वाहवाही लूटने के लिए झूठी घोषणा न हो

पंचकूला 9 जून- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में, पंचकूला के विकास को पिछले 7 सालों में एक प्रकार से ग्रहण सा लग गया है। उन्होंने कहा कि झूठी वाहवाही लूटने के लिए घोषणा करना एक बात है और उसे मूर्त रूप देने के लिए प्रयास करने में बड़ा अन्तर है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचकूला नगर विकास प्राधिकरण स्थापित करने की घोषणा की गई है। इस घोषणा से मुख्यमंत्री क्या सिद्ध करना चाहते हैं। चन्द्र मोहन ने कहा कि वह पंचकूला नगर विकास प्राधिकरण बनाए जाने के बिल्कुल भी  विरुद्ध नहीं हैं। उनका विरोध तो केवल इतना ही है कि विकास के नाम पर  लोगों को बरगलाने के साथ-साथ  वाहवाही लूटने के लिए की गई उन झूठी घोषणाओं से है।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पंचकूला के विकास की बात तो करते हैं , क्या वह बता सकते हैं कि  पिछले 7 सालों में करनाल को स्मार्ट सीटी बनाने की घोषणा करने के बावजूद भी वहां एक मैडिकल विश्वविद्यालय की स्थापना भी  आज तक  नहीं कर पाए, करनाल के लोग आज भी बिजली और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि यही हाल मुख्यमंत्री द्वारा कैथल के गाव क्योड़क का है ,जिसको मुख्यमंत्री ने बड़े चाव से गोद लिया था। आज उस गांव के लोग विकास के साथ-साथ  मुख्यमंत्री को भी ढूंढ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि  मुख्यमंत्री कहते हैं कि पूरे मोरनी क्षेत्र को टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। मैं पूछना चाहता हूं कि पिछले 7 वर्षों के दौरान ऐसी क्या योजना सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मोरनी क्षेत्र में लागू की गई है, जिससे पंचकूला के लोगों को विश्वास हो सके कि सरकार की मंशा और नियत में कोई भी फर्क नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोरनी और टिक्कर ताल को विकसित करने की जो योजना कांग्रेस के शासनकाल में बनाई गई थी, उसको भी ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है।

मुझे यह सुनकर बड़ा अच्छा लगा कि बरवाला  को फार्मा हब के रूप में विकसित किया जाएगा। यह सब्जबाग भी ऐसा ही है, जैसा गोहाना में विधानसभा के उपचुनाव के दौरान गोहाना को एक औधौगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने का झांसा दिया गया था। आज गोहाना के लोग मुख्यमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं। जहां तक बरवाला को फार्मा हब विकसित करने का प्रश्न है। यह चौधरी भजनलाल की सोच का ही परिणाम था कि उन्होंने अपने शासनकाल में  बरवाला में हरियाणा राज्य औद्योगिक आधारभूत विकास निगम के  द्वारा औधोगिक इस्टेट स्थापित करवाया था।

लेकिन अफसोस इस बात का है कि सरकार का बार -बार ध्यान आकर्षित करने  के बावजूद भी इस के विकास की दिशा में पिछले ‌7 सालों के दौरान कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। ‌ अब यहां पर फार्मा बैल्ट बनाने का सब्जबाग दिखाया  जा रहा  है। इसी प्रकार पिंजोर में एच एम टी की जमीन पर फिल्म सीटी बनाने का झूठा सपना दिखाकर जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास किया जा रहा है ‌। 

चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि विकास की परिभाषा सीखनी है तो चौधरी भजनलाल से सीखनी चाहिए थी। इसके साथ ही मैं खुले हृदय से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करूंगा कि पंचकूला जिला के विकास के लिए, चौधरी भजनलाल के द्वारा इस जिले में करवाए गए विकास कार्यों का अगर  5 प्रतिशत कार्य भी इस सरकार द्वारा  पूरा करवाया जा सके। यहां पर यह कहावत पूर्ण रूप से चरितार्थ होती है कि, कव्वा चला हंस की चाल, यह कहावत मुख्यमंत्री और पंचकूला के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता पर  खरी उतरती है।

  चन्द्र मोहन ने कहा कि भाजपा पंचकूला के विकास की हमेशा ही विरोधी रही है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1993 में कालका विधानसभा का उपचुनाव था और मैं भी इस चुनाव में एक उम्मीदवार था। लेकिन भाजपा ने यह उपचुनाव कुछ समय के लिए इस लिए स्थगित करवा दिया था कि मोरनी क्षेत्र के विकास के लिए शिवालिक विकास बोर्ड की बैठक हुई थी जिसमें विकास की ही बात की गई थी और इसके साथ ही चौधरी भजनलाल ने पंचकूला को पैरिस बनाने की घोषणा की थी, लेकिन यह विकास की बात भाजपा को हज़म नहीं हुई और भाजपा ने चुनाव आयोग से  इसकी शिकायत कर दी और आयोग ने इस शिकायत के आधार पर उपचुनाव  कुछ समय के लिए  स्थगित कर दिया। वह तो कालका के लोगों का असीम प्यार और स्नेह ही था कि, जिन्होंने विकास के नाम पर वोट देकर इस क्षेत्र के विकास का रास्ता प्रशस्त किया था।  

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पुलिस की भर्ती में मोरनी क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले युवाओं को कद में एक इंच की छूट दी जाए ताकि इनको भी पुलिस में सेवा करते समय लोगों की सेवा करने का अवसर मिल सके। इसके साथ ही शिवालिक विकास बोर्ड के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्र में लगाए जाने वाले उद्योगों के लिए पहाड़ी क्षेत्रों की तर्ज़ पर  7 साल तक टैक्स में छूट देने के साथ साथ हिमाचल सरकार की तर्ज पर बिजली की दरों में भी छूट दी जाए ताकि इस क्षेत्र का औद्योगिक दृष्टि से सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।                                

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