तीन सप्ताह के दौरान कुल 40 लोगों को मिला यहां स्वास्थ्य लाभ,
19 रोगी अथवा पीड़ित मंडिकल एडवाइज बिना स्वेच्छा से घर लौटे.
आइसोलेशन वार्ड में से तीन उपचाराधीन बहाने बना हुए गायब

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   कोविड-19 के दूसरी लहर में गंभीरता को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा पटौदी के नागरिक अस्पताल में कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर 25 बेड का बनाया गया । इसका आरंभ बीते माह 24 अप्रैल शनिवार को कर दिया गया था। कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड उस समय के हालात को देखते हुए सीमित संसाधनों अथवा सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच आरंभ किया गया था। प्राथमिकता यही थी कि ऐसे रोगी जिन्हें की सांस लेने में परेशानी हो या जिनका ऑक्सीजन लेवल कम हो ऐसे लोगों का यहां प्राथमिकता से उपचार किया जाए । यह उपचार आज भी आइसोलेशन वार्ड में किया जा रहा है।

पटौदी नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव के मुताबिक अप्रैल माह में 24 तारीख से लेकर 30 अप्रैल तक आइसोलेशन वार्ड में कुल 32 रोगी उपचार के लिए भर्ती किए गए। इस दौरान 10 रोगियों को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया । दस पीड़ित अथवा रोगी ऐसे भी शामिल हैं जो कि स्वयं को पूरी तरह स्वस्थ महसूस करने के उपरांत लौट गए, हालांकि डॉक्टरों के द्वारा सलाह दी गई थी कि कुछ दिन और उन्हें आइसोलेशन वार्ड में रहकर पूरी तरह से स्वस्थ हो लेना चाहिए । लेकिन अपनी घरेलू परिस्थितियों और जरूरतों का हवाला देकर ऐसे पीड़ित अथवा रोगी अपने आप को पूरी तरह स्वस्थ बताने के साथ घरों के लिए लौट गए। बीते माह अप्रैल में ही आइसोलेशन वार्ड में उपचाराधीन अथवा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वाले 2 लोग ऐसे भी शामिल रहे जोकि बहाना बनाकर वार्ड से बिना किसी को कुछ बताएं चले गए । वही तीन रोगी ऐसे भी शामिल हैं जिन्हें कि उनकी गंभीर हालत को देखते हुए पटोदी से अधिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध वाले अस्पतालों के लिए रेफर किया गया।

सबसे दुखद बात यह रही कि 7 लोगों की मौत भी हो गई । इस मामले में पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव का कहना है कि उन्हें भी इस बात का बेहद दुख और अफसोस है कि उपचार के लिए लाए गए अथवा आए रोगी को नहीं बचाया जा सका। लेकिन यह बात भी जानना जरूरी है कि पटोदी नागरिक अस्पताल में जितनी चिकित्सा सुविधा और चिकित्सा संसाधन उपलब्ध है उतना ही इन रोगियों का अथवा पीड़ितों का उपचार किया जाना संभव था । सबसे बड़ी समस्या और परेशानी यह थी कि इन रोगियों का ऑक्सीजन लेवल बेहद कम था, स्थिति के बारे में रोगी अथवा पीड़ितों के तीमारदारों को पहले ही अवगत कराया जा चुका था और तीमारदारों के द्वारा लिखित में दिया गया कि जो और जितने स्वास्थ्य संसाधन पटौदी नागरिक अस्पताल में उपलब्ध है ,उपचार किया जाए। यह रोगी अथवा पीड़ित ऐसे थे जिन्हें की उनकी हालत के मुताबिक वेंटिलेटर या फिर आईसीयू की आवश्यकता थी । पटौदी नागरिक अस्पताल में वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं है ।

इसी कड़ी में मई माह के दौरान 18 मई तक आइसोलेशन वार्ड में 30 रोगी अथवा पीड़ित उपचार के लिए पहुंचने वालों में शामिल हैं । इनमें से 11 लोगों को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है । चार पीड़ित अथवा रोगी इस दौरान ऐसे भी पहुंचे, जिन्हें यहां पर उनकी हालत के मुताबिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण अन्य अधिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध वाले अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया गया। आइसोलेशन वार्ड में मई माह के दौरान 8 पीड़ित अथवा रोगी डॉक्टरों की एडवाइज के विपरीत अपने आप को स्वस्थ बताते हुए घरों को लौटने वालों में शामिल हैं । एक व्यक्ति बहानेबाजी बनाकर बिना बताए यहां से रवाना हो गया। मई माह के दौरान अभी तक कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में उपचार के लिए लाए गए एक व्यक्ति का अत्याधिक ऑक्सीजन लेवल कम होना भी दुखद मौत का कारण बन गया ।

पटौदी नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव के मुताबिक आइसोलेशन वार्ड में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वाले सभी रोगियों अथवा पीड़ितों को दिमागी और मानसिक रूप से तनाव मुक्त रखने के लिए गायत्री मंत्र सहित अन्य मंत्रोच्चारण सुनाते हुए उसका पाठ भी करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा पटौदी नागरिक अस्पताल में जितने भी चिकित्सा संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध हैं , उन्हीं के द्वारा ही यहां आने वाले सभी पीड़ित अथवा ऐसे रोगियों का उपचार किया जा रहा है । पटोरी नागरिक अस्पताल का एक मकसद और लक्ष्य है कि यहां आने वाले सभी रोगी स्वस्थ होकर अपने घर लौटे। लेकिन कई बार बेहद गंभीर हालत में रोगियों को उपचार के लिए लाया जाता है , उस समय वह ऐसी स्थिति में होते हैं कि उन्हें अधिक समय तक पटौदी नागरिक अस्पताल में उनके जीवन बचाने के दृष्टिगत रखा जाना संभव नहीं रहता है । एकमात्र विकल्प यही होता है कि जल्द से जल्द बेहतर और उच्च चिकित्सा सुविधा युक्त अस्पतालों में ऐसे पीड़ित अथवा रोगियों को रेफर किया जाए।

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