“10 वर्ष पुराने डीज़ल एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों का खेल !”

 मुकेश कुल्थिया

आखिर क्या है यह 10 वर्ष पुराने डीजल और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों का खेल ?

गुड़गांव निवासी एवं वकील श्री मुकेश कुल्थिया से बात करने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी कानून में 10 वर्ष पुराने डीजल एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों पर कोई पाबंदी नहीं है।

मुकेश जी ने सबसे पहले तो यह स्पष्ट किया कि भारत के सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों को डीजल एवं पेट्रोल के ऊपर कैटेगरी में नहीं बांटा गया है, डीजल हो या पेट्रोल, वाहनों को प्राइवेट और कमर्शियल दो कैटेगरी में बांटा गया है।

प्राइवेट कैटेगरी में डीजल हो या पेट्रोल दोनों वाहनों की उम्र 15 वर्ष निर्धारित की गई है एवं 15 वर्ष के बाद 5-5 वर्षों के लिए उनका पंजीकरण नवीनीकरण का प्रावधान है।2019 में संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में भी डीजल एवं पेट्रोल की यही उम्र निर्धारित है।

आज भी डीजल वाहनों का जो पंजीकरण हो रहा है उन्हें 15 साल का ही रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट इश्यू किया जा रहा है, रोड टैक्स भी 15 साल का लिया जा रहा है अर्थात वाहन की कीमत 15 वर्ष की उम्र के हिसाब से ली जा रही है और पहले भी वाहनों को जो रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किए गए थे वह भी 15 वर्षों के हिसाब से ही किए गए थे अर्थात 15 वर्षों के कीमत पर वाहन बेचे गए थे, 15 वर्षों का रोड टैक्स लिया गया था और 15 वर्षों का रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया गया था।

यह कैसे हो सकता है कि जिन वाहनों को 15 वर्षों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया गया उन्हें 10 वर्ष बाद स्क्रैप कर देंगे और जिन वाहनों को सरकार के बयान के मुताबिक 10 वर्ष बाद स्क्रैप कर देंगे आज फिर उन्हें 15 वर्ष का सर्टिफिकेट क्यों जारी किया जा रहा है।

जनता से 15 वर्षों की कीमत क्यों ली जा रही है ? जनता से 15 वर्षों का रोड टैक्स क्यों लिया जा रहा है ?

अगर यह कैलकुलेशन करेंगे तो वाहन की उम्र 15 वर्ष जमा कम से कम 5 वर्ष का रिनुअल अर्थात वाहन की उम्र 20 वर्ष, इन्हें स्क्रैप कर देंगे 10 वर्ष बाद अर्थात जनता को सीधा 50% का नुकसान एवं वाहन निर्माताओं को 50% का सीधा मुनाफा।

यह है सारा खेल……

भारत मोटर वाहन अधिनियम सेक्शन 41 उप सेक्शन 7 के अनुसार डीजल हो या पेट्रोल, निजी वाहन की उम्र 15 वर्ष है एवं 15 वर्ष के बाद पाँच पांच वर्षो के लिए उसका नवीनीकरण का प्रावधान है।

2019 में केंद्र एवं प्रदेश सरकारों ने मोटर वाहन अधिनियम के संशोधित होने के बाद 15 साल पुराने वाहनों के रिमूवल की नई फीस भी निर्धारित की थी जो कि आज भी केंद्र सरकार एवं हरियाणा सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

दिल्ली पुलिस हरियाणा पुलिस की चालान लिस्ट में 10 वर्ष या 15 वर्ष पुराने वाहनों को इंपाउंड करने का कोई भी कॉलम नहीं बना हुआ है।

ये पुराने वाहन किसी भी धारा में किसी भी जुर्म में नहीं आते हैं फिर भी सरकार दिन रात जनता के वाहनों को बंद करवाने के पीछे पड़ी है।

उसका एकमात्र मकसद है कि येन केन प्रकरेण विभिन्न गैरकानूनी तरीकों से आम जनता के वाहनों को बंद करवाया जाए ताकि 50% का सीधा मुनाफा वाहन निर्माताओं को मिले एवं नए वाहनों का निर्माण बढ़े एवं उनकी बिक्री में इजाफा हो।

16 जून को दिल्ली के परिवहन मंत्री श्री कैलाश गहलोत ने बयान दिया की सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधान दिल्ली पर लागू नहीं होते।

अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया के अनुसार परिवहन मंत्री का ऐसा बयान सरासर मोटर वाहन अधिनियम की अवमानना है।

उनका यह बयान ही साबित करता है कि कोई ना कोई लालच या मजबूरी है जिसके चलते ऐसा गैरकानूनी बयान एक परिवहन मंत्री को देना पड़ा।

दिल्ली के परिवहन मंत्री का ऐसा बयान पूर्ण रूप से गैरकानूनी एवं गैर जिम्मेदाराना बयान है।

कुल मिलाकर निचोड़ यह है कि भारत के सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट सेक्शन 41 सब सेक्शन 7 के तहत डीजल या पेट्रोल के किसी भी पुराने वाहन पर किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं है, बल्कि अपनी तय उम्र 15 वर्ष पूरा होने के बाद 5-5 साल के लिए उन्हें रिन्यू करने का प्रावधान है।

अब इस कानून का पालन स्वयं भारत सरकार एवं प्रदेश सरकारें क्यों नहीं कर रही हैं, स्वयं पुलिस क्यों नहीं कर रही है इसका जवाब तो सरकार और पुलिस ही दे सकती है।

इस विषय पर अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया द्वारा दायर याचिका गुड़गांव कोर्ट एवं पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में विचाराधीन है और मुकेश कुल्थिया को उम्मीद है कि माननीय न्यायालय से जनता को न्याय मिलेगा ।

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