… अर्थी उठाते-उठाते अब ये योद्धा भी भय अनिद्रा थकान और चिड़चिड़ापन का शिकार होने लगे दिनभर पीपीई किट पहनने से मंडराया डिहाइड्रेशन का खतरा नारनौल 9 मई। निरंजन, महेंद्र, नरेश व भूपेंद्र ये भले ही आपको एक साधारण नाम लगते हों लेकिन ये लोग नगर परिषद के वे फ्रंटलाइन हीरो है जो हर रोज अनजान लोगों को अपना कंधा देते हैं और उसका अंतिम संस्कार कराते हैं। अकाल मृत्यु की भयावहता से भी ये भयाक्रांत नहीं होते और अपना फर्ज पूरी जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं। ये नगर परिषद के वो दरोगा व उनकी टीम है जो इस सबसे कठिन दौर और इस मुश्किल काम को अपने कंधों पर लिए हुए हैं। 27 अप्रैल से लेकर अब तक इन्होंने 25 शवों को अपना कंधा दिया है। ये सफाई कर्मी व दरोगा वो हीरो हैं जो शाम को ड्यूटी से घर आने पर भी अपने परिजनों से दूर रहने को मजबूर हैं। इन्हें डर रहता है कि कहीं उनके परिजन भी संक्रमित ना हो जाएं। ज्यादातर कर्मचारी परिवार से अलग रहने को मजबूर हैं। लगातार शवों को उठाते-उठाते अब ये योद्धा भी अब भय अनिद्रा थकान और चिड़चिड़ापन का शिकार होने लगे हैं। इतना सब होते हुए भी आम नागरिक हैं कि उन्हें लॉकडाउन में अब बाहर की हवा खाने की जिद है। यही जिद जिला पर भारी पड़ रही है। अब शहर थोड़ा संभलने लगा तो ग्रामीणों का रवैया अब भी इस विश्वव्यापी महामारी को लेकर गंभीर नहीं हुआ है। यही कारण है कि कोरोना के ज्यादातर मामले अब ग्रामीण क्षेत्रों से आने लगे हैं। ऐसे में इन जांबाज सफाई कर्मचारियों को और भी अधिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी मुसीबत इनके लिए यह है कि इन्हें यह सभी संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत करने होते हैं जिसमें इन्हें पीपीई किट पहननी होती है। यह किट पहनने के बाद इन्हें डिहाइड्रेशन का खतरा बहुत अधिक रहता है क्योंकि बार-बार पसीना आने से इनके शरीर में नमक की कमी हो जाती है। इन्हें दिनभर इसी प्रकार इस गर्मी में यह किट पहने रहनी होती है। इतनी सावधानी के बाद भी अभी तक यह सभी कर्मचारी एक-एक बार कोविड-19 संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। साथ ही इनके परिजन भी संक्रमण शिकार हो चुके हैं। इसके बावजूद यह फर्ज के अपने मोर्चे पर पूरी जिम्मेदारी के साथ खड़े हैं। ऐसे दौर में आम नागरिकों का भी दायित्व बनता है कि वे इस महामारी से संभल कर रहें ताकि यह संक्रमण और लोगों को काल का ग्रास ना बनाएं। Post navigation सत्ता के अश्वमेध हेतु अनगिनत लाशें बिछा देने से भी परहेज नहीं किया गया। आरटीए/डीटीओ विभाग में कार्यरत डीएसपी विजेंद्र सिंह का निधन