खरीदे प्लाट पर कंपनी केे नाम पर बैंको से धोखाधड़ी के हैं गंभीर आारोप. ट्रांसफर डीड इन ब्लड रिलेशन करा दी। जिससे बैंको लोन ना भरना पडें. इतना ही नहीं, बनाया प्लान बैंक इनके प्लाॅट की निलामी भी न करा सकें

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम। अपने आपको आरटीआई कार्यकर्ता बताने वाले हरिन्द्र धींगड़ा व उसके परिजनों पर योजनाबद्व तरीके से आम जनता का बैंकों में रखा हुआ पैसा लोन के तौर पर करीब 15 करोड रुपये के गबन करने पर मामला दर्ज कियाा गया हैं

गुरूग्राम पुलिस प्रवक्ता के  मुताबिक गुरुग्राम पुलिस को एक शिकायत प्राप्त हुई कि हरिन्द्र धींगड़ा, उसकी पत्नी पूनम धींगड़ा, उसके बेटे प्रशान्त धींगड़ा व तरुण धींगड़ा ने अपने प्लाॅट पर वर्ष 2003 में अपनी कम्पनी के नाम से करोडों रुपये का लोन लेकर बैंक को लोन का पैसा ना देकर तथा उसी प्रोपट्री को दोबारा से ओबबीसी  बैंक में  मोरगेज करके हरिन्द्र धींगड़ा के बेटे प्रशान्त धींगड़ा ने अपनी फर्म के नाम से करोडों का दोबारा से लोन ले लिया। इसके उपरान्त बैंकों से लिया गया लोन का पैसा ना भरने की नीयत से बैंकों के साथ धोखाधडी व अदालतों में झूठी सूचना देकर जाली दस्तावेजों के आधार पर उपरोक्त प्लाॅट की हरिन्द्र धींगड़ा ने अपने दूसरे बेटे तरुण धींगड़ा व अपने पौत्र गर्व धींगड़ा पुत्र प्रशान्त धींगड़ा के नाम पर फर्जी तौर पर ट्रांसफर डीड इन ब्लड रिलेशन कराकर आम जनता के करोडों रुपये बैंको से लोन के माध्यम से गबन किये है।

आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए इसकी जांच राजपत्रित अधिकारी द्वारा अमल में लाई गई। जांच के दौरान सामने आया कि हरिन्द्र धींगड़ा व उसकी पत्नी पूनम धींगड़ा ने वर्ष 2001 मे प्रदीप कुमार से उपरोक्त प्लाॅट डीएलएफ फेस-1 में खरीदा था। इस प्रॉपर्टी में दोनों पति-पत्नी की आधी-आधी हिस्सेदारी थी। इंडियन आोवरसीज बैंक के रिकार्ड अनुसार वर्ष 2003 में पूनम धींगड़ा व उसके बेटे प्रशान्त धींगड़ा द्वारा अपनी कम्पनी के नाम से अलग-अलग प्रकार का लोन लिया और उसमें अपनी पर्सनल गारंटी रखी। लोन व लोन एनपीएए होने के बाद इस परिवार ने आपस में साजिश रचकर प्रशान्त धींगड़ा ने अपने माता-पिता (हरिन्द्र धींगड़ा व पूनम धींगड़ा) के खिलाफ लोक अदालत गुरुग्राम में उपरोक्त प्लाॅट के लिये दावा डाल दिया।  27.11.2006 के लोक अदालत गुरुग्राम के आदेशानुसार उपरोक्त प्लाॅट को समझौतें के आधार पर दोनों ने यह प्लाॅट अपने बेटे प्रशान्त धींगड़ा के नाम कर दिया। जिस पर प्लाॅट प्रशान्त धींगड़ा के नाम होने पर उसने उक्त प्लाॅट को ओबबीसी  बैंक में  मोरगेज करके वर्ष 2007 को अपनी फर्म के नाम करीब 8 करोड रुपये का लोन ले लिया। जो लोन ना भरने के कारण वर्ष 2008 में एनपीए हो गया। दोनों बैकों के लोन को ना भरने पर बैंक द्वारा आरोपी पक्ष को नोटिस भेजा गया। नोटिस मिलने के बाद आरोपी ने आपस में मिलकर एक अन्य दावा गर्व धींगड़ा जो प्रशान्त धींगड़ा का बेटा है, के नाम से गुरुग्राम कोर्ट में डाल दिया। इसके बाद इन आरोपियों ने मिलकर लोक अदालत के आदेश को रद्द कराने के लिये एक याचिका पंजाब – हरियाणा उच्च न्यायालय, चण्डीगढ में डाल दी। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनाँक 08.02.2016 को लोक अदालत गुरुग्राम के आदेश रद्द करते हुए यह प्लाॅट वापिस पति-पत्नी हरिन्द्र धींगड़ा व पूनम धींगड़ा के नाम पर आ गया।

उक्त प्लाॅट को अटैचमेंट कराने की कार्यवाही डीआरटी व माननीय उच्च न्यायालय चण्डीगढ में विचाराधीन होने के बावजूद उपरोक्त सभी आरोपियों ने मिलकर योजनाबद्व तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार करके झूठे तथ्यों के आधार पर हरिन्द्र धींगड़ा व पूनम धींगड़ा ने अपने दूसरे बेटे तरुण धींगड़ा व अपने पौत्र गर्व धींगड़ा पुत्र प्रशान्त धींगड़ा के नाम पर ट्रांसफर डीड इन ब्लड रिलेश करा दी। जिससे इनको बैंको का लोन ना भरना पडें और बैंक इनके प्लाॅट की निलामी भी ना करा सकें।

जांच के दौरान हरिन्द्र धींगड़ा  द्वारा अपनी पत्नी पूनम धींगड़ा व अपने दोनों बेटों प्रशान्त धींगड़ा, तरुण धींगड़ा व प्रशान्त धींगड़ा की पत्नी तानी धींगड़ा व अपने पौत्र गर्व धींगड़ा पुत्र प्रशान्त धींगड़ा के साथ मिलकर बडी चालाकी से आपस में साझ-बाझ होकर योजनाबद्व तरीके से बैंकों से करीब 15 करोड रुपये लोन के लेकर गबन करना पाया जाने पर उपरोक्त आरोपियों के विरुद्व थाना डीएलएफ फेस-1, गुरुग्राम में भाादस 420,467,468,471,120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए मुकदमे के अनुसंधान हेतू सहायक पुलिस आयुक्त अपराध द्वितीय, गुरुग्राम की देखरेख में एक विशेष जांच टीम का गठन किया जा चुका है। इस गठित की गई विशेष  टीम द्वारा मुकदमे की आगामी जांच अमल में लाई जा रही है।

गुरूग्राम पुलिस ने आमजन से मांगे सबूत

पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक नाजायज तरीके से जमीनों पर कब्जा करना एवम् पैसें ऐठने का काम करते है। आरोपी हरिन्द्र धींगड़ा ने अपने साथी रविन्द्र यादव के साथ मिलकर डी0एल0एफ0 के प्लाॅटों पर नाजायज तरीके से कब्जा करने की शिकायत गुरुग्राम पुलिस को मिलने पर इनके कब्जा से डी0एल0एफ0 के दो बडें प्लाॅट जिस पर रविन्द्र यादव ने आरोपी हरिन्द्र धींगड़ा के इशारे पर कब्जा कर रखा था, उसको छुडवाया गया। इसके अलावा आरोपी हरिन्द्र धींगड़ा का साथी रविन्द्र यादव जिसके खिलाफ भी मारपीट करने, महिला के साथ छेडछाड करने व गाली-ग्लौच करने, डी0एल0एफ0 फेस-1 की जनता को भय दिखाने उनके साथ गाली-ग्लौच करने, हथियार दिखाने व जान से मारने की धमकी देने के सम्बन्ध में अलग-अलग धाराओं में पहले से ही मामला दर्ज  है। हरिंद्र धींगड़ा उपरोक्त अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर आम जनता को आरटीआई एक्ट का भय दिखाकर  परेशान करता है एवम् अवैध तरीके से पैसे ऐठनें जैसी हरकतें करता है। इसलिए गुरुग्राम पुलिस का आम जनता से यह अनुरोध है कि हरिन्द्र धींगड़ा व इसके सहयोगियों के विरुद्व यदि किसी भी व्यक्ति के पास कोई ऐसी सूचना या दस्तावेज है, तो वह व्यक्ति बिना किसी भय व डर के गुरुग्राम पुलिस को सूचित करें ताकि इनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जा सके।