विद्रोही ने कहा कि 1982 के प्रारंभ में उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कपूरी में कस्सी चलाकर पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर निर्माण की शुरूआत की, पर हरियाणा विधानसभा चुनाव के मध्यनजर देवीलाल परिवार के उकसावे पर पंजाब में प्रकाश सिंह बादल व अकाली दल ने आंदोलन करके इस नहर का निर्माण रूकवा दिया। जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो दूसरी बार हरियाणा को पानी मिलने व एसवाईएल नहर निर्माण का रास्ता 24 जुलाई 1985 को हुए राजीव-लोंगेवाल समझौते के तहत खुला, पर चौ0 देवीलाल ने इस समझौते के खिलाफ हरियाणा में न्याय युद्ध चलाकर इस रास्ते को भी तारपीडो कर दिया। रेवाड़ी -23 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि कम से कम दक्षिणी हरियाणा में आकर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला को एसवाईएल नहर पर उपदेश झाडऩे की अनैतिकता नही करनी चाहिए। विद्रोही ने कहा कि इतिहास व तथ्य गवाह है कि पंजाब में अधूरी पडी एसवाईएल नहर का निर्माण नही होने व पंजाब से हरियाणा को उसके हिस्से का नहरी पानी रावी-ब्यास नदी से नही मिलने का सबसे बड़ा गुनाहगार देवीलाल-चौटाला परिवार व बादल परिवार ही है। पंजाब से अलग होकर 1 नवम्बर 1966 को बने हरियाणा को उसके हिस्से का नहरी पानी मिलने के तीन अवसर आये और तीनो ही बार देवीलाल-चौटाला परिवार व बादल परिवार की मिलीभगत से यह संभव नही हो पाया। सबसे पहला मौका तब मिला जब 31 दिसम्बर 1981 को राव बीरेन्द्र सिंह केन्द्र में कृषि व जल संसाधन मंत्री थे और इंदिरा गांधी ही पहल पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के बीच जल समझौता हुआ जिसके चलते एसवाईएल नहर निर्माण का रास्ता खुला। विद्रोही ने कहा कि तीसरा मौका तब आया जब जनवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल नहर निर्माण का निर्देश एक साल में पंजाब सरकार को करने का निर्देश दिया और कहा कि यदि पंजाब सरकार ऐसा नही करती है तो केन्द्र सरकार सेना की निगरानी में केन्द्रीय सीमा सड़क संगठन से नहर निर्माण करवाये। उस समय पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, हरियाणा के मुख्यमंत्री औमप्रकाश चौटाला व केन्द्र में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। वहीं प्रकाश सिंह बादल का अकाली दल व चौटाला परिवार की इनेलो दोनो वाजपेयी सरकार के एनडीए गठबंधन में थी। विद्रोही ने कहा कि वह तीसरा और अंतिम मौका भी चौटाला परिवार की सत्ता लिप्सा के कारण निकल गया और उसके बाद कभी ऐसी परिस्थितियां नही बन पाई जिससे पंजाब में अधूरी पड़ी एसवाईएल नहर का निर्माण पूरा करके पंजाब से हरियाणा को उसके हिस्से का नहरी पानी मिल सके। Post navigation न एसवाईएल आयी न एम्स बना: अभय चौटाला जेबीटी घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी