भिवानी/मुकेश वत्स

अपनी बहाली की मांग को लेकर बर्खास्त शारीरिक शिक्षक पिछले एक वषे धरने पर बैठे है, लेकिन प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। जिसके चलते बर्खास्त पीटीआई को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बर्खास्त पीटीआई के सामने आने वाली परेशानियों को प्रदेश सरकार भले ही नजरअंदाज कर रही हो। परन्तु बर्खास्त पीटीआई की परेशानियों को देखकर दूसरे अध्यापक का दिल भी पसीज रहा है।

गांव रिवाड़ीखेड़ा के सरकारी विद्यालय में बतौर लैक्चरर कार्यरत्त सुरेंद्र सिंह तंवर सोमवार को सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति पर किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन न कर बर्खास्त पीटीआई द्वारा जारी धरने में सहयोग देने की सोची तथा धरने पर पहुंचकर सुरेंद्र सिंह ने 2100 रूपये की आर्थिक सहायता दी। साथ ही उन्होंने विभिन्न सामाजिक एवं कर्मचारी संगठनों से भी बर्खास्त पीटीआई की लड़ाई में साथ देने की अपील की। इस मौके पर धरने को संबोधित करते हुए सेवानिवृत्त लैक्चरर सुरेंद्र सिंह तंवर कहा कि प्रदेश सरकार ने हठधर्मिता व तानाशाही की सारे हदें पार कर दी हैं। जिनके वोटों को पाकर भाजपा सत्ता में आई। आज उन्ही की मांगों को नजरअंदाज कर लोकतंत्र की हत्या करने में लगी हैं।

उन्होंने कहा कि बर्खास्त पीटीआई को धरने पर बैठे पूरा एक वर्ष बीत गया है, लेकिन प्रदेश सरकार सिर्फ झूठे आश्वासन व वायदे कर पीटीआई को बरगलाने का कार्य कर रही हैं। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि बर्खास्त पीटीआई द्वारा एक जून मंगलवार को काला दिवस मनाते हुए प्रदेश भर के प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप उन्हे अपना वायदा याद दिलाया जाएगा।

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