भिवानी/धामु  

गांव प्रेमनगर में चल रहे धरने को 130 दिन हो गये है। ग्रामीणों ने कहा कि वें वर्तमान सरकार की नीतियों एवं प्रशासनिक प्रबंधों की आलोचना करते हैं। वर्तमान हालातों के लिए सरकार का कुप्रबंधन व सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। धरने को  संबोधित करते हुए राजेश बूरा ने कहा कि यदि समय रहते हरियाणा के मुख्यमंत्री भिवानी में बनने वाले मेडिकल कॉलेज को पूरा करवा देते, जिसके लिए गांव प्रेमनगर ने 37 एकड़ भूमि में की हुई है, तो आज कोरोना काल में सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन वर्तमान सरकार की नजर मेडिकल कॉलेज में राजनीति करण कर क्षेत्र की जनता को अपने हालातों पर मरने को छोड़ दिया है।

जिस मेडिकल कॉलेज का निर्माण 29 जुलाई 2017 को गांव प्रेमनगर में की गई रैली की घोषणा व जेपी नड्डा के किए वायदे अनुसार 18 महिनों में 2019 तक पूरा हो जाना चाहिए था, वह मेडिकल कॉलेज सरकार अभी तक कागजों से बाहर भी नहीं निकाल पाई है। सरकार केवल जनता को गुमराह कर रही है। वर्तमान में जहां भिवानी शहर के अति महत्वपूर्ण ग्रामीण आंचल से जुड़ी दो बड़ी परियोजनाओं मिल्क प्लांट व मुर्राह कटड़ा फॉर्म को बंद व सीमित करके सरकार मेडिकल कॉलेज का ढोंग कर रही है। राजेश बूरा ने कहा कि आखिर क्यों मिल्क प्लांट को बंद किया जा रहा है? क्यों कटड़ा फॉर्म जोकि वर्तमान में बेहतर परिणाम दे रहा है तथा जिसको देने से संबंधित विभाग मना भी कर चुका है। लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण धक्के से व दबाव से कटड़ा फॉर्म की जमीन को ट्रांसफर किए जाने के प्रयास किये जा रहे है।

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के पता चला है कि जहां एक तरफ प्रेमनगर गांव फ्री में जनहित में जमीन उपलब्ध करवा रहा है वहीं सरकार अनावश्यक रूप से दबाव में रूपयों में जमीन ट्रांसफर करवा रही है। इससे साफ झलकता है कि सरकार की मंशा जनता की भलाई की या अपने स्वार्थों की पूति की है। धरनारत ग्रामीणों ने कहा कि कोरोना की विषम हालातों में जब लोगों को अपना बचाव करने के लिए घरों में रहना पड़ रहा है वहीं वे धरना जनहित, जनकल्याण व सीबीएलयू में अपने अधिकारों के लिए धरने पर बैठने के लिए सरकार ने मजबूर किया हुआ है।

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