जहांगीर की तलाश में नूरजंहा एक विषकन्या टाइप मैडम अपना एक अदद मेहरबान पाने के लिए यहां-वहां भटक रही हैं। इनका असली परिचय इतना ही है कि इन्होंने हरियाणा सरकार और हरियाणा सरकार ने इनको जी भर के उपकृत किया है। इनका आधिकारिक परिचय ये है कि ये सूचना व जनसम्पर्क विभाग को सरकारी उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार के लिए फिल्में बना कर देती हैं। वो एक अलग बात है कि ये फिल्में सिर्फ बनी ही बनी। दिखी और चली नहीं। उसके बावजूद इन्होंने सरकार से करोड़ों रूपए का बिजनैस हड़प लिया। मैडम ने अफसरों के सरकारी और गैर सरकारी संसाधनों का खूब दोहन किया। जब ये हरियाणा सचिवालय के आठवीं मंजिल स्थित पब्लिक रिलेशन के आफिस में हाई हील के नुकीले-चमकीले-भड़कीले सैंडिल पहन,जुल्फों को बिखरा, इत्र के टब में नहा,इंडियन और वैर्स्टन ड्रैस का फ्यूजन बना कर टप्प टप्प करते हुई दाखिल होती तो इनके लिए गलियारे में लोग खुद ब खुद रास्ता बना देते। मैडम का आभा मंडल ही ऐसा था। एक तो खुद ये कमाल,उस पर इनकी अदाएं बेमिसाल। उस पर इनके चाहने वाले ऊंची हैसियत के अतुलनीय लोग। मतलब ये कि मैडम कम्पलीट पैकेज दिखती। अपनी गजब की मार्किटिंग करती। ऊंची ऊंची हांकती। लंबी लंबी फेंकती। ये अपने चाहने वाले अफसरों के नाम एक सांस में गिना कर खामोशी से बयान कर देती के ये दरअसल क्या बला हैं। यही के इनसे बचकर रहने में ही भलाई है। ये बिना पूछे खुद ही बता देती हैं कि इनको हवाई जहाज में बिजनैस क्लास से कम में ट्रैवलिंग पंसद नहीं है। विदेशों से ही शापिंग करना पंसद है। ड्रिंक्स में सिंगल माल्ट व्हिस्की पीना पंसद हैं। खुद एसयूवी ड्राइव करना पंसद है। उरी द सर्जिकल स्ट्राइक,फिल्म में ऐसी ही महिलाओं पर एक डायलोग भी है कि-व्हिसकी पीने वाली महिलाओं की बात ही अलग है। किसी भी शौकीन और रंगीन आदमी को लुभाने के लिए मैडम में बेशुमार हुनर हैं। इनको हरियाणा में कब और किसने पहली दफा अफसरशाही में लांच किया था, इसको लेकर कई तरह की किस्से-कहानियां हैं। ये अटल सत्य और तथ्य है कि मैडम ने पब्लिक रिलेशन महकमे की कमान प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर संभालने वाले कई लोगों को अपनी सेवाएं दी। शुरूआत आमतौर पर ये विभागीय निदेशक से ही करती थी। उसके बाद मकड़ी की तरह जाल बुन लेती थी। इन अफसरों ने मैडम की सेवाओं के एवज में इन पर जी भर के सरकारी खजाना लुटाया। अब ये इनका दुर्भाग्य कहिया या वक्त का फेर कहें,पब्लिक रिलेशन के मौजूदा सैटअप में इनको कोई घास नहीं डालता। इस वजह से इनका धंधा चौपट होता चला गया। अब इनको एक ऐसे अदद जहांगीर की तलाश है जो इनके हुस्न का कद्रदान हो और बदले में ये महकमे पर नूरजहां बन कर राज कर सकें। हरियाणा में ऐसी बलाएं-हसीनाएं-नागकन्याएं, यंू तो कई महकमों में प्रचुर संख्या में अपने अपने तरीके से सरकार को और खुद को काफी समय से समृद्ध कर रही हैं,लेकिन ये जो मैडम हैं इन्होंने अफसरों को कुछ ऐसा सांचे में उतारा है कि वे सब इनके इशारों पर नाचने लगते। कहीं ऐसा तो नहीं कि इनके पास इन अफसरों के साथ बिताए गए वक्त का सारा हिसाब किताब मौजूद हो? कच्चा चिट्ठा उपलब्ध हो? इनके चाहने वालों में महज आईएएस अफसर ही नहीं,बल्कि पुलिस के अफसर भी रहे हैं। एक ऐसे अफसर तो हरियाणा में डीजीपी के पद से रिटायर भी हो चुके हैं। मैडम की एक खूबी ये है कि ये टुच्च-मुच्च का शिकार नहीं करती। बड़ा हाथ मारती हैं। इसीलिए ऊंचे पदों पर आसीन लोग ही आमतौर पर इनकी पहली और आखिरी प्राथमिकता होते हैं। सूचना व जनसम्पर्क के एक सीनियर डिपार्टमेंटल अधिकारी के सामने एक समय में इन मैडम ने कुछ आईएएस अफसरों का नाम लेकर डराने-धमकाने-रौब जमाने की कोशिश की तो उन्होंने फाइल पर इनका ही सारा कच्चा चिट्ठा उड़ेल दिया। इसके बाद हुआ यंू कि मैडम ने इन साहब का उस ब्रांच से रातोंरात तबादला करवा कर ये बता दिया कि वो कितनी पहुंची हुई आयटम हैं। सरकारी उपलब्धियों की फिल्म बनाने का तथाकथित काम पहले जो ये अपनी शर्तो पर करती-करवाती थी, अब वैसा काम सरकार के कुछ अन्य नजदीकी लोग करने लगे हैं। इनसे अच्छा करने लगे हैं। ऐसे में अब ये मैडम अपना गुजरा हुआ जमाना वापस लाने के लिए बेताब हैं। हमारी तमाम शुभकामनाएं इनके साथ हैं। इस हालात पर कहा जा सकता है: वास्ता नहीं रखना तो नजर क्यों रखते होकिस हाल में हंू जिंदा,खबर क्यों रखते हो Post navigation मुलाकातों के पीछे की राजनीति आफ द रिकार्ड–यशवीर कादियान