हकृवि व जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में धान की सीधी बिजाई विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हिसार : 26 मई – वैश्विक स्तर पर जल की समस्या गंभीर होती जा रही है। भारत मेें प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में 1950 और 2005 के बीच 68 प्रतिशत की कमी आई है और 2050 तक यह 77 प्रतिशत तक घटने की संभावना है। देश में चावल सबसे महत्वपूर्ण फसल है और आधी से अधिक आबादी के लिए एक मुख्य भोजन है। हरियाणा केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का एक प्रमुख योगदानकर्ता है। राज्य से बासमती चावल का 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात हो रहा है। हरियाणा में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों के बावजूद, किसान राज्य में धान-गेहूं चक्र में फंस गए हैं। धान के लिए पानी की सबसे अधिक जरूरत होती है, वहीं प्रदेश में गिरते भूजल स्तर के लिए जिम्मेदार है और लगातार प्रदेश में धान की खेती का रकबा भी बढ़ रहा है। यह पारंपरिक विधि से की जाने वाली चावल की खेती की तुलना में 20 प्रतिशत तक पानी बचाने में मददगार साबित होगा। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय में ऑनलाइन माध्यम से धान की सीधी बिजाई-अवसर, समस्या और समाधान विषय को लेकर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। वेबिनार का आयोजन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार व खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। मुख्यातिथि ने कहा कि हरियाणा और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में चावल की परम्परागत तरीके से खेती की जा रही है, जिसमें जल व श्रम की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। इसलिए धान की सीधी बिजाई पानी की बचत और कम खर्च से चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी करती है। साथ ही यह जल संरक्षण और टिकाऊ खेती की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। धान की सीधी बिजाई से श्रम की बचत के साथ-साथ ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को भी कम करता है। प्रतिरोपित फसल की तुलना में सीधी बिजाई से फसल में कीटों और रोगों (जैसे फुट रोट और बकाने, शीथ ब्लाइट) के संक्रमण की संभावना कम होती है। मेरा-पानी मेरी विरासत की दी जानकारी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियान के सस्य विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम.एस. भुल्लर मुख्य वक्ता थे। उन्होंने धान की सीधी बिजाई में खरपतवारों की रोकथाम, बिजाई का समय, लेजर लेवलर से जमीन की तैयारी, बीज की मात्रा व बीज का शोध, भारी व मध्यम जमीनों में सीधी बिजाई की सावधानियां, कम समय में पकने वाली किस्मों के प्रयोग की जानकारी दी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डॉ. हरदीप सिंह ने प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही जल संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। साथ ही मेरा पानी मेरी विरासत योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए किसानों का आह्वान किया। इन्होंने भी धान की सीधी बिजाई को लेकर रखे अपने विचार इस वेबिनार में विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने सभी का स्वागत किया। खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर के निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्रा, डॉ. राजवीर ङ्क्षसह, डॉ. एस.के. सिंह ने भी वेबिनार में अपने विचार रखे। पैनल डिस्कशन में डॉ. सतबीर सिंह पूनियां, डॉ. धर्मबीर यादव, राजबीर गर्ग व डॉ. जसवीर सिंह शामिल हुए। सस्य विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस.के. ठकराल ने सभी का धन्यवाद किया। वेबिनार के आयोजन संयोजक डॉ. टोडरमल व डॉ. अंकुर चौधरी जबकि सह संयोजक डॉ. वी.एस. हुड्डा और डॉ. संदीप रावल थे। वेबिनार में विश्वविद्यालय के अलावा विभिन्न संस्थानों से वैज्ञानिक, विद्यार्थी और देशभर से किसान शामिल हुए। Post navigation ये जीवन-मृत्यु का गंभीर समय है, आपसी रस्साकशी का नहीं। छह माह से काले दिवस