केंद्रीय योजनाओं के प्रचार प्रसार का जरिया भर रह गए भाजपाई : माईकल सैनी

केंद्र सरकार के सात वर्ष पूरे होने पर जश्न नहीं मना सके भाजपाइयों ने #सेवा -ही-सँगठन-है कैम्पेन चलाकर पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के मार्गदर्शन में घर-घर जाकर मास्क सैनेटाइजर वितरित करने के साथ पार्टी के उद्घोषों का प्रपत्र भी वितरित किया गया जिसे अनुमन सभी कार्यकर्ताओं को दायित्व पूर्ति के तौर पर सोपा गया लगता है ।

अब वो बात अलग है कि केंद्र की असंख्य योजनाओं के अमल पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हुए महज उनका प्रचार भर करके पार्टी हाई कमान को राजी करने में ही व्यस्त दिखाई दे रही हैं सभी जिला कार्यकारिणीयाँ – कमसकम गुरुग्राम शहर में तो यही सब चल रहा है सेल्फियां लेकर अपने नंम्बर बनाने की होड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है फिर चाहें उसके लिए नियम कायदों की धज्जियां ही क्यों न उड़ानी पड़े , गाइडलाइंस का उलंघन ही क्यों न करना पड़े ।।

देंखा गया है कल तीन से चार स्थानों पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए जहाँ कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगाकर ग्रुप फोटोज लिए जा रहे थे अर्थात शोशल डिस्टेंसिंग की पालना बिल्कुल नहीं की गई अब सवाल यह उठता है कि कोरोना के इलाज में ब्लड की जरूरत होती है क्या जब्कि प्लाज्मा थैरेपी को डब्ल्यूएचओ सहित आईसीएमआर आईएमए ने ही गैरजरूरी बताया है तो ?

कोरोना संक्रमण से महामारी फैलने का खतरा अभी टला नहीं है उस सूरतेहाल लोगों को एकत्रित कर रक्तसंचयन कार्य क्यों किया जा रहा है और फिर भी अपने आप को महान दिखाने का इतना ही शोंक है तो भाजपा जिला कार्यकारिणी और एक्टिव कार्यकर्ताओं की कौनसी कमी थी भाजपा में जब्कि विश्व का सबसे बड़ा सँगठन बताते हैं अपना ?

अमल करते तो निरीक्षण करते स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का दवाओं की किल्लत तो नहीं , वैक्सिन्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने जाते और स्वच्छता पर ध्यान देते , एम्बुलेंस की लूटमारी जारी तो नहीं – रोड, सीवरेज ,पानी की व्यवस्थाएं ठीक है कि नहीं पता करते और क्या यह मूलभूत सुविधाएं देना प्राथमिकता में नहीं भाजपा के ?

प्राइवेट होस्पिटलों में ईडब्ल्यूएस केटेगिरी के कितने लोग भर्ती हैं उनकी तीमारदारी कैसी चल रही है ,दवाएं टाइम से मिल रही हैं कि नहीं , उनसे बेहतर इलाज के नाम पर अतिक्त राशि तो नहीं वसूली जा रही है और उनसे दवाएं बाहर से तो नहीं मंगवाई जा रही है तथा उनके साथ व्यवहार कैसा किया जा रहा है – यह सब भी तो भाजपा सरकार की घोषणाओं में ही शुमार है तो क्या इन विषयों को अमल में लाया गया भाजपाईयों द्वारा ?

मेरा सवाल यह है कि होमकवारन्टीन संक्रमितों को जो किट पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे क्या किसी नेता ने प्रयास किया कि जाँच की जाए वास्तव में कितने लोगों तक पहुंची है सहायता सरकार की ?

स्वास्थ्य टीमों के साथ जाकर निरंतर सैनेटाइजेशन हो रहा है कि नहीं , क्षेत्र में अन्य संक्रमित तो नहीं इसकी जांच उपरांत तस्दीक की जानी चाहिए थी और उनकी तबीयत के बारे में जानना चाहिएँ था जीवनयापन कैसे चल रहा है क्या जानने का प्रयास किया किसी ने ?

बकौल तरविंदर सैनी (माईकल ) समाजसेवी गुरुग्राम यह तमाम भाजपाई अपने अपने आकाओं को खुश करने के लिए कुछ भी गलत सही कर सकते हैं मगर सवाल जब जनता की भलाई के लिए कोई कार्य करने का आता है तो सब के सब अदृश्य हो जाते हैं , इनकी असल गतिविधियां संकटकाल के समय दिखाई नहीं देती बल्कि संकट टल जाने के बाद सिर्फ यही लोग दिखना चाहते हैं और कोई नहीं यदि किसी ने प्रयास किया इनकी जागीर (जनता)जो इन्होंने समझ रखी है उसके दिल में जगह बनाने का तो उसपर आरोप तमाम लगा देती है इनकी पैरवी कर रही संस्थाएँ क्योंकि सत्ताधारी दल हैं यह भाजपाई चूंकि अब जब तब आखिर प्रचार जो करना है पार्टी की नीतियों का , आलाकमान की नजरों में हीरो जो बनना चाहते हैं ।

खैर बातें बहुत सी है अगली बार कह देंगे :माईकल सैनी फिलहाल तो यह कठपुतलियां ही हैं हमारी और जनता की नजर में जिन्हें केवल प्रचार प्रसार के लिए ही इस्तेमाल कर रही है भाजपा ।।

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