-कमलेश भारतीय

छह माह से ऊपर चल रहे किसान आंदोलन के पांव हरियाणा में पसरते जा रहे हैं । पहले तो टिकरी या दूसरे बाॅर्डर्ज पर हरियाणा के किसान जाते थे और सहायता भी भिजवाते थे । फिर हरियाणा के विभिन्न टोल पर धरने शुरू हो गये । हिसार में रामायण और बाडो पट्टी पोल पर खूब रौनक रहती है । रामायण टोल पर ही राकेश टिकैत से बातचीत की थी मैंने किसान आंदोलन पर । वैसे भी राकेश टिकैत लगातार हरियाणा में आ रहे हैं । हिसार में पहले आए जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर संजीवनी अस्पताल का उद्घाटन करने आए और किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया । पुलिस ने लाठीचार्ज किया और केस दर्ज किये तब इसके विरोध में टिकैत व अन्य किसान नेता आए । ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार आंदोलनकारियों ने नारों से शहर गुंजा दिया । आखिर प्रशासन और किसान नेताओं में समझौता हुआ ।

इसी प्रकार टोहाना में जजपा के विधायक देवेंद्र बबली सिविल अस्पताल किसी कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए जा रहे थे जब बीच में किसानों ने रोका और विधायक ने गुस्से में कुछ का कुछ कह दिया जिससे मामला भड़क गया । फिर किसानों पर केस दर्ज किये गये और फिर टिकैत पहुंचे । दो दिन टोहाना में ही टिके रहे टिकैत और अन्य किसान नेता । आखिर मामला सुलझा ।

अब बारी झज्जर की है । वहां भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ पार्टी के निर्माणाधीन कार्यालय का शिलान्यास करने गये तब किसानों ने इसकी ईंटें उखाड़ डालीं । फिर वही केस दर्ज किसानों पर ।अब पुलिस गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है । यह मुद्दा अब जोर पकड़ता जा रहा है । जबकि ओमप्रकाश धनखड़ कह रहे हैं कि किसानों की आड़ में ये कांग्रेसी थे । इसी प्रकार उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी कह रहे हैं कि अब आंदोलन के केद्र में किसान नहीं बल्कि राजनीति है और यह भाजपा जजपा गठबंधन के खिलाफ है । और ये आंदोलनकारी खुद कोई न कोई चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं । इसलिए किसी न किसी बहाने से भाजपा जजपा का विरोध किया जा रहा है । दूसरी ओर किसान नेता कह रहे हैं कि यदि किसानों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गयी तो आंदोलन तेज़ भी किया जा सकता है । इस तरह किसान आंदोलन कभी हिसार , कभी टोहाना तो कभी झज्झर तक रूप बदल रहा है । हरियाणा इसका केद्र बनता जा रहा है ।

सवाल उठता है कि किसानों पर केस दर्ज करने से आंदोलन कम हुआ या बढ़ा ? देखा जाये तो बढ़ ही रहा है । सवाल यह भी है कि क्या भाजपा या जजपा के भवनों पर तोड़फोड़ की कार्यवाही उचित कदम है ? सारे सवालों के जवाब दोनों पक्षों को दाने हैं। कांग्रेस पर आंदोलन भड़काने का आरोप लगाया जा रहा है पर भाजपा इसे फैलने ही क्यों दे रही है जिससे विपक्ष को मौका मिले?

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