भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। देवेंद्र बबली कांड पर सरकार की चुप्पी सरकार के बैकफुट पर होने का प्रमाण है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज दुष्यंत चौटाला ने अपने सभी विधायकों के साथ देवेंद्र बबली प्रकरण पर चर्चा की और चर्चा के पश्चात वह मुख्यमंत्री से भी मिलने गए लेकिन यह ज्ञात नहीं हो सका कि क्या बात हुई।

हिसार रामायण टोल पर राकेश टिकैत ने खुद मोर्चा संभाल रखा है और रास्ता जाम कर रखा है। उनका कहना है कि जब तक किसान रिहा नहीं होंगे, तब तक हम यहीं जमे रहेंगे। इधर कल जिस प्रकार से किसानों की तरफ से बातें आ रही हैं कि वे सांसदों और विधायकों के घरों का घेराव करेंगे और मजेदारी यह कि सरकार की ओर से इस विषय पर कोई ब्यान आ नहीं रहा है। ऐसा मुमकिन है कि सरकार ने कोई गुप्त रणनीति तैयार कर रखी हो इस आंदोलन से निपटने के लिए, जो कल ही सामने आएगी, क्योंकि यह तो नहीं माना जा सकता कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी।

इस कांड में कल गुरनाम सिंह चढूणी ने कहा था कि जिन्होंने हिंसा की हम उनके साथ नहीं हैं। इसके उलट राकेश टिकैत का कहना है कि अगर किसी ने कोई गलती कर दी तो क्या वह किसान नहीं रहा और हम किसानों के साथ हैं।

राजनीति की बात करें तो बलराज कुंडू रामायाण टोल पर राकेश टिकैत के साथ जमे हुए हैं। इनेलो के महासचिव अजय चौटाला का कहना है कि देवेंद्र बबली को मोहरा बनाकर सरकार खेल खेल रही है, जबकि कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर भाजपा की तरह ही खामोशी है।

सरकार की ओर देखो तो वह एक समय में कोरोना के कम होने पर उसका श्रेय लेने में लगी है। कोविड की स्पेशल ड्यूटियों पर लगाए एचसीएस/आइएएस वापिस बुला लिए हैं और दावा कर रहे हैं कि हम तीसरी लहर की तैयारी कर रहे हैं।

इस बीच किसान संगठनों और राजनीतिज्ञों की निगाह देवेंद्र बबली पर टिकी हुई हैं। देवेंद्र बबली के माफी मांगने पर मामला पहले समाप्त हो सकता था लेकिन समय के साथ जिस प्रकार टिकैत खड़े हो गए हैं और उनकी मांग है कि देवेंद्र बबली ने भी गालियां दीं, अराजकता फैलाई, ऐसे में जिन-जिन धाराओं पर किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हीं धाराओं पर देवेंद्र बबली पर भी मुकदमे दर्ज हों।

अब देखना होगा कि कल के काला दिवस में देवेंद्र बबली कांड से किसानों को बल मिलता है या आंदोलन कमजोर पड़ता है, क्योंकि राकेश टिकैत एक स्थान पर जमे हुए हैं। 

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