कितलाना टोल पर धरने के 176वें दिन रानी लक्ष्मीबाई को किये श्रद्धासुमन अर्पित

चरखी दादरी/भिवानी जयवीर फोगाट

18 जून, महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने देश की आजादी के लिए 1857 में लड़े गए पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। यह बात कितलाना टोल पर अध्यक्ष मंडल की सदस्य धर्मा देवी और ब्रह्मादेवी ने धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने आजादी से पहले गौरों से लड़ाई लड़ी थी और अब हमें चोरों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे हकों पर सरेआम डाका डाला जा रहा है और पूंजीवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पहले धरने पर दो मिनट का मौन रखकर रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि दी गई।           

 महिला किसान नेत्री संतोष देशवाल ने कहा कि गुलामी की बेड़ी तोड़ने के बाद हमारा दुर्भाग्य है कि जो सपने देश की आवाम ने देखे थे वो सब धूल में मिल गए हैं। सरकार का गठन लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए होता है लेकिन वर्तमान में सरकार का अर्थ पूंजीपतियों की, पूंजीपतियों द्वारा और पूंजीपतियों के लिए होकर रह गया है। देश के मुखिया नरेंद्र मोदी का ध्यान महज अपने चेहते महाधनवान मित्रों के हित साधने पर लगा हुआ है। आम गरीब जनता के दुख तकलीफ से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि मोदी को इतने लंबे समय से आंदोलनकारियों से बात तक करने की फुर्सत नहीं है।           

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कितलाना टोल पर धरने के 176वें दिन सांगवान खाप चालीस के सचिव नरसिंह डीपीई, श्योराण खाप पच्चीस के प्रधान बिजेंद्र बेरला, जाटू खाप के मास्टर राजसिंह, सुभाष यादव, धर्मा देवी, ब्रह्मादेवी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि दासता से पीछा तो छुड़ गया लेकिन देश के अन्नदाता के हालात नहीं बदले हैं। इसलिए आज देश के किसान मजदूर एकजुट होकर अपने वाजिब हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों काले कानून रद्द नहीं होते हमारा आंदोलन जारी रहेगा।           

धरने का मंच संचालन रणधीर घिकाड़ा ने किया। इस अवसर पर सुरजभान झोझू, सुरेन्द्र कुब्जानगर, सुखदेव पालवास, रणधीर कुंगड़, मीरसिंह सिंहमार, राजू मान, कमल प्रधान, धर्मेन्द्र छपार, जागेराम डीपीई, राजबीर सरपंच चंदेनी, धर्मबीर समसपुर, सत्यवान कालुवाला, कप्तान रामफल, आचार्य देवी सिंह, हवासिंह, रमेश कोच, कर्ण सिंह हुई, ओमपति, सावित्री, राजबाला, प्रेम, मलही देवी, चंद्रकला, अंतर कौर, रामप्यारी इत्यादि मौजूद थे।

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