टोहाना में देवेंद्र बबली ने लिए मुकदमे वापिस, अपशब्दों के लिए जताया खेद

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज सारा दिन अधिकांश जनता की उत्सुकता इसी में बनी रही कि किसानों का विधायकों, सांसदों के घर के आगे प्रतियां फूंकने का कार्यक्रम कैसा चल रहा है और सोशल मीडिया के माध्यम से हर स्थान से यह खबरें आती रहीं कि किसान डटे हुए हैं, पुलिस का पूरा इंतजाम है और किसानों ने काले कानूनों की प्रतियां फूंकी। फिर अधिकांश जगहों से किसान टोहाना की ओर रवाना हो गए। 

दूसरी ओर भाजपा के विधायक से लेकर सक्रिय कार्यकर्ता तक विश्व पर्यावरण दिवस मनाने और पौधा लगाने की फोटो खिंचवाकर भेजने में लगे रहे। हां एक बात और, भाजपाइयों ने आज कोरोना से मरे लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। 

जनता में एक बात आ रही थी कि सारे भाजपाई पौधे लगाकर और यह कहकर हमने श्रद्धांजलि का कार्यक्रम किया कोरोना से मरे लोगों के परिवारों के साथ एक तरह का मजाक है। जनता की बातों से लबोलबाब यह निकला कि यदि सरकार कोरोना पीडि़त जो दवाओं या ऑक्सीजन की कमी से मरे, उनकी जांच कराते और मजेदारी की बात जो निकलकर आई वह यह कि भाजपाइयों को यह भी नहीं पता था कि वह कितने और कहां के लोगों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। जनता से बात आई थी कि यह हमारा स्वास्थ्य सुविधाओं और हमारी परेशानियों से ध्यान हटाने का एक प्रयास है, जो भाजपाइयों को प्रसन्न करेगा, जनमानस पर इसका कोई असर पडऩे वाला नहीं है।

सरकार की ओर से पहले गृहमंत्री अनिल विज का ब्यान आया था कि हम आंदोलन के विरोधी नहीं हैं लेकिन आंदोलन में यदि कानून का उल्लंघन हुआ तो क्षतिपूर्ति कानून के अनुसार कार्यवाही की जाएगी और आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी कहा कि आंदोलन करें, कानून तोडऩे की इजाजत किसी को नहीं है, कानून अपना काम करेगा। इन शब्दों से ऐसा लगता है कि सरकार अब सख्ती से इस आंदोलन से निपटेगी।

इधर टोहाना में किसानों का सैलाब उमड़ पड़ा था और वहां अनेक किसान नेता उपस्थित थे। राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूणी भी वहीं थे तथा मंच से बार-बार यह कहा जा रहा था कि किसान मुकदमे, लाठी, बंदूक से डरने वाला नहीं, सरकार को हमारी मांगें माननी पड़ेंगी। देवेंद्र बबली के बारे में बार-बार यह कहा जा रहा था कि उसने यह गलती की है, निर्दोषों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। उसे मुकदमे वापिस लेने होंगे और कहे हुए अपने अपशब्दों पर माफी मांगनी होगी। उनका कहना था कि उनका भाई किसान आंदोलन के साथ है और ये भी पहले साथ होने का दावा कर रहे थे। सरकार आनी-जानी चीज है, रहना तो यहीं है। यहीं नहीं हम हरियाणा में भी कहीं उन्हें निकलने नहीं देंगे। किसानों की ओर से कहा जा रहा था कि वह जिन पर मुकदमे दर्ज हैं, साधारण और भोले इंसान हैं, जबकि देवेंद्र बबली जनता का चुना प्रतिनिधि है और जनप्रतिनिधि के मुंह से ऐसे शब्द निकलना अति निंदनीय है।

सरकार की ओर से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हुए थे और उसके पश्चात भी मंच से किसान नेता बार-बार यह कह रहे थे कि एसडीएम साहब सुधर जाओ, सरकार तो आती-जाती रहती है, साथ ही किसानों का यह भी कहना था कि पुलिस में अधिकांश बच्चे किसानों के हैं। वह कौन नालायक था, जिसने 60 साल की बूढ़ी अपनी मां पर लाठी चला दी। इस प्रकार यह दिखा कि आंदोलनकारी सरकार, सुरक्षा प्रबंध, मुकदमे और लाठियों के डर से आगे निकल गए हैं। इस प्रकार आज लगा कि सरकार बैकफुट पर है।

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