, और हमने जींद जिले में सोनिया नाम की हर महिला पुलिस अधिकारी से बात की।” फतेहाबाद एसपी आस्था मोदी, जो जींद एसपी और दो अन्य के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही हैं, ने अब तक 19 महिला पुलिसकर्मियों से पूछताछ की है, जिनके नाम पत्र में उल्लिखित नामों से मेल खाते हैं। किसी ने भी इन आरोपों से खुद को नहीं जोड़ा है। मोदी ने कहा, “मैंने व्यक्तिगत रूप से 19 महिलाओं से बात की। यह पत्र संदिग्ध लगता है, लेकिन हम सभी कोणों से जांच कर रहे हैं। उदाहरण के लिए उल्लेखित नामों में से एक सोनिया है और हमने जींद जिले में सोनिया नाम की हर महिला पुलिस अधिकारी से बात की।” हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु डब्ल्यू भाटिया ने पुष्टि की कि आयोग ने बुधवार सुबह जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चर्चा की। जींद एसपी सुमित कुमार पर महिला पुलिसकर्मियों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप हैं । “सुमित कुमार बुधवार सुबह हमारे कार्यालय आए, जहां हमने उनसे बात की और मामले पर उनका पक्ष सुना। उनके व्यवहार से ऐसा लग रहा था कि उन्होंने खुद को आरोपों से मुक्त करने का प्रयास किया। हमने कुछ बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए 7 नवंबर को जांच निर्धारित की है,” रेणु डब्ल्यू भाटिया ने एएनआई को बताया। भाटिया ने यह भी कहा कि आयोग ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से औपचारिक रूप से एसपी जींद को उनके वर्तमान पद से स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। भाटिया ने बताया, ” हरियाणा राज्य महिला आयोग ने सीएम नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर आरोपों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एसपी जींद के स्थानांतरण का आग्रह किया है ।” हरियाणा के सीएम को लिखे पत्र में आयोग ने लिखा, “आयोग ने सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर प्रसारित गंभीर आरोपों का संज्ञान लिया है। 29 अक्टूबर 2024 को एक सुनवाई आयोजित की गई, जिसमें जींद के एसपी सुमित कुमार व्यक्तिगत रूप से अध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए।” आयोग ने अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि जांच संबंधित अधिकारी के किसी भी प्रभाव के बिना आगे बढ़नी चाहिए।” 26 अक्टूबर को पहलवान से नेता बनी विनेश फोगट ने हरियाणा पुलिस में महिलाओं की सुरक्षा के लिए हरियाणा सरकार और केंद्र की प्रतिबद्धता पर संदेह व्यक्त करते हुए पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की। उन्होंने कहा, “उनकी आवाज़ को या तो दबा दिया गया है या हर दिन दबाया जा रहा है। हालांकि, जिस तरह समाज का हर वर्ग हमारे साथ खड़ा है, हम भी उनके साथ खड़े हैं। दोषियों को परिणाम भुगतने होंगे।” चिंता और सिद्धांत सलवार सूट पहने और एक छोटा सा स्कूल बैग लेकर, दो महिला पुलिसकर्मी पुलिस स्टेशन से बाहर निकलीं। ई-रिक्शा में बैठने से पहले एक महिला कांस्टेबल ने कहा, “हम सिर्फ कांस्टेबल हैं। कुछ न करने के बावजूद हम मुसीबत में पड़ जाते हैं। अब, हम सभी डरे हुए हैं। हमारे परिवार हमारे लिए डरे हुए हैं। ऐसी घटनाएं हमें परेशान करती हैं। मुझे इस पत्र के बारे में कुछ नहीं पता। मैं बस इतना जानती हूं कि मेरी शिफ्ट 24 घंटे बाद ही खत्म हुई है और मैं अब बेकार की टेंशन नहीं चाहती, जो इस पत्र की वजह से और बढ़ गई है।” रहस्यमय ईमेल किसने किया, यह जींद में किसी को भी नहीं पता। एक यूट्यूबर ने इसे कुछ अधिकारियों के तबादले के लिए मजबूर करने की साजिश, एक आईपीएस प्रतिद्वंद्विता के रूप में पेश किया। कुछ पुलिसकर्मियों ने कहा कि यह एक स्थानीय यूट्यूबर द्वारा किया गया है, जिसका इस्तेमाल “पुलिस कर्मियों को निशाना बनाने” के लिए किया गया है, जिससे अंतत एसपी का तबादला हो सकता है। “दूसरा पत्र जो वायरल हो रहा था, वो किसी अधिकारी को नहीं भेजा गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इसे फेसबुक पेज ने पोस्ट किया है, जिसे उसी ईमेल आईडी से बनाया गया है, जिस पर यह (पत्र) पोस्ट किया गया है। एक कांस्टेबल ने कहा, “आरोप वाकई बहुत बड़े हैं और पहली नज़र में तो अविश्वसनीय लगे, लेकिन जो भी हो, इसने हमें प्रभावित किया है। मुझे अपने परिवार से फोन आ रहे हैं, जिसमें कहा जाता है कि मुझे इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए। हालांकि, मैं उस मामले में शामिल नहीं हूं, लेकिन इसके बारे में बात करना भी अभिशाप जैसा लगता है।” इस बीच, मीडिया टीम ने जिन महिला पुलिसकर्मियों से बात की, वह चिंतित हैं कि पत्र और चल रही जांच उनके पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। उनके पति उन्हें विवाद से दूर रहने की चेतावनी दे रहे हैं। उनकी प्रतिष्ठा और सरकारी नौकरी दांव पर है। जींद महिला थाने की महिला कांस्टेबल, जिसका नाम पत्र में लिखा है, कहती हैं, “यह ऐसी चीज़ नहीं है जिसे हम नज़रअंदाज कर सकें। आरोप वाकई बहुत बड़े हैं और पहली नज़र में तो अविश्वसनीय लगे, लेकिन जो भी हो, इसने हमें प्रभावित किया है। मुझे अपने परिवार से फोन आ रहे हैं, जिसमें कहा जाता है कि मुझे इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए। हालांकि, मैं उस मामले में शामिल नहीं हूं, लेकिन इसके बारे में बात करना भी अभिशाप जैसा लगता है।” पत्र विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए बनाए गए ईमेल आईडी का उपयोग करके भेजा गया था। दो पत्र भेजे गए थे। पहला पत्र हस्ताक्षर रहित था और 25 अक्टूबर को रात 12:01 बजे पहुंचा। दूसरा पत्र दो मिनट बाद 12:03 बजे पहुंचा और उस पर सात महिला पुलिसकर्मियों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन जींद एसपी सुमित कुमार ने “शारीरिक रूप से आकर्षक” पुलिसकर्मियों को कैसे परेशान किया। इसमें एसपी पर जबरन वसूली करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें महिला अधिकारी – एसएचओ मुकेश रानी और डीएसपी गीतिका झाकड़ शामिल हैं। कथित तौर पर उन्होंने वित्तीय लाभ के लिए धनी पुरुषों को फंसाने की योजना बनाई। पत्र में एक महिला पुलिसकर्मी के साथ उत्पीड़न की घटना का हवाला दिया गया है। पत्र में लिखा है, “मैं एक महिला पुलिसकर्मी हूं और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाती हूं। हालांकि, मेरे जिले के आईपीएस अधिकारी आकर्षक महिला कर्मियों को अपना शिकार बनाते हैं। एसपी की पत्नी और बच्चे कहीं और रहते हैं। एक दिन महिला थाने की एसएचओ मुझे एसपी के आवास पर ले गईं। उस समय बंगले पर गेटकीपर के अलावा कोई नहीं था। एसपी और एसएचओ ने मुझे रसोई में जाकर चाय बनाने को कहा। जब मैं चाय लेकर बाहर आई, तो एसएचओ कमरे में नहीं थे। जैसे ही मैंने एसपी को चाय दी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे। मैंने विरोध किया और कमरे से भागने में कामयाब रही।” फेसबुक व यूट्यूब चैनल के खिलाफ एसएचओ मुकेश रानी की एफआईआर में कहा गया है कि “एडमिन ने मेरी और अन्य महिला अधिकारियों की गरिमा का अनादर करते हुए 27 अक्टूबर, 2024 को एक और अपमानजनक संदेश पोस्ट किया। इस पोस्ट में झूठे आरोपों को दोहराया गया, जबकि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच पहले से ही चल रही थी।” जींद ब्रेकिंग न्यूज़ पिछले दो दिनों से इस मामले के बारे में पोस्ट कर रहा है। उनके फेसबुक पेज पर इस मुद्दे के वीडियो, लेख और सभी सांझा कवरेज हैं, जिसके लगभग 44,000 फॉलोअर्स हैं। एफआईआर में चैनल पर जबरन वसूली और मानहानि का भी आरोप लगाया गया है। रानी के हवाले से एफआईआर में कहा गया है, “यह झूठी शिकायत चैनल के एडमिन द्वारा दूसरों के साथ मिलकर पैसे ऐंठने और हमें बदनाम करने की पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा प्रतीत होती है। पुलिस और सिविल अधिकारियों को निशाना बनाकर जबरन वसूली की ऐसी ही घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। चैनल द्वारा पोस्ट किए गए दस्तावेज उनके प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं जांच के दौरान उन्हें पेश करने को तैयार हूं।” हरियाणा महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है। इसकी अध्यक्ष रेणु भाटिया ने डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। भाटिया ने कहा, “हम उन पुलिसकर्मियों से संपर्क में हैं जिनके नाम पत्र में हैं, साथ ही एसपी से भी। डीजीपी खुद जांच की निगरानी कर रहे हैं। यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। भले ही पत्र फर्ज़ी निकला हो, लेकिन हमें यह समझना होगा कि इतने गंभीर आरोप कैसे गढ़े जा सकते हैं। जांच को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है।” आयोग ने अपनी चिट्ठी में मुख्यमंत्री व डीजीपी को आरोपी सपा सुमित कुमार को लंबी छुट्टी पर भेजना या तबादला करने की बात कही है। इस चिट्ठी के बाद पुलिस विभाग में व्यापक तौर पर ताबड़द लेकर गए जिसमें सुमित कुमार का भी नाम शामिल है। करियर दांव पर पुलिस अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि पत्र में कुछ बातें वास्तविक घटनाओं से मेल खाती हैं, जबकि बाकी चीज़ें मनगढ़ंत नज़र आ रही हैं। पत्र में एक महिला पुलिसकर्मी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) का संदर्भ दिया गया है, जिसने अपनी एसीआर में खराब टिप्पणियों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक स्थानीय विधायक से संपर्क किया था। हालांकि, संबंधित महिला कर्मी पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल नहीं हैं। पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “पांच कर्मी ऐसे हैं, जिनकी एसीआर खराब दर्ज की गई थी। तीन वर्तमान में सेवा में हैं, जबकि एक अदालत में मामला लड़ रहा है। हालांकि पत्र में उल्लिखित मामला वास्तविक है, लेकिन एसपी ने नकारात्मक एसीआर जारी नहीं की थी – यह उच्च स्तर से आई थी।” पत्र में आरोप लगाया गया है कि महिला पुलिसकर्मी न केवल अपनी एसीआर के संबंध में मदद के लिए बल्कि यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने के लिए भी भाजपा विधायक के पास गई थी। पत्र में लिखा है, “एसपी साहब को एक विधवा कांस्टेबल से प्यार हो गया। मेरी तरह, उन्होंने भी उसे अस्वीकार कर दिया, जिससे उनका मानसिक उत्पीड़न हुआ।” दोनों संस्करणों (पत्र और विधायक के) में, महिला को विधवा बताया गया है, फिर भी पत्र का विवरण उनकी पहचान से मेल नहीं खाता है। पत्र में लिखा है, “एसपी साहब को एक विधवा कांस्टेबल से प्यार हो गया। मेरी तरह, उन्होंने भी उसे अस्वीकार कर दिया, जिससे उनका मानसिक उत्पीड़न हुआ। जब विधायक ने हस्तक्षेप किया, तो एसपी ने उनसे कहा, ‘तुम्हारी बहन मेरी बहन जैसी है’, लेकिन फिर भी उसकी एसीआर खराब कर दी।” भाजपा विधायक कृष्ण मिड्ढा, जिनका नाम पत्र में उल्लेखित है, ने दावे के एक हिस्से की पुष्टि की, लेकिन यौन उत्पीड़न के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होने से इनकार किया। मिड्ढा ने कहा, “यह सच है कि उषा नाम की एक महिला अपने एसीआर के संबंध में मेरे पास आई थी, लेकिन यौन उत्पीड़न का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। महिला का नाम पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल नहीं है। मुझे याद नहीं है कि कोई और मेरे पास ऐसी ही शिकायत लेकर आया हो।” आईपीएस अधिकारी आस्था मोदी द्वारा जांच शुरू करने के बाद, बिना किसी हस्ताक्षर के दूसरा पत्र सामने आया। इसमें तीनों आरोपी अधिकारियों के तबादले की मांग की गई और जांच की निष्पक्षता पर चिंता जताई गई। दूसरे पत्र में लिखा गया है, “हम मांग करते हैं कि इस जांच को आईजी स्तर की महिला अधिकारी संभालें, तभी हम आगे आएंगे। कृपया एसपी सुमित कुमार, डीएसपी गीतिका झाकड़ और एसएचओ मुकेश रानी का तबादला करें। हमारे पास सबूत के तौर पर एक ऑडियो क्लिप भी है।” एसपी सुमित कुमार ने सभी आरोपों से इनकार किया है और महानिरीक्षक (आईजी) से जांच कराने का अनुरोध किया है। कुमार ने कहा, “ऐसा कोई दिन नहीं रहा जब मेरे घर पर सिर्फ एक गेटकीपर मौजूद रहा हो। मैं अपने बेटे के साथ रहता हूं और मेरे घर में मेरे लिए काम करने वाले लोग रहते हैं। पत्र एक बेबुनियाद साजिश है और इसके पीछे के दोषियों की जल्द ही पहचान कर ली जाएगी। मैं जांच में पूरा सहयोग कर रहा हूं।” अर्जुन पुरस्कार विजेता और कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता डीएसपी झाकड़ ने भी आरोपों से इनकार किया। डीएसपी झाकड़ ने कहा, “मैंने पहली बार पत्र पढ़ा तो मैं चौंक गया। इसमें लिखी हर बात मनगढ़ंत है।” अभी तक कुछ भी ठोस नहीं मिला है। थाने की महिला कर्मचारी भी चिंतित हैं।” पत्र में दावा किया गया है कि महिला अधिकारियों ने अनैतिक मांगों को पूरा करने के लिए अधीनस्थों पर दबाव डाला। पत्र में कहा गया है, “महिला एसएचओ और डीएसपी ने मुझे अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए कहा है। जब मैं कैंप ऑफिस के बाहर गई तो मैंने देखा कि एसएचओ वहां बैठे हैं। मैंने उन्हें अंदर हुई घटना के बारे में बताया, लेकिन वे नाराज़ हो गई और जोर देकर कहा कि अधिकारियों को सहयोग करना चाहिए। मैं आंसू बहाते हुए एसपी आवास से बाहर आई और डीएसपी को घटना की सूचना दी। हालांकि, डीएसपी ने कहा कि पदोन्नति के लिए अधिकारियों को सहयोग करना चाहिए।” पत्र के लेखक ने उत्पीड़न बंद न होने पर आत्महत्या की धमकी दी है पत्र में आरोप लगाया गया है कि “एसएचओ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अवैध संबंध हैं और उसने युवतियों के साथ एक गिरोह बनाया है। वह अमीर परिवारों के लड़कों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करते हैं और इन मामलों को निपटाने के लिए बड़ी रकम वसूलते हैं। एसपी, डीएसपी और एसएचओ इस योजना में मिलकर काम करते हैं और हर महीने करोड़ों रुपये कमाते हैं. अगर आप उनकी संपत्तियों की जांच करेंगे तो सब कुछ साफ हो जाएगा।” यूट्यूबर पर मामला दर्ज, शुरू हुई कार्रवाई थाना सिविल लाइन जींद में सोशल मीडिया चैनल पर एक्स्ट्राशन और बदनाम करने की नियत से सोशल मीडिया एडमिन द्वारा और अन्य व्यक्तियों से मिली भगत कर एक सोची समझी साजिश के तहत योजनाबद्ध तरीके से जींद महिला पुलिस कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार और यौन शोषण की शिकायत संबंधित वायरल पोस्ट पर प्रबंधक महिला थाना जींद की शिकायत पर अभियोग अंकित किया गया। जिसकी जांच उच्च अधिकारियों के आदेश पर हिसार पुलिस को सौंपी गई। देर रात हुए तबादलों में दीपक सहारण का भी तबादला कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक हिसार दीपक सहारन, आईपीएस के सुपरविजन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर राजेश कुमार मोहन, आईपीएस की अध्यक्षता ने स्पेशल जांच कमेटी का गठन किया गया। जिसके सदस्य निरीक्षक ईश्वर सिहं, निरीक्षक निर्मला, उप निरीक्षक धर्मबीर सिहं, उप निरीक्षक अमित कुमार और सहायक उप निरीक्षक राजाराम है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर राजेश कुमार मोहन ने बताया कि महिला थाना प्रबंधक जींद की शिकायत पर थाना सिविल लाइन जींद में 28 अक्टूबर को अभियोग संख्या 370 अंकित किया गया और 29 अक्टूबर को अतिरिक्त महानिदेशक हिसार रेंज, हिसार के आदेश पर हिसार पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच से कुछ तथ्य सामने आए हैं। वायरल पोस्ट के संबंध में एक संदिग्ध ई मेल का पता चला है जिस से उच्च अधिकारीगण, महिला आयोग तथा कई मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया को भेजी गई है। ईमेल का Technical Analysis किया जाने पर जो वाईफाई प्रयोग में लाया गया वो किसी सुनील कुमार वासी नजदीक दर्जी गली, जींद के नाम पर रजिस्टर्ड है। मामले में दूसरी वायरल पोस्ट Jind Breaking News फेसबुक पेज के कॉमेंट्स सेक्शन में जय माता जी फेसबुक अकाउंट से 27 अक्टूबर 2024 को वायरल की गई। मामले में महिला थाना प्रबंधक जींद से पूछताछ करने पर सामने आया कि 6 अक्टूबर 2023 को महिला थाना में दहेज के संबंध में अभियोग अंकित किया गया था जो जांच के दौरान दोनों पक्षों का समझौता होने पर 6 दिसंबर 2023 को रद्द किया गया। जो इस रंजिश में संदिग्ध सुनील कुमार ने महिला थाना प्रबंधक जींद पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और उसकी शिकायतें करने लगा। जींद जिला के उच्चाधिकारियों पर लगाए गए आरोपों का संदिग्ध अरोपी सुनील कपुर अभी फरार है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर अलग अलग टीमे अलग अलग स्थानो पर छापेमारी कर रही है। जिसे जल्द से जल्द शामिल जांच कर मामले की सच्चाई को उजागर किया जाएगा। सुमित कुमार के तबादले के बाद भी जांच पर सवाल खड़े है क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा सरकार में जींद के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार पर महिला पुलिस कर्मियों द्वारा लगाए गये यौन शोषण के आरोपों की सही ढंग से जाँच हो पायेगी ? इस सरकार से ऐसी कोई ज्यादा उम्मीद तो नहीं दिखती। इतने गंभीर आरोपों के बावजूद इस एसपी को जींद से ट्रांसफर तो कर दिया पर डीएसपी महिला थाना प्रभारी का ट्रांसफर नहीं करना बताता है कि इनको किसी आरएसएस,बीजेपी नेता का खुला संरक्षण है । एसपी सुमित कुमार पर लगे इन आरोपों में सच कितना है, ये तो सही ढंग से हुई जांच से ही पता चल पायेगा। लेकिन ये जरूर सुनने में आया है कि हरियाणा के पुलिस अधिकारियों में अपनी जूनियर महिला पुलिस कर्मियों का यौन शोषण करना आम बात है, कोई विशेष बात नहीं। इसी के चलते सिर्फ पांच साल पहले भर्ती हुई किसी किसी महिला पुलिस कांस्टेबल को तो इन पुलिस अधिकारियों ने बार बार प्रमोशन देकर पुलिस सब इंस्पेक्टर भी बना डाला है , जबकि पुलिस अधिकारियों के यौन शोषण के खेल में संलिप्त न होने वाली महिला पुलिस कर्मी अपनी प्रमोशन के लिये धक्के खा रही हैं। जन संघर्ष मंच की उच्च स्तरीय नायक जांच की मांग की जन संघर्ष मंच ने महिला पुलिसकर्मियों के यौन शोषण मामले में डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री हरियाणा को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए। पुलिस महिला कर्मियों द्वारा दी गई शिकायत पर तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जाए। यौन शोषण के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों को तुरंत बर्खास्त किया जाए। वहीं पीड़ित महिलाओं के समर्थन में खबर चलाने वाले मीडिया कर्मियों पर दर्ज मुकदमा तुरंत रद्द किया जाए। प्रधान फूलसिंह, सुधीर शास्त्री ने कहा कि जींद जिले की कई महिला पुलिस कर्मचारियों ने एसपी और अन्य के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। हरियाणा पुलिस संगठन का लीपापोती का आरोप हरियाणा पुलिस संगठन के पदाधिकारियों ने सोमवार को लघु सचिवालय के बाहर प्रधान दिलावर सिंह की अध्यक्षता में धरना दिया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। संगठन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पीड़ित महिला पुलिसकर्मियों पर डराया जा रहा है। वह और उसका परिवार मानसिक पीड़ा झेल रहा है, इसलिए आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करके उसका तबादला किया जाए। पत्र में जिन दो पुलिस अधिकारियों के नाम हैं, उनको तुरंत प्रभाव से सस्पेंड किया जाए। आईपीएस अधिकारी को बचाने के लिए जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। आईपीएस अधिकारी जहां पर भी तैनात रहा है, वहां पर इसी तरह का आचरण रहा है इसलिए मामले की सिटिंग जज से जांच करवाई जाए, क्योंकि हरियाणा पुलिस के अधिकारी निष्पक्ष जांच नहीं पाएंगे। पीड़ित महिला पुलिस कर्मियों को दो माह का अवकाश दिया जाए, ताकि वह बिना डर व भय के अपने बयान दर्ज करा सकें। आईपीएस अधिकारी के साथ ही उसी जिले में रहीं महिला अधिकारी पुलिस संगठन के प्रधान दिलावर सिंह, महेंद्र सिंह, ओमप्रकाश ने मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में आरोप लगाया कि यौन शोषण के प्रयास के मामले में शामिल एक महिला अधिकारी के आइपीएस से लंबे समय से मधुर संबंध रहे हैं। जिस भी जिले में आईपीएस अधिकारी तैनात रहा है, उसके साथ ही महिला अधिकारी भी तैनात रही हैं। इसलिए इस मामले की भी जांच करवाई जाए। Post navigation हरियाणा में 36 IPS और HPS अफसरों का ट्रांसफर, जींद में बंटी मिठाई, जींद एसपी को एसपी रेलवे, अंबाला बनाया