छह माह से काले दिवस

कमलेश भारतीय

आज किसान आंदोलन की ओर से काला दिवस मनाये जाने का आह्वान है क्योंकि आंदोलन को चलते छह माह पूरे हो जायेंगे । वैसे देखा जाये तो पिछले छह माह से किसानों के लिए तो काले दिन ही हैं । तीन कृषि कानून लागू कर केंद्र सरकार निश्चिंत होकर बैठी है और किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहले सर्दी, फिर गर्मी हर मौसम झेल रहा है अपने बदन पर । कितने तरीके अपना लिए इन्हें हटाने के । कभी लोकल लोगों के नाम पर तो कभी कोरोना के नाम पर तो कभी कंटीली तारें लगा कर या सड़कें खुदवा कर रास्ता रोकने की कोशिश पर किसान टस से मस नहीं हुए । गोदी मीडिया इन दिनों फिर यह चर्चा चला रहा है की कोरोना के नाम पर एक बार आंदोलन स्थगित कर दो । अरे , इतना ही दर्द है तो सरकार को कहिए कि वार्ता के द्वार खोले और इनकी बात सुन कर न्याय दे । पर नहीं । उधर कुछ कहते नहीं बनता तो इधर ही इल्जाम धरे जा रहे हैं । तीन सौ से ऊपर किसान इसमें अपने प्राणों की आहुति दे चुके और सबसे अंतिम आहुति हिसार के प्रदर्शन के दौरान हुई जब एक किसान इसी प्रदर्शन में दम तोड़ गया ।

हुक्मरान को गम बहुत है मगर बड़े आराम के साथ । इसीलिए इनको भूल भुला कर पश्चिमी बंगाल के चुनाव में चल दिये थे । उधर खुद कोरोना फैलाया और यही गोदी मीडिया चुप रहा । अब किसान कह रहे हैं कि हम इंजेक्शन लगवाने को तैयार हैं पर ये कह रहे हैं कि हम तो जांच करेंगे और फिर सबको वापस जाने की कह देंगे ।

चुनाव खत्म । पश्चिमी बंगाल से भी मुक्त कर दिया दीदी ने पर वो गाना है न कि देख तेरा ध्यान किधर है, किसान इधर है । किसान की ओर तो ध्यान ही नहीं । हिसार में यदि ध्यान होता तो लाठीचाॅर्ज न होता और फिर प्रदर्शन न होता । किसानों पर दर्ज केस एक माह तक वापस लेने की सहमति हुई है ।

पंजाब से एक फोटो आ रही है कि पूर्व मंत्री और क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू अपनी धर्मपत्नी के साथ अपने घर पर किसानों के समर्थन में काला झंडा लगाये खड़े हैं । मजेदार बात कि इनकी अपने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से नहीं पट रही । खूब खटपट चल रही है । जहां कैप्टन अपील कर रहे हैं कि आंदोलन न करो , वहीं नवजोत विरोध का काला झंडा लगाये खड़े हो गये हैं । यह नहीं पता चल रहा कि कैप्टन के विरोध में झंडा लगाया है या किसानों को समर्थन देने के लिए लगाया है । फिलहाल नवजोत अपने पंख तोलते रहते हैं और बीच बीच में दिल्ली हाई कमान भी पीठ थपथपा देती है । कांग्रेस हाईकमान की यही नीतियां इसे धरातल की ओर लिये जा रही हैं । उधर राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री गहलोत के बीच फिर सुगबुगाहट बाहर सुनाई देने लगी है । संभल जाओ और समय रहते सुन लो और समझ लो हाई कमान नहीं तीर एक बार कमान से निकला फिर वापस नहीं आता ।

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