कुर्सी के खेल में नहीं है जनता का मौल रेवाड़ी,15 मई, पवन कुमार I आज देश कि जनता को बड़ी गंभीरता से सोचने का समय है I देखा जाये तो देश में दो ही राष्ट्रीय पार्टियां है, एक कांग्रेस और दूसरी भाजपा,अगर प्रधानमंत्री बनने कि बात सोचे तो,इन्हीं दोनों पार्टियों में से बनेगा I अटल बिहारी बाजपाई के प्रधानमंत्री बनने तक जैसे-तैसे कह सकते है कि हमारा देश की सरकारे लोकतांत्रिक तरीके से चली रही है,लेकिन भाजपा का मिशन शाइनिंग इंडिया भाजपा को ले डूबा और कांग्रेस सत्ता में आगई और फ़िर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने I मनमोहन सिंह योग्य तो थे परंतु वह व्यक्तिगत रूप से फैसला लेने में असमर्थ थे और वह सोनिया गाँधी कि काठपुतली ही साबित हुए I उनको इतनी आजादी भी नहीं थी कि वह अपनी मर्जी से एक शब्द भी बोल सके और सोनिया गाँधी राजनैतिक रूप से इतनी मंझी हुई नहीं थी कि वह सही निर्णय ले सके और वह पूर्ण रूप से अपने सलाहकारों के अनुसार ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार चलती थी और इस लिए मनमोहन सिंह मात्र कठपुतली प्रधानमंत्री ही साबित हुए I मनमोहन सिंह का कम बोलना ही कांग्रेस सरकार के किये सत्ता छीन जाने का कारण बना I इसके ठीक विपरीत भाजपा के नायक और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय इतिहास के ज्ञाता तो है ही और बोलने में भी माहिर है I उनके लछेदार भाषण ने जनता के बीच अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि अगर धरती पर कोई देवता है तो वो मोदी ही है और भारत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हिन्दू राष्ट्र बनेगा I कांग्रेस के चमचो पर भाजपा के अंधभक्त पर भारी पड़े I नरेन्द्र मोदी ने जहां विदेशी पैटर्न पर GST और नोट बंदी पर एक अच्छा प्रयास किया जो पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया पर फ़िर भी सकारात्मक रहा, वही जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाकर और हिंदुत्व पर चल कर 500 साल से गुलामी के प्रतीक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरु करवा कर हिन्दुओं के स्वाभिमान को पुनः स्थापित किया जो एक सराहनीय कार्य है, लेकिन क़ृषि को उद्योग का दर्जा देने के चक्कर में किसानों के विरोध में तीन बिल लागू कर दिये, जो नरेंद्र मोदी के लिए गले कि फांस बन गई और उसके बाद नरेन्द्र मोदी को धूल चटाई तो करोना ने,जिसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मित्र गृहमन्त्री अमित शाह कि अंदर खाने चल रही राजनीति कि पोल खोल दी I भाजपा के दो स्तम्भ कि सारी धानदले बाजी जनता के सामने आगई और नरेंद्र मोदी तीसमारखा ही साबित हुए I करोना के मामले में केंद्रीय सरकार द्वारा शुरु से अबतक जानबूझ कि गई लापरवाही ने मोदी को अर्श से फर्श पर ला पटका,आपदा कि आड़ में भी दोनों अपना खेल खेल गये I पीएम केयर का पैसा कहां है,या कहां गया किसी को नही पता I आज देश के हालात भीख मांगने जैसे हो गये और दोनों ने देश कि सरकारी सम्पति बेच डाली वो अलग I अब कांग्रेस समर्थक कहते है कि राहुल गाँधी अच्छे पीएम साबित हो सकते है और अगले पीएम राहुल गांघी ही होंगे,तो उनकी बात पर हंसी आती है क्योंकि राहुल गाँधी किसी भी दृस्टि से प्रधानमंत्री मन्त्री बनने कि काबिलियत नहीं रखते है I कुल मिला कर देखा जाये तो राहुल गाँधी आवश्यकता से अधिक बेवकूफ़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आवश्यकता से अधिक चालक है और दोनों ही देश के लिए हानिकारक है पर फिलहाल देश कि जनता के पास कोई विकल्प भी नहीं,जो किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके I Post navigation प्रधानमंत्री मोदी जी तो लोकलाज को ताक पर रखकर अनैतिकता की सभी हदें पार कर चुके हैं : विद्रोही आपदा को अवसर मानने वाले जमाखोरों, मुनाफाखोरों के खिलाफ सत्ता बल का प्रयोग करना चाहिए : विद्रोही