पवन कुमार रेवाड़ी,12 मई – 1962 में जब भारत-चीन युद्ध हुआ था तब भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था और चीनियों ने हिन्दू-चीनी भाई-भाई करते हुए हम पर धावा बोल दिया I उस समय लता मंगेशकर ने एक गाना गाया था,’ ऐ मेरे वतन के लोगों आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए है उनकी याद करो कुर्बानी.. I आज भी हालात वैसे ही है I पहले युद्ध चीन से था और अब मेड इन चाइना करोना से I अगर हम करोना को चीन का जैविक हथियार समझे तो गलत नहीं होगा I 1962 के युद्ध के लिए तो हम भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को दोषी मानते है क्योंकि उनका एक तो दलाईनामा का साथ देना और दूसरा सुरक्षा के प्रति लापरवाही बर्तना और अब चाइना मेड करोना ने भारत में उत्पात मचा रखा है और अब तक के अंतिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार करोना को रोकने के लिए पूरी तरह विफल रहीं है I बल्कि करोना ने एक काम अच्छा किया कि सरकार का दुसरा और खोकला सौरूप दिखा दिया I पहले नेहरू ही सरकार थी और अब मोदी-अमित शाह ही सरकार है I देश के ऐसे हालातों में अगर सरकार असफल है तो समझो नरेन्द्र मोदी-अमित शाह ही असफल है I आज सरकार करोना को काबू नहीं कर पर रही तो समझो कहीं ना कहीं सही समय पर सही सोच काम नहीं कर रही है I अभी हम करोना से लड़ रहे,फिर इसके बाद हमें भुखमरी से लड़ना होगा I आज करोना कि हर दवाई ब्लैक में मिल रही है,कई जगह तो प्राइवेट हॉस्पिटल के रूम का किराया किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं, कुल मिलाकर देखा जाये तो एक दिन के प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्च एक लाख रूपये से कम नहीं जो दो से तीन लाख प्रति दिन भी हो सकता है I यानी अगर कोई करोना मरीज़ एक सप्ताह भी प्राइवेट हॉस्पिटल में ईलाज़ करवाता है तो समझो कम से कम 14-15 लाख रूपये के नीचे चला जाता है और बचने कि भी कोई गारेटी नहीं I मेरी तो बस यही राय है कि,’ ऐ मेरे वतन के लोगों याद उन्हें भी रखना,जो वक़्त पर काम ना आये,जब फैल रहा था करोना,वो चुनाव लड़ रहे थे…. I Post navigation वायरल वीडियो, भावुकता या साजिश ? मोदी सरकार मुफ्त कोरोना वैक्सीन टीके लगाने के संसद में दिए हुए वचन से भाग गई : विद्रोही