-कमलेश भारतीय

चैलेंजिंग काम करने के लिए एमबीबीएस हो जाने के बावजूद आईएएस में आया । यह कहना है हरियाणा के मुख्यमंत्री के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी और सूचना , जनसम्पर्क व भाषा विभागों से भी जुड़े डाॅ अमित कुमार अग्रवाल का । मेरा उनसे गहरा परिचय तब हुआ जब वे हिसार के उपायुक्त पद पर रहे । बहुत हंसमुख और सरल । मज़ेदार बात यह कि इस समय भी हिसार की उपायुक्त एक एमबीबीएस डाॅक्टर पहले बनीं और आईएएस बाद में बनीं डाॅ प्रियंका सोनी हैं । इसी प्रकार इनके पति व जींद के उपायुक्त डाॅ आदित्य दहिया भी पहले एमबीबीएस डाॅक्टर और बाद में आईएएस बने ।

मूल रूप से जयपुर के निवासी डाॅ अमित कुमार अग्रवाल ने वहीं के एस एम एस मेडिकल काॅलेज से एम बी बी एस की । पर न तो प्राइवेट और न ही सरकारी किसी भी स्तर पर डाॅक्टर के तौर पर प्रैक्टिस की ।

-ऐसा क्यों ?
-मुझे चैलेंजिंग काम करना था और मैं आईएएस की तैयारी में जुट गया और चुना गया।

जाॅब कहां कहां ? गुरुग्राम में असिस्टेंट कमिश्नर, हिसार में एस डी एम , पानीपत में ए डी सी, फरीदाबाद में हूड्डा प्रशासक, यमुनानगर, हिसार , पलवल , रोहतक और फरीदाबाद में उपायुक्त ।

-हिसार किस रूप में याद आता है ?
-हिसार एक संवेदनशील व चैलेंजिंग जिला है । यहां कोई न कोई चैलेंज हमेशा रहता है । अढ़ाई साल में सबसे बड़ा मिर्चपुर कांड भी याद है और पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं । हांसी हो या हिसार यहां पर्यटन की संभावनाएं हैं । हिसार के गूजरी महल में बडाली बर्दर्ज का कार्यक्रम आयोजित करवाया था ताकि लोग इससे जुड़ें। राखी गढ़ी भी विश्व पटल पर आ चुका है । इनकी मूल रूपरेखा अपने समय में ही बनाईं । अग्रोहा भी गया था ।

-आपको अगर खाली समय मिलता है तो क्या करना पसंद है ?
-फोटोग्राफी।

-कोई प्रदर्शनी लगाई ?
-अब तो डिजिटल का जमाना आ गया । प्रदर्शनी कम ही लगती हैं । कभी समय मिले तो यह प्रयोग भी करूंगा ।

-आईएएस की जाॅब को कैसे मान कर चलते हैं आप ?
-देखिए अंग्रजों के समय इस पद का नाम था कलेक्टर । यानी सिर्फ लगान वसूल करने वाला मुख्य अधिकारी जबकि स्वतंत्र भारत में यह बड़ी जिम्मेदारी है जनसेवा की । मैं अपने आपको सौभाग्यशाली समझता हूं कि इस सेवा के लिए चुना गया और अपनी ओर से भरसक काम करता हू ।

आज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कौन सी मानते हैं ? जनता व समाज को कोविड से बचाना ।

-कोविड के दौरान प्रदेश के कलाकार भी परेशान हैं और सरकार से आर्थिक सहायता मांग रहे हैं । क्या कहेंगे?
-देखिए कलाकार ही नहीं हर वर्ग परेशान है और हमें आर्थिक आजीविका के साधन के आधार पर सोचना चाहिए । ग्रुप्स बेस्ड नहीं, इनकम बेस्ड सोचने पड़ेगा । जिन परिवारों की आय 1,80 हजार रुपये से कम की वार्षिक आय हो उनके परिवार के बारे में सोचना पड़ेगा । इनको सहायता पात्र माना जा सकता है , फिर चाहे वे कलाकार हों या कोई साजिंदे या कोई और । इनको योजनाओं का लाभ पात्र बनाया जाये । अन्य सुविधायें भी मिलें ।

-कुछ परिवार के बारे में बताइए ?
-मेरी पत्नी सोनल है जो कम्प्यूटर इंजीनियर है । दो बच्चे हैं -सान्वी और अद्वित ।

-आपको किससे प्रेरणा मिली या मिलती रहती है ?
-किसी एक का नाम तो नहीं ले सकता लेकिन जैसे इन दिनों डाॅ के के अग्रवाल काम कर रहे थे और कोरोना से निपटने के लिए आखिरी दम तक प्रेरित कर रहे थे , वह बहुत प्रभाव छोड़ गये । ऐसे ही कोई भी व्यक्ति चाहे सरकारी उच्च पद पर हो या किसी छोटे पद पर अपने काम से आपको प्रेरित या प्रभावित कर सकता है तो प्रेरणा ले लेनी चाहिए । यहां से अच्छा उदाहरण मिले ले लेना चाहिए।

हमारी शुभकामनाएं डाॅ अमित कुमार अग्रवाल को ।

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