हिसार जिले के मसूदपुर, जींद का दानोदा, फतेहाबाद तथा कैथल जिले का शिमला गांव ने किया असहयोग आंदोलन का ऐलान।
 लाठीचार्ज के बाद पंचायत ने किया विद्रोह, मसूदपुर गांव की पंचायत ने सर्वसम्मति से लिए कई चौंकाने वाले फैसले।
शिमला व मसूदपुर गांव के लोगों ने कहा किसी अधिकारी कर्मचारी को नहीं घुसने दिया जाएगा गांव में पुलिस -प्रशासन घुसा तो लठ बरसाएंगे।
अव्यवस्थाओं के शिकार नवनिर्मित अस्थाई कोविड अस्पताल।
भाजपा के लोग जनता से तो अपेक्षा रखते हैं और खुद सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का इस्तेमाल नहीं करते।

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के चार गांवो से चौंकाने वाली खबरे आ रही है। इसमें एक हिसार जिले के मसूदपुर, जींद जिले का दनोदा, एक फतेहाबाद जिले का गांव है था चौथा कैथल जिले का शिमला गांव है जिसने सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन का ऐलान कर दिया है। दोनों गांव के लोगों ने सरकार के किसी भी कर्मचारी अधिकारी से निपटने के लिए कमेटियां गठित कर दी है और निर्णय ले लिया है की हर परिस्थिति में सरकार का विरोध किया जाएगा।

कोरोना महामारी के बीच देश के कई राज्यों में सरकारों के हाथ-पांव फूले हुए हैं। कई जगह से लोगों के द्वारा सरकारी पाबंदी की अवहेलना के मामले भी सामने आ रहे हैं। इसी बीच हरियाणा के एक गांव में पंचायत ने ऐलान किया है कि लॉकडाउन का किसी भी सूरत में पालन नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन को पंचायत ने हटा दिया गांव की सभी दुकाने पहले की तरह खुली रहेंगी। गांव में फल और सब्जियों के रेट में कटौती की गई पंचायत द्वारा तय है कीमत पर  फल और सब्जियां बेचने होंगे।

गांव में की जाने वाली शादी समारोह में किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होगी खासकर लोगों की संख्या को लेकर। गांव वालों ने खुली चेतावनी दी है कि अगर पुलिस-प्रशासन का कोई अफसर गांव में घुसा, तो यहां तैनात लठैत उसे फोड़ डालेंगे। सरकार का खुलकर विरोध करने वाला यह गांव हिसार जिले का मसूदपुर है। दो दिन पहले हिसार में किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में मंगलवार को गांव में महापंचायत हुई। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। पंचायत के फैसले के मुताबिक गांव में कोई भी व्यक्ति लॉकडाउन का पालन नहीं करेगा। कोई दुकानदार दुकान बंद नहीं करेगा। पुलिस या अन्य कोई भी प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में आने की इजाजत नहीं होगी। अगर कोई जबरदस्ती आएगा तो वो मारपीट का खुद जिम्मेदार होगा। इस काम के लिए 25 व्यक्तियों का एक ग्रुप बस स्टैंड पर तैनात रहेगा और पूरा गांव लठ लिए अलर्ट रहेगा।

कोरोना से हो चुकी एक मौत

इस चेतावनी के साथ ही गांव में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बनाए गए कोविड केयर सेंटर को भी बंद कर दिया गया है। इस सेंटर के बारे में स्वास्थ्य विभाग के एक अफसर का कहना है कि गांव के लोगों की सेहत की चिंता के चलते यहां एक आइसोलेशन सेंटर बनाया गया था। गांव में कोरोना संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, वहीं मौजूदा समय में भी 5 एक्टिव केस हैं।

ग्रामीणों का तर्क

ग्रामीण गांव में कोरोना संक्रमण की बात को झूठा करार दे रहे हैं। उनका दावा है कि गांव में कोरोना का एक भी केस नहीं है। जबरन यहां यह सेंटर स्थापित कर रखा था। गांव में पास के गांवों से लाए जाने वाले मरीजों की वजह से बुरा असर पड़ेगा। गांव का कोई भी व्यक्ति कोरोना टेस्ट नहीं करवाएगा। इसके अलावा ग्रामीण सरकारी व्यवस्था के विरोध के कई तरह के कारण बता रहे हैं,लेकिन सूत्रों के मुताबिक सबसे अहम वजह सिर्फ और सिर्फ किसान आंदोलन को समर्थन करना है। एसपी ने कहा-ग्रामीणों से बात की जाएगी
मसूदपुर में ग्रामीणों के द्वारा प्रशासनिक कोशिशों का विरोध किए जाने का मामला सामने आया है। उनके बात करके जाना जाएगा कि कहां परेशानी है और हर हाल में माहौल को बनाए रखने की कोशिश की जाएगी।

जींद के दनोदा के लोग भी मैदान में

जींद के दनोदा गांव ने लॉकडाउन और कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने का फैसला लिया।बोले जब मुख्यमंत्री ही नियमो का पालन नही करते तो ग्रामीण क्यों करे। कुछ देर तक हाईवे जाम रखा गया।गांव में सभी दुकान खुलवाई गई। इससे पहले हिसार और फतेहाबाद के 2 गांव कर चूके हैं लॉक डाउन नियमों को नहीं मानने की घोषणा की है।

कैथल जिले के गांव शिमला में बिजली विभाग का भरी विरोध

हरियाणा में सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन का ऐलान करने वाला कैथल जिले के कलायत हल्के का शिमला दूसरा गांव है। भारतीय किसान यूनियन के ग्राम प्रधान का कहना है कि हरियाणा सरकार वह बिजली विभाग बिजली कनेक्शन के नाम पर मोटर और मीटर मनमानी दर पर जबरन थोपे जा रहे हैं। इस गांव के लोगों का कहना है कि काफी समय पहले उन्होंने अमानत राशि जमा करवा रखी है पर अब बिजली विभाग उनके खेतों में कनेक्शन देने के नाम पर एक कंपनी विशेष “ओसवाल ” की मोटर जबरदस्ती किसान के सर पर थोप रहे है। यह बिजली की मोटर बाजार में लगभग 20 हजार के आसपास की आती है जबकि बिजली विभाग दुगने तीन गुना अधिक दाम लगाकर 54  हजार में मोटर जबरन वसूल रहा है। 

गांव वालों का कहना है कि वह किसी सूरत में मीटर नहीं लगाने देंगे क्योंकि बिजली विभाग समय-समय पर बदलाव करता रहता है और किसानों का शोषण करता ग्रामीणों का कहना है कि मीटर और मोटर लगाने के लिए बिजली विभाग के कर्मचारी को किसी सूरत में गांव में नहीं घुसने देंगे अगर जबरदस्ती करने की कोशिश की तो वह हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। मसूदपुर गांव और शिमला गांव में गजब का भाईचारा और एकता है।

इन दोनों गांव से मिल रहे समाचार से हरियाणा में भविष्य में सरकार के खिलाफ व्यापक रोष देखने को मिल सकता है। हरियाणा जो देश में हमेशा से दिशा और दशा तय करने में अग्रणी रहता है कहीं यह आंदोलन और अधिक फैला तो प्रदेश सरकार को तो मुसीबत में डालेगा ही साथ में केंद्र में भी इसके प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। वैसे ही हरियाणा किसान आंदोलन में महती भूमिका निभा रहा है । इस आंदोलन के चलते उसने केंद्र तथा राज्य सरकार को पसोपेश में डाल रखा है। 

सरकार और प्रशासनिक अमले को दोनों गांव की मांगों और समस्याओं को लेकर गहराई से मंथन करना चाहिए और उसके निराकरण करने के लिए पहल करनी चाहिए।

कोरोना से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने ताबड़-तोड़ अस्थाई अस्पतालों का उद्घाटन, वह भी फेल।

कोरोना से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने ताबड़-तोड़ अस्थाई अस्पतालों का उद्घाटन किया। उसमें यह भी नहीं ध्यान रखा कि जिसका वह उद्घाटन कर रहे हैं वह  अस्पताल काम भी कर रहा है या नहीं। जिसका प्रमाण यह मिलता है कि गुरुग्राम में ताऊ देवीलाल स्टेडियम अस्पताल है, वह भी चालू नहीं है और कल ही उन्होंने पटौदी बोहड़ाकलां में एक अस्पताल का उद्घाटन किया। आज सायं 5 बजे तक तो उसमें भी कोई मरीज नहीं था।जिस अस्पताल को लेकर हिसार में किसानों और पुलिस के बीच बखेड़ा हुआ उस अस्थाई अस्पताल की रिपोर्ट भी कुछ सही नहीं है। रविवार के दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हिसार जिले में 500 बेड के चौधरी देवी लाल संजीवनी कोविड अस्पताल, गुरु ग्राम के सेक्टर 33 में ताऊ देवी लाल स्टेडियम अस्थाई करो ना अस्पताल तथा पटौदी के भौड़कलां अस्पताल का उद्घाटन किया था।उद्घाटन के दो दिन बाद ही यहां अव्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। क्योंकि मरीजों के लिए इस कोविड अस्पताल में वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हैं। यहां सिर्फ ऑक्सीजन बेड ही बनाए गए हैं।

 वेंटिलेटर नहीं मिलने की वजह से मंगलवार को अस्पताल में तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया। हालात ये है कि वेंटिलेटर की जरूरत वाले मरीजों को वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा है। अग्रोहा मेडिकल में बेड फुल चल रहे हैं। एक-एक बेड के लिए संर्घष और सिफारिश तक मरीजों को करनी पड़ रही है। इन तीन मरीजों की मौत के बारे में जब परिजनों से पूछा गया तो पता चला कि तीनों मरीजों का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवर 80 से कम था । 80 से कम ऑक्सीजन लेवल होने पर मरीज को तत्काल वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। लेकिन कोविड अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं होने की वजह से तीन मरीजों को मौत हो गई। संजीवनी अस्पताल में अभी 118 बेड ब्लॉक-बी में शुरू किए हैं, जहां मंगलवार तक 81 मरीज उपचार ले रहे थे।

सीएम जनता को तो उपदेश देते हैं पर खुद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते

अब मुख्यमंत्री के उद्घाटन करने वाले कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार अनेक अधिकारियों और पार्टी पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य हो जाती है और वह संख्या कोविड-19 के नियमों का कई गुणा अधिक उल्लंघन करती नजर आई। इस बात को विपक्ष और आम जनता ने भी बड़ी बारीकी से नोट किया। आम नागरिकों का कहना है कि हमारे लिए तो लॉकडाउन है, विवाह और दाह-संस्कार में भी संख्या तय की हुई है। अब यह मुख्यमंत्री का उद्घाटन क्या लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाएगा? लोगों का कहना है कि यह उद्घाटन क्या सबसे बड़ी खुशी और सबसे बड़े गम से भी ऊपर है? अरे सबकुछ ऑनलाइन चल रहा है और आप भी वर्चुअल मीटिंगें करते रहते हैं तो ये उद्घाटन भी वर्चुअल ही कर देते थे और फिर ये कौन-से स्थाई अस्पताल हैं? और क्या सरकार के पैसे से बने हैं? अपने रूतबे का असर दिखाने के लिए ही यह सब किया। यही हिसार जिले के मसूदपुर गांव वालो का कहना है।

इससे पूर्व किसान आंदोलन के कारण मुख्यमंत्री चर्चाओं में रहे हैं। अनेक लोगों का मत तो यह भी है कि यदि पंजाब से दिल्ली जा रहे किसानों को इस बेदर्दी से न रोका जाता तो न यह बात इतनी मीडिया में जाती और न ही किसान आंदोलन का प्रसार होता। मुख्यमंत्री का किसान आंदोलन के आरंभ में यही कहना रहा है कि किसान तो इन कानूनों के पक्ष में हैं, यह केवल विपक्ष द्वारा फैलाया हुआ जाल है लेकिन उसके पश्चात हरियाणा के किसान भी बहुतायत संख्या में नजर आने लगे। स्थिति यहां तक बिगड़ी कि लोगों ने खुलेआम कहना शुरू कर दिया कि हमारे गांव में भाजपा जजपा नेताओं का प्रवेश निषेध है। सत्ता के नशे में यह हवा के माहौल को फिर भी न समझे और लगातार कहीं न कहीं अपने कार्यक्रम करते रहे। कार्यक्रमों में उनकी पसंद विशेष रूप से दक्षिणी हरियाणा रही, क्योंकि इस क्षेत्र में किसान आंदोलन का प्रभाव नहीं है।

विचारनीय है कि अपने क्षेत्र में भी पूरे पुलिस बल के साथ भी अपना कार्यक्रम नहीं कर पाए और अब रविवार को हिसार में जिंदल स्टील के बने अस्पताल को ताऊ देवीलाल का नाम रख उद्घाटन करने पहुंच गए। उससे कांग्रेसियों को भी बुरा लगा, इनेलो वालों को भी लगा और लगा तो जजपा वालों को भी होगा लेकिन वह सरकार में साथी हैं, इसलिए मुखर नहीं हुए लेकिन किसान वहां विरोध करने पहुंच गए और उन पर लाठीचार्ज हुआ, जिससे किसान आंदोलन को और बल मिल गया और सरकार बैकफुट पर चली गई।

गौरतलब है कि इनके इन उद्घाटन कार्यक्रमों की चहुंओर निंदा हो रही है और कई स्थानों से यह आवाज भी उठ रही है कि जब आम जनता पर कोविड नियम तोडऩे पर एफआइआर दर्ज की जाती है तो नियम तो मुख्यमंत्री पर भी लागू होते हैं। एफआइआर तो उन पर भी दर्ज होनी चाहिए।

इधर विपक्षी दल कांग्रेस ने हिसार में हुए लाठीचार्ज में जो महिलाओं को चोट लगी, उसे विशेष मुद्दा बनाया हुआ है। आज लगभग समस्त हरियाणा में कांग्रेस की ओर से ज्ञापन भी दिए गए हैं। उसमें मुख्य बात यह है कि यह वही मुख्यमंत्री हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के टै्रक्टर को सांकेतिक रूप से खींचते महिला विधायक के लिए विधानसभा में आंसू तक निकाल रहे थे और अब इनकी आंखों में आंसू क्यों नहीं आए? जब इन्हें नींद नहीं आई थी तो अब कैसे नींद आ गई? हिसार जिले के मसूदपुर गांव, फतेहाबाद जिले का एक गांव तथा जींद जिले का दनोदा गांव और कैथल जिले का शिमला गांव आदि चार गांव है जिन्होंने असहयोग आंदोलन का ऐलान किया है उसके दूरगामी परिणाम भविष्य में अवश्य नजर आएंगे।

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