अस्पताल में नहीं मिल पा रहे हैं पीडि़तों को बैड
रेमिडेसिवर व ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं कोरोना पीडि़त
हैल्पलाईन पर नहीं उठाता है कोई फोन

गुडग़ांव, 30 अप्रैल (अशोक): कोरोना महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। जिला प्रशासन दावा करता आ रहा है कि ऑक्सीजन, अस्पतालों में बैड व रेमिडेसिवर इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है, लेकिन प्रशासन के ये दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण गुरुग्राम की स्वास्थ्य सेवाएं बद से बदतर होती जा रही है। न बैड मिल रहा है, न ही एंबूलैंस और न ही ऑक्सीजन और जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमिडेसिवर। प्रदेश के मुखिया भी कह रहे हैं कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में स्थिति नियंत्रण में है। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते हालात खराब होते जा रहे हैं।

अस्पतालों में जहां मरीजों को बैड नहीं मिल पा रहे हैं, वहीं उनके तीमारदार अपने मरीजों ही सहायता करने के लिए अस्पताल प्रशासन व कर्मियों से गिड़गिड़ाते दिखाई दे रहे हैं। निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को रेमिडेसिवर इंजेक्शन की व्यवस्था कराने के लिए कहा जाता है। क्योंकि अस्पताल में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। हर कोई अपने रसूखात का इस्तेमाल इंजेक्शन, बैड व ऑक्सीजन के लिए करता दिखाई दे रहा है। निजी अस्पतालों पुष्पांजलि, पारस, आर्यन, कल्याणी व बड़े अस्पतालों सभी में हालात एक जैसे हैं। अधिकारी पीडि़तों के फोन नहीं उठाते। जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि रेमिडेसिवर इंजेक्शन की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर अधिकारी को दी हुई है। इस अधिकारी भी अपनी सीमाएं हैं। प्रशासनिक अधिकारी पीडि़तों के फोन उठाने से बचते दिखाई दे रहे हैं।

जिला प्रशासन ने जो हैल्पलाईन नंबर जारी किए हुए हैं, इन फोन को कोई उठाता तक नहीं है। ऐसा लगता है कि प्रशासन हैल्पलाईन नंबर जारी करने में कोई देरी नहीं दिखाता। ऑक्सीजन को लेकर भी मानेसर क्षेत्र में लंबी-लंबी कतारें आज भी लगी हैं। कोरोना महामारी का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि लोग कोरोना के नाम से ही भयभीत होने लगे हैं। कोरोना से मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस सब पर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।

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