डॉ. नलिनी भार्गव की पुस्तक ‘रामेशवरम्’ का लोकार्पण बहुत भव्य रूप से किया गया। डॉ. नलिनी भार्गव ने यह पुस्तक अपने शिक्षाविद  पिता  रामेश्वर प्रसाद भार्गव की जीवन यात्रा पर लिखी है। जिसमें जीवन जीने की सीख, व्यवहार व अपने कर्तव्यों के बारे में बताया गया है।

समाज के प्रति हमें अपनी ज़िम्मेदारी व कर्तव्यों का निर्वाह कैसे करना चाहिये यह बताया गया है।साथ ही यह संदेश भी दिया है कि हमें शिक्षकों प्रति समाज को जागरूक करना चाहिये व कम से कम एक व्यक्ति को भी यदि हम  शिक्षित कर दें तो हमारा जीवन सार्थक है।

इस कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार व कवि डॉ. सरोज कुमार जैन, आकाशवाणी के पूर्व निदेशक व प्रसिद्ध ग़ज़लकार  लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, दूरदर्शन के पूर्व कार्यक्रम निदेशक व प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अमर नाथ ‘अमर’,  अंतरराष्ट्रीय फ़ोटोग्राफ़र प्रो. सुबंधु दुबे, मशहूर कवयित्री ममता किरण  व प्रसिद्ध हास्य व्यंग कवयित्री  निशा भार्गव मौजूद थे।

 इस कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. नलिनी भार्गव ने किया। डॉ. सरोज कुमार जैन जी ने कहा कि – श्री रामेश्वर प्रसाद भार्गव एक रूटीन प्रिंसिपल नहीं थे। बहुत मित्रवत् थे। एक परिवार के मुखिया की तरह कॉलेज के स्टाफ़ व छात्रों को स्नेह दिया करते थे।

प्रो. दुबे जी ने कहा – भार्गव साहब बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। कोई भी शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी उनसे सहज रूप से मिल सकता था और वे सभी से स्नेह पूर्वक व आदर पूर्वक बात करते थे। किसी भी समस्या का निदान उसी समय कर दिया करते थे। 

लक्ष्मीशंकर बाजपेयी जी  ने उनके प्रति ये पंक्तियाँ समर्पित कीं- 
‘ज़िंदगी भर ज़िंदगी का कारवाँ बन कर जिये,और जब गये तो एक लंबी दास्ताँ बन कर जीये।।’

डॉ. अमरनाथ ‘अमर’ जी – नलिनी जी के द्वारा लिखी गयी पुस्तक एक ऐतिहासिक कार्य है। इससे औरों को प्रेरणा मिलेगी। यह अनुकरणीय कार्य है।

ममता किरण ने पिता को समर्पित पंक्तियाँ यूँ प्रस्तुत की , ‘दरख़्त पर जिस तरह से कोई, पके है फल बस उसी तरह से,पिता के अनुभव बन हर कहानी,एक-एक झुर्रियों में ढल रही हैं।’

निशा भार्गव की पिता पर समर्पित पंक्तियाँ- ‘पिता होता है जीवन का सवेरा,वही मिटाता है परिवार का अँधेरा,पिता में होती है, गहराई, ऊँचाई और विस्तार,वही जोड़ता है वंशावली के तार।।’

अनंतमूल लूनिया जी ने कहा  रामेश्वर प्रसाद भार्गव जी एक कुशल प्रशासक थे, अनुशासन प्रिय थे, महापुरुष थे। उनका जीवन प्रेरणा प्रद था।

सज्जन कुमार कानौडिया जी ने कहा भार्गव जी मेरे मित्र थे। बहुत विनम्र थे। टेनिस व बैडमिंटन के उत्तम खिलाड़ी थे। हमारे समय के वो दिन स्वर्णिम दिन थे।

 वी. जी . महेश्वरी ने कहा – वे बहुत सरल व प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। हमारी यादों में आज भी उसी प्रकार जीवंत हैं।

 जे.पी. सोमानी ने कहा – भार्गव साहब छात्र हित को सर्वोपरि मानते थे। सदैव मानवीय संबंधों के प्रति सजग रहते थे। अनुशासन प्रिय व कुशल प्रशासक थे। 

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