नई शिक्षा नियमावली 2003 संशोधित से बन्द हो जायेगे 3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूल

युमनानगर – वन स्टेट वन यूनियन के संस्थापक सदस्य सुमित चावला के नेतृत्व में प्रदेशस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर से उनके निवास स्थान पर मुलाकात की। सुमित चावला ने 2003 से पहले के स्कूलों की पैरवी करते हुए कहा कि वर्ष 2003 से ही कई प्राइवेट स्कूल हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा स्थाई मान्यता प्राप्त करने की बाट जोह रहे है। गौरतलब है कि वर्ष 2003 से पहले स्कूलों को स्थाई मान्यता लेने के लिए पहले स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा अस्थाई मान्यता लेनी होती थी, फिर कुछ वर्ष उपरांत स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा स्थाई मान्यता प्रदान कर दी जाती थी। परंतु वर्ष 2003 में नई शिक्षा नियमावली आने के बाद कुछ स्कूलों को स्थाई मान्यता दी गई और बहुत से स्कूल उसी प्रकार अस्थाई मान्यता के आधार पर चल रहे है जो किसी कारणवश रह गए।

नियमानुसार वे सभी विद्यालय जो 2003 से पूर्व संचालित है उन्हें विभाग द्वारा एकमुश्त स्थाई मान्यता दे दी जानी चाहिए थी। परंतु कई सरकारें आई लेकिन ये मामला ज्यों का त्यों बना रहा । उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार ने अपने 2014 के चुनावी घोषणापत्र में प्राइवेट स्कूलों के हित मे कार्य करने का वादा भी किया था परंतु अब तक भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया गया है। वन स्टेट वन यूनियन का प्रतिनिधिमंडल इस दिशा में कई बार शिक्षामंत्री व अन्य संबंधित अधिकारियों से भी मिल चुका है। सरकार से मांग है कि वह 2003 से पूर्व संचालित स्कूलों को एकमुश्त स्थाई मान्यता प्रदान करे ताकि ये स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का सहयोग कर सके।

इस अवसर पर शिक्षामंत्री ने कहा कि वन स्टेट वन यूनियन व अन्य स्टेट यूनियन के आग्रह पर विभाग द्वारा बनाई कमेटी ने 2003 से पूर्व स्कूलों के लिए व अन्य अस्थाई स्कूलों के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिसके तहत 60% स्कूल नियमों के तहत अपने से निचले स्तर पर अपनी जमीन के अनुसार प्राइमरी, मिडिल या सैकण्डरी स्तर के स्कूल की स्थाई मान्यता ले पाएंगे व बाकी के 40% स्कूल जो किसी भी स्तर तक स्थाई नही है और न ही किसी भी स्तर तक जमीन की शर्त पूरी करते है उन्हें तो बंद करना ही पड़ेगा। और न ही 3200 स्कूलों के लिए इस वर्ष के लिए एक्सटेंशन लैटर जारी होता दिख रहा है

इस पर सुमित चावला ने शिक्षामंत्री के संज्ञान में लाया कि सरकार ने 2003 से पूर्व स्कूलों के लिए नियमों में जो सरलीकरण किया है वह ऊँट के मुँह में जीरे के सामान है इसके तहत अब भी 90% स्कूल ऐसे जो इन नियमों को न पूरा कर पाने के कारण आगामी सत्र में बंद हो जाएंगे। जिससे इन स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग दस से बारह लाख बच्चों का भविष्य अधर में लटका है।

विभिन्न जिलों से आए सात सदस्यी प्रतिनिधिमंडल में शामिल यमुनानगर से कौशल श्रीवास्तव, झज्जर से अशोक कुमार, सोनीपत से विकास खोखर, कुरुक्षेत्र से बलवंत सिंह,रोहतक से भारत चावला व बंटी शर्मा ने शिक्षामंत्री से आग्रह किया कि इस कोरोना आपदा को देखते हुए सरकार व विभाग से निवेदन है कि इस वर्ष प्राइवेट स्कूल संचालक किसी भी प्रकार का अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाने में सक्षम नही है। व किसी भी प्रकार से जारी किए गए नोटिफिकेशन को पूरा करने की स्थिति में नही है न ही किसी प्रकार की विभागीय गतिविधि का सामना करने की स्थिति में है। इस लिए कोरोना की विकट परिस्थिति व बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष निजी स्कूलों तुरंत प्रभाव से हर संभव राहत दी जाए।

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