रेवाड़ी जिले में 31 साल होने पर भी जिला पुस्तकालय नही ! विद्रोही

रेवाडी, 22 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि रेवाड़ी जिले को बने 31 साल होने पर भी जिला पुस्तकालय का न होना बताता है कि हरियाणा सरकार दक्षिणी हरियाणा के शिक्षा, ज्ञान के सरोकारों के प्रति कितनी गंभीर व ईमानदार है। विद्रोही ने कहा कि 1989 को रेवाड़ी जिले के साथ ही बने यमुनानगर, कैथल, पानीपत, फतेहाबाद में कभी का जिला पुस्तकालय व डिजिटल लाईब्रेरी बन चुकी है। यहां तक रेवाडी जिले से काफी समय बाद बने पलवल व नूंह में भी डिलिजल जिला पुस्तकालय है, किन्तु अहीरवाल का लंदन कहलाने वाले रेवाड़ी में जहां 1940 में ही अहीर कालेज के रूप में कालेज बन गया था जबकि उस समय के हरियाणा क्षेत्र में अम्बाला को छोड़कर कहीं कालेज नही था। शिक्षा क्षेत्र में रेवाड़ी जिले के छात्र, युवा काफी प्रतिभोवान है। विद्रोही ने कहा कि 31 साल बाद अब कहीं जाकर हरियाणा सरकार ने पुराने एसडीएम कोर्ट परिसर में पुरानी जेल परिसर में लगभग 2400 वर्ग मीटर जमीन जिला पुस्तकालय के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को दिया है। वैसे तो रेवाड़ी के सामाजिक, राजनीतिक व ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए कम से कम दो एकड़ क्षेत्र में विशाल लाईब्रेरी बननी चाहिए।

आजादी आंदोलन के 1857 के प्रथम स्वतत्रंता संग्राम में रेवाड़ी का विशेष महत्व है। यहां के राजा राव तुलाराम के नेतृत्व में 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार बगावत हुई थी जिसके चलते 16 नवम्बर 1857 को नसीबपुर-नारनौल के मैदान में ऐतिहासिक युद्ध हुआ जिसमें एक दिन में ही पांच हजार से ज्यादा रणबांकुरे स्वतत्रंता सेनानी योद्धाओं ने आजादी आंदोलन की बलिवेदी पर कुर्बानी दी। आजादी के बाद देश की सुरक्षा के लिए रेवाड़ी अहीरवाल के वीर सैनिकों, केन्द्रीय सुरक्षा बलों के कर्मियों ने लगातार अपना बलिदान देकर देश की सीमाओं व आतंरिक सुरक्षा की है। ऐसी स्थिति में रेवाड़ी में ऐसा जिला पुस्तकालय बने जिसमें आजादी आंदोलन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम, 1965 भारत-पाक युद्ध में अहीरवाल के सैनिकों की कुर्बानिया सम्बन्धित पुस्तके हो ताकि युवा अपने सबल इतिहास का ज्ञान प्राप्त कर सके। 

विद्रोही ने कहा कि आर्थिक रूप से रेवाडी व अहीरवाल क्षेत्र शेष हरियाणा से कमजोर है और पुस्तके बाजार में महंगी हो रही है जिसके चलते यहां के प्रतिभावान छात्र पुस्तके खरीदने में असमर्थ है जिसका एकमात्र उपाय जिले में विशाल व डिजिटल लाईब्रेरी ही है। रेवाड़ी की प्रस्तावित 2400 वर्ग मीटर की लाईब्रेरी को कम से कम सात मंजिला बनाया जाये जिसके दो मंजिल में आजादी आंदोलन व सीमाओं के रक्षाओं से सम्बन्धित बलिदानी स्वतंत्रता सेनानियों व वीर सैनिकों के इतिहास पुस्तके हो। वहीं तीन मंजिल में ऐसी आधुनिक विज्ञापन, इतिहास, भूगोल सहित आवश्यक पाठय पुस्तके हो जिससे गरीब छात्र लाभांवित हो सके। वहीं दो मंजिल में अखबार, पत्रिकाएं, पुस्तके व बैठने का स्थान हो ताकि सभी लोग पुस्तकालय का लाभ उठा सके।

विद्रोही ने आशा प्रकट की कि हरियाणा सरकार रेवाड़ी में न्यूनतम सात मंजिला लाईब्रेरी भवन बनाकर जिले में पुस्तकों का ऐसा अमूल्य भंडार स्थापित करेगी जिससे अहीरवाल के युवाओं, छात्रों की प्रतिभा में और निखार आ सके और उन्हे सुलभता से ज्ञान की पूर्ति के लिए पुस्तके उपलब्ध हो सके। 

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