जानवरों से चलने वाले वाहन फिर से प्रयोग में लाकर न केवल संरक्षण और संवर्धन होगा , साथ में पर्यावरण की भी रक्षा होगी।
साइकिल प्रयोग से स्वास्थ्य लाभ भी बोनस में, अनिवार्य कर दे सरकार । 
भविष्य मे प्रचार वाले प्रधानमंत्री को ना चुन कर ऐसे प्रधानमंत्री को चुनें जो देश को बेहतर तरीके से चलाये।

अशोक कुमार कौशिक

 देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी हुई है. सरकारी तेल कंपनियों ने एक दिन की राहत के बाद आज 18 जून  को पेट्रोल  के साथ ही डीजल के दाम में भी इजाफा कर दिया है। लगातर बढ़ रही कीमत से आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। देश के चार प्रमुख महानगरों में शुक्रवार को पेट्रोल में 23 से 27 पैसे प्रति लीटर और डीजल के रेट में 27-30 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़ोत्तरी हुई है। इस बढ़ोत्तरी के बाद दिल्‍ली में पेट्रोल का दाम 96.93 रुपये प्रति लीटर वहीं डीजल के रेट 87.69 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए।

जानिए महानगरों में क्या हैं पेट्रोल-डीजल के रेट

अगर चार महानगरों में पेट्रोल डीजल के रेट की बात की जाए तो दिल्‍ली में पेट्रोल 96.93 रुपये प्रति लीटर वहीं डीजल 87.69 रुपये प्रति लीटर हैं। मुंबई में पेट्रोल 103.08 रुपये और डीजल का दाम 95.14 रुपये प्रति लीटर है। कोलकाता में आज पेट्रोल 96.84 रुपये और डीजल 90.54 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। चेन्‍नई में पेट्रोल 98.14 रुपये और डीजल 92.31 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है। 

अन्य प्रमुख शहरों में पेट्रोल-डीजल का भाव

राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 108.07 रुपये और डीजल 100.82 रुपये प्रति लीटर। मध्यप्रदेश के अनूपनगर में पेट्रोल 107.71 रुपये और डीजल 98.74 रुपये प्रति लीटर। भोपाल में पेट्रोल 105.13 रुपये और डीजल 96.35 रुपये प्रति लीटर। हैदराबाद में पेट्रोल 100.74 रुपये और डीजल 95.59 रुपये प्रति लीटर। बेंगलुरु में पेट्रोल 100.17 रुपये और डीजल 92.97 रुपये प्रति लीटर। जयपुर में पेट्रोल 103.57 रुपये और डीजल 96.69 रुपये प्रति लीटर। पटना में पेट्रोल 99 रुपये और डीजल 93.01 रुपये प्रति लीटर। लखनऊ में पेट्रोल 94.14 और डीजल 88.10 रुपये प्रति लीटर। गुरुग्राम में पेट्रोल 94.69 रुपये और डीजल 88.29 रुपये प्रति लीटर। चंडीगढ़ में पेट्रोल 93.22 रुपये और डीजल 87.34 रुपये प्रति लीटर। नोएडा में पेट्रोल 94.25 रुपये और डीजल 88.18 रुपये प्रति लीटर।

भारत मे 2010 के बाद के साढ़े 3 साल तक कच्चे तेल के दाम  90 से 110 डॉलर के बीच बने हुए थे जब विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत जून 2012 में 109 डॉलर प्रति बैरल थी, तो ग्राहकों को पेट्रोल 71.16 रुपये में मिल रहा था । ये डाॅ मनमोहन सिंह की सरकार थी जिसे कुछ लोगों ने एक बड़े षडयंत्र के तहत भ्रष्टाचारी सरकार बताया था। आज की तारीख में कच्चे तेल का दाम 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब चला गया है। आज भारत मे पेट्रोल की कीमत 108रु प्रति लीटर पुहंच गयी है। ये है मोदी की सरकार। 

पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम और निकट भविष्य में और भी बढ़ने की संभावना को देखते हुए मेरी स्पष्ट राय है कि किसान और छोटे व्यवसायी जिन्हें छोटे वाहन माल ढोने और यात्रा के लिए आधुनिक डीजल और पेट्रोल चालित वाहनों की आवश्यकता है, वो घोड़े, बैल, भैंसे, खच्चर और गधे का फिर से इस्तेमाल करना शुरू कर दें। अगर समय की जल्दी न हो और बैलगाड़ी , घोड़ागाड़ी और जानवरों से चलने वाले अन्य वाहन फिर से प्रयोग में लाने चाहिए। इससे न सिर्फ जानवरों का संरक्षण और संवर्धन होगा , साथ में पर्यावरण की भी रक्षा होगी। और जेब पर तेल का भार भी नही होगा। राष्ट्र बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचा पायेगा। मेरे ख्याल से शायद लोग बैलगाड़ी , घोड़ागाड़ी पर बैठने में शर्म महसूस करते हैं लेकिन शर्म छोड़ कर इस विषय पर विचार की आवश्यकता है। 

जरूरत तो इस बात की भी है कि साइकिल के प्रयोग को बढ़ावा मिले। यहाँ तो स्वास्थ्य लाभ भी बोनस में है। सायकिल उपयोग की सबसे बड़ी समस्या रोड पर प्रदूषण की है, साथ मे यातायात से संबंधित दुर्घटना की भी। हाइवे पर अब साईकल चलाना, आपको धूल से पाट देगा और दुर्घटना होने की संभावनाएं आजकल तेज भागते हल्के और भारी वाहनों से ,सबसे ज्यादा है। कभी पढ़ा कि अंग्रेजों के यहाँ पैदल और सायकिल वालो के लिए अलग से ट्रैक होता है। अखिलेश सरकार ने लखनऊ में ऐसा प्रयोग किया भी लेकिन ये आगे नहीं बढ़ सका।

वैसे घोड़ा पालना उसकी सवारी करना कैसे रहेगा? मैं तो चाहता हूँ कि मैं ऐसा कर पाऊँ। बड़े दादा घोड़े से चलते थे। छोटे थे तो जिसको घोड़े पर चलते देखते थे, वो बहुत शान से चलता था। बाद में मोटरसाइकिल और फिर कार ने ये शान वाली फीलिंग ले ली। पहले लोग शुद्ध दूध खाने पर जोर देते थे तो भैंस गाय पालते थे। अब खरीद कर खाना आधुनिकता और जानवर पालना पिछड़ेपन का प्रतीक हो गया है। अब तो ऐसा हो गया है कि यदि आपके बगल में अगर कोई प्लाट खाली है और उसके बगल में कोई पशुपालन करता है तो उस प्लाट को अत्याधुनिक लोग लेना नही चाहेँगे, वजह बगल में ही गोबर देखना-सूंघना पड़ेगा। 

छोटे थे तो दादी कहती थी कि गोबर भी एक धन है,सब धन की तरह। शायद ही नई पीढ़ी ऐसा सोचती हो। नई पीढ़ी के लिए पैसा ही सब समस्याओं का हल है। मंहगी गाड़ी और घर महँगी चीजे ही सुख और धन का प्रतीक हैं। तो फिर से मूल बात पर की क्यों न हम सब वापस साईकल और बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी पर लौट आएं, जहां समय की कोई जल्दी ना हो। यात्रा के लिए घोड़े, और घोड़ा गाड़ी और सामान ढोने के लिए बैल गाड़ी और घोड़ा गाड़ी ,भैसा गाड़ी। पंजाब में मैने किसानों को देखा था चारा और समान ढोने के लिए घोड़े और घोड़े गाड़ी का उपयोग करते हुए, अच्छा लगा। 

हरियाणा और यूपी में देखा था भैंसा गाड़ी, सामान ढोने के लिए, ये भी सही ही था। आजकल भैस और बैल उपयोग न होने पर बीफ़ बना दिये जाते है। इज्जत से काम करके कोई बैल और भैसा भी जीना चाहेगा, बीफ़ बनना कौन चाहेगा।

छोटे थे तो बाजार में स्थानीय लोग व्यापार के लिए बैलगाड़ियों से आते थे सामान खरीदकर ले जाने के लिए, कालांतर में उनकी जगह ट्रैक्टर ट्रॉली और मिनी ट्रक ने ले ली है। विकास और आधुनिकता ने पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया है। हम सब ये उपाय करके कुछ तो बदलाव ला ही सकते हैं।

आज देश तमाम मुद्दों पर बुरी तरह से फेल हो रखा है बेरोजगारी ने आधी सदी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, महंगाई और पेट्रोल के दाम सुरसा के मुंह की तरह लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसके परिवार या करीबियों में किसी की मौत सरकारी लापरवाही की वजह से कोरोना के दौरान ना हुई हो। नए उद्योग लगना बंद हो चुके हैं , मोदी सरकार की नीतियों से त्रस्त व्यापारियों का परिवार सहित आत्महत्या करने का नया ट्रेंड शुरू हो चुका है। धोखेबाजी और शोषण से त्रस्त किसान सड़कों पर बैठ चुका है।

अब सबको समझ मे आ रहा होगा कि देश और धर्म की झूठी भक्ति के नाम पर कैसे भाजपा और आरएसएस वालों ने देश के एक बड़े जनसमूह को मुर्ख बना कर सत्ता हासिल की है और अब कैसे आम जनता का शोषण कर रहे हैं।

उम्मीद है भविष्य मे आप एक प्रचार वाले प्रधानमंत्री को ना चुन कर एक ऐसे प्रधानमंत्री को चुनेंगे जो देश को बेहतर तरीके से चला सकता है। विकल्प की चिंता मत करिये, भारत मे नेतृत्व करने वालों की कोई कमी नही है अगर एक ढुंढ़ेंगे तो हजार मिलेंगे और इनसे बेहतर ही मिलेंगे।

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