भिवानी/धामु  

सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में शिवशक्ति जन कल्याण सेवा ट्रस्ट के द्वारा अक्षय तृतीया के उपलक्ष में शुक्रवार को हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय श्रीमहंत जूना अखाड़ा डाक्टर अशोक गिरी महाराज ने हवन-यज्ञ में आहुति डालते हुए कहा कि अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।

वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। उन्होंने कहा कि शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखण्ड, वाहन आदि की खरीददारी से संबन्धित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिंडदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं।

श्रीमहंत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी को खत्म करने के लिए तथा अपने आस-पड़ोस की वातावरण को शुद्ध करने के लिए हवन-यज्ञ बहुत जरूरी है। हवन-यज्ञ से वातावरण स्वच्छ होगा, जिससे वातावरण में फैली विभिन्न बीमारियां खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमे अपने घर में हवन यज्ञ करते रहना चाहिए। श्रीमहंत ने कहा कि यज्ञ एक विशिष्ट वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है। यज्ञ के जरिये आध्यात्मिक संपदा की भी प्राप्ति होती है।

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