भारत सारथी/ऋषि पकाश कौशिक

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पिछ्ले 15 दिन में आज दूसरी बार दिल्ली में हाजिरी लगाने के लिए बुलाया गया। वैक्सीन की राज्य में उपलब्धता और उसे प्रतिबंधित तरीके से लोगों को लगाने को लेकर मुख्यमंत्री ने कल एक विवादित बयान दिया जिससे वे कड़ी आलोचना के शिकार हो गए। वे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नसीहत देने की आड़ में अपनी नीतियों की तारीफ करना चाह रहे थे लेकिन पासा उल्टा पड़ गया और सोशल मीडिया पर सरकार की भद्द पिटवा ली।    

 कोई सोच भी नहीं सकता कि राज्य का मुख्यमंत्री ऐसा बचकाना बयान दे सकता है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि हमारे पास दो लाख वैक्सीन हैं तो उन्हें हम एक दिन में लोगों को नहीं लगाएंगे बल्कि 50-50 हजार वैक्सीन चार दिन लगाएंगे। साथ ही यह भी कहा कि कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक साथ वैक्सीन क्यों लगाई। परोक्ष रूप से यह नसीहत दे रहे थे कि हमारी तरह केजरीवाल को भी वैक्सीन रोक कर रखनी चाहिए थी। वे खुद तो गलत कर रहे हैं, दूसरों को भी ग़लत रास्ता दिखा रहे हैं।

इस वक़्त जनता को तुरंत वैक्सीन की जरूरत है जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी छवि चमकाने के लिए जानबूझकर जल्दी वैक्सीन नहीं दे रहे हैं। खट्टर के इस गैर जिम्मेदाराना बयान से हरियाणा सरकार कटघरे में आ गई है। कोई भी परिपक्व नेता इस तरह का बयान नहीं दे सकता।

खट्टर की दिल्ली में आज की हाजिरी को कल के बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है। यह महज इत्तेफ़ाक नहीं है कि मुख्यमंत्री के अदूरदर्शी फैसलों या बयानों से जब भी राज्य सरकार कटघरे में आती है और फजीहत होती है तो उसके अगले दिन मुख्यमंत्री दिल्ली में होते हैं और
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करते हैं। इससे पूर्व हिसार वाली घटना में भी ऐसा ही हुआ था ।

आज तो मुख्यमंत्री की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हुई या यूं कहें पहले मुलाकात प्रधानमंत्री से हुई लेकिन उसके पश्चात भी ऐसा लगा कि गृहमंत्री से भी मिलना आवश्यक है अतः वह गृहमंत्री से भी मिले हालांकि मुख्यमंत्री ने उसके पश्चात प्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही बयान दिया है की प्रधानमंत्री हमारी कोरोनावायरस से लड़ने की रणनीति से संतुष्ट हैं ।

इस मुलाकात के क्या अर्थ लगाए जाएं। यही ना कि गृहमंत्री उन्हें सम्भल कर बयान देने की नसीहत देते होंगे और हालात से निपटने की रणनीति पर चर्चा की जाती होगी या फिर मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में चर्चा हुई होगी लेकिन इस समय में यह संभावना कुछ कम ही लगती है ।

हिसार की घटना से भी सरकार की किरकिरी हुई। उसके लिए भी बचकानी और अदूरदर्शी नीतियां जिम्मेदार हैं। इस घटना के बाद अगले दिन ही खट्टर को देश की राजधानी तलब कर लिया गया। जाहिर है सैर सपाटे के लिए तो नहीं बुलाया गया होगा। उन्हें उनकी गलत नीतियों का एहसास कराया गया होगा और मामला निपटाने के लिए नरम रूख अख्तियार करने की सलाह दी गई होगी। 24 मई को राज्य सरकार ने किसानों के साथ जो समझौता किया है उसमें केंद्रीय नेतृत्व की नसीहत साफ दिख रही थी। हरियाणा सरकार का समझौते में नरम रुख यह साबित करता है कि  केंद्रीय नेतृत्व अब हरियाणा की जनता से टकराव के हालात टालना चाहता है। 

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