1966 से लेकर अब तक जो कुछ होना चाहिए था वह नहीं हुआ.
सरकार की प्राथमिकता उपलब्ध हो अधिक से अधिक संसाधन.
मौजूदा समय और भविष्य में कम से कम हो जान का नुकसान

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 कोरोना कॉविड 19 की दूसरी खतरनाक लहर गंभीर चुनौती के रूप में सामने आई है। कोरोना महामारी ने हमें बहुत बड़ा सबक भी सिखा दिया है । सही मायने में 1966 से लेकर आज तक हेल्थ और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कार्य अथवा संसाधन उपलब्ध होने थे , उस तरफ गंभीरता से प्रयास नहीं किए गए।  प्रचंड होते जा रहे कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य की गठबंधन सरकार के द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में मौजूदा हालात को देखते हुए संसाधन जल्द से जल्द लोगों के स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध हो सके , सरकार इस दिशा में 24 घंटे गंभीरता के साथ में काम कर रही है। कोई भी आपदा हो , वह जब भी आती है सभी के लिए बेहद पीड़ा दायक साबित होती है और यही आपदा हमें अपना भविष्य सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए भी सबक सिखाने का काम करती है । यह बात सोमवार को पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने बोहड़ाकला के प्राचीन हनुमान मंदिर परिसर में बनाए जाने वाले कोविड-19 सेंटर का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कही । इस मौके पर उनके साथ बोहड़ाकला सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर एम एस नेहरा, डॉक्टर कोमल, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पटौदी नवनीत कौर, मेजबान गांव के सरपंच यादवेंद्र गोगली शर्मा, पूर्व चेयरमैन देवेंद्र चैहान, रामफूल सिंह, शीलू चैहान, महेश सैनी, कुलदीप चैहान, विक्रम चैहान, श्यामबीर सिंह सहीत प्रबुद्ध ग्रामीण भी मौजूद रहे।

इस मौके पर एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने कहा कि पंचायत के अनुरोध पर जिलाधीश डॉ यश गर्ग के द्वारा प्राचीन हनुमान मंदिर में बने इस अस्पताल को टेकओवर करके यहां पर कोविड-19 सेंटर बनाने की प्रक्रिया तेजी से आरंभ कर दी गई है। उन्होंने ग्रामीणों का हवाला देते हुए बताया की मंदिर कमेटी और ग्रामीणों के सहयोग से बनाए गए इस भव्य अस्पताल में से काफी सामान असामाजिक तत्वों के द्वारा खुर्दबुर्द किया जा चुका है । फिर भी शासन और प्रशासन का प्रयास है की आगामी 15 से 20 दिनों के अंदर यहां पर कोविड-19 सेंटर पूरी तरह से तैयार करके, कोरोना कॉविड 19 पीड़ितों का उपचार आरंभ कर दिया जाए । इस अस्पताल के प्रस्तावित कोविड-19 सेंटर में जो भी संसाधनों की जरूरत अथवा आवश्यकता है , उसके लिए सीएसआर के तहत सहयोग करने के लिए होंडा, मिंडा सहित अन्य बड़ी कंपनियों से भी बातचीत जारी है ।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा गुरुग्राम में जो आंकड़े पॉजिटिव केस और मौत के सामने आ रहे हैं , उसका मुख्य कारण है की गुरुग्राम में 60 से 70 प्रतिशत लोग बाहर से आवागमन करने वालों में शामिल है।  अस्पताल एक प्रकार से मंदिर के बराबर ही होता है, अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले किसी भी रोगी अथवा पीड़ित को इनकार नहीं किया जा सकता। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका यह प्रयास रहेगा की प्राचीन हनुमान मंदिर बोहड़ाकला कोविड-19 सेंटर में 40 से 50 बेड ऑक्सीजन युक्त कोरोना पीड़ितों के आपात स्थिति में उपचार के लिए उपलब्ध हो सकें । इसके साथ ही पटौदी के नागरिक अस्पताल और प्राचीन हनुमान मंदिर कोविड-19 सेंटर में भी कम से कम एक-एक वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा उपलब्ध हो सके, इसके लिए भी गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं ।

उन्होंने कहा कोरोना एक ऐसी बीमारी है जो कि करीब 14 दिन में इस बीमारी से पीड़ित स्वस्थ हो जाता है । लेकिन इस दौरान पीड़ित व्यक्ति को जो भी शारीरिक रूप से क्षति पहुंचती है, उसका उपचार केवल और केवल डॉक्टरों अथवा चिकित्सकों के द्वारा ही संभव है । इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कोई भी बीमारी अथवा रोग हो, पीड़ित अथवा रोगी को दिमागी और मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाना जरूरी है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है । नकारात्मक सोच अथवा विचारों से पीड़ित व्यक्ति अक्सर हताश और निराश भी हो जाते हैं । ऐसे में रोगी को दिमागी और मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करना मेडिकली और सामाजिक दायित्व भी हम सभी का बनता है । उन्होंने आम जनमानस का भी आह्वान किया कि कोरोना प्रोटोकॉल अथवा गाइडलाइन का पूरी ईमानदारी के साथ में स्वयं सहित अन्य के स्वस्थ रहने के लिए पालन किया जाना अति आवश्यक और समय की मांग है । आज के दौर में स्वास्थ्य विभाग , शासन-प्रशासन और सरकार का कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने के साथ-साथ पराजित करने में भी अपना सक्रिय योगदान करें। जिससे कि घर-परिवार ,समाज और इसके साथ ही राष्ट्र पूरी तरह से स्वस्थ बन सके।

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