नवनिर्वाचित हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र में माननीय के अधिकांश अभिभाषण को विधानसभा 2019 के प्रथम सत्र में उस समय के राज्यपाल अभिभाषण का कापी-पेस्ट बताया : विद्रोही

जब प्रदेश में खाद की कमी है, किसान खाद व बीज के लिए भटक रहे है, थानों में पुलिस पहरों में खाद बट रहा है तो फिर भी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री को यह स्वीकारने में शर्म क्यों आती है कि प्रदेश में खाद की कमी है : विद्रोही

1 लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों को नौकरी की गारंटी की बात तो की जा रही है, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार के दिये आश्वासन अनुसार उन्हे पक्का करने की कोई पोलिसी क्यों नही बनाई जा रही : विद्रोही

15 नवम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने नवनिर्वाचित हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र में माननीय राज्यपाल के अधिकांश अभिभाषण को विधानसभा 2019 के प्रथम सत्र में उस समय के राज्यपाल अभिभाषण का कापी-पेस्ट बताया। विद्रोही ने कहा कि 13 नवम्बर के विधानसभा में राज्यपाल के अभिभषाषण से फिर साफ हो गया कि भाजपा के पास हरियाणा के आमजनों का चहुंमुखी विकास के लिए न कोई रोडमैप है और न ही उसकी मंशा हरियाणावासियों का हित करने की है। यहां तक भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जो वादे किये थे, उन्हे भी पूरा करे का कोई रोडमैप नही रखा। हरियाणा में भाजपा उसी तरह अपने चुनावी वादों से भाग रही है, जिस तरह मोदीजी लोकसभा चुनाव 2014 व 2019 के वायदों से भाग भाग गए थे और अब 2024 लोकसभा चुनाव में किये गए वायदों को अभी से भूल गए। भाजपा का एकमात्र एजेंडा लोगों को बाटकर येनकेन प्रकारेण सत्ता कुर्सी से चिपके रहना है और इसके लिए भाजपा हरसंभव तिकडम भिडाकर जनता को ठगने, लूटने का कोई भी मौका नही चूकती। 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा ऐसी झूठी पार्टी है, जिसकी कथनी-करनी में कोई तारतम्य नही है। सदन से बाहर मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री रोज जुमला उछालते है कि डीएपी खाद की कोई कमी नही है। वहीं विधानसभा में कहते है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते हरियाणा में खाद की कमी है। सवाल उठता है कि जब प्रदेश में खाद की कमी है, किसान खाद व बीज के लिए भटक रहे है, थानों में पुलिस पहरों में खाद बट रहा है तो फिर भी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री को यह स्वीकारने में शर्म क्यों आती है कि प्रदेश में खाद की कमी है। वहीं मुख्यमंत्री प्रदेश में सरकारी नौकरिया देने को ढिढौंरा पीटते है, लेकिन यह बताने की हिम्मत नही करते कि विगत दस सालों में प्रथम, द्वितीय श्रेणी की सरकारीे नौकरियां किन-किन लोगों को दी है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को खुली चुनौती दी कि यदि भाजपा सरकार ईमानदारी व पारदर्शिता में विश्वास रखती है तो भाजपा राज में नियुक्त किये गए प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की पूरी सूची उनके स्थाई पते, मैट्रिक की शिक्षा कहां से ली और किस जाति से सम्बन्ध रखते है, इसका पूरा ब्यौरा सार्वजनिक करे। यदि भाजपा सरकार यह ब्यौरा प्रस्तुत नही किया तो उसकी पारदर्शिता, शुचिता, ईमानदारी, मैरिट से सरकारी नौकरियां देने कीेे पोल अपने आप खुल जायेगी। 

वहीं 1 लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों को नौकरी की गारंटी की बात तो की जा रही है, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार के दिये आश्वासन अनुसार उन्हे पक्का करने की कोई पोलिसी क्यों नही बनाई जा रही। मुख्यमंत्री का दावा है कि हरियाणा में अपराध घटे है, लेकिन जमीनी धरातल पर जिस तरह खुलेआम हत्या, लूट, डकैती हो रही है और महिलाओं से रेप-गैंगरेप की घटनाएं बढ़ रही है, वह तो यही दिखाता है हरियाणा में कानून व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में नही है। विद्रोही ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री यह बताये कि विगत दस सालों में हरियाणा में जो कर्ज 70 हजार करोड़ रूपये था वह बढकर 4 लाख करोड़ रूपये पार कैसे कर गया? वहीं हरियाणा में कुल जनसंख्या के 70 प्रतिशत नागरिक अर्थात 1 करोड़ 98 लाख कैसे गरीबी की रेखा से नीचे हो गए जो अपने आप में बताता है कि हरियाणा में बेरोजगारी, आर्थिक बदहाली चरम पर है। इन सबके सुधार के लिए न तो राज्यपाल के अभिभाषण में कोई उल्लेख है और न ही भाजपा सरकार ने इस संदर्भ में कोई रोडमैप सदन में रखा है। 

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