-कमलेश भारतीय

मद्रास हाईकोर्ट ने एक बार फिर चेतावनी दी है । मद्रास हाईकोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग, राज्य सरकार और सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मतगणना का दिन कोरोना के लिए सुपर स्प्रेडर घटना न बन सके । हाईकोर्ट दो मई को तमिलनाडु में मतगणना के लिए निर्वाचन आयोग की तैयारी की जांच कर रहा था । हालांकि कोर्ट को बताया गया कि केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर की उम्मीद नहीं थी । इस जवाब पर अदालत बुरी तरह बिफर गयी और कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से लड़ने के लिए बिना योजना बनाए आप पिछले चौदह माह से कर क्या रहे थे ? अब आपको उपहास सूझ रहा है?

इस तरह हाईकोर्ट के रवैये से यही लगता है कि मतगणना के बाद जीतने वाले दलों को कोई जश्न नहीं मनाना चाहिए। मीडिया पर ही मतदाताओं का आभार व्यक्त कर देना चाहिए । आखिर क्या मिला बड़ी बड़ी रैलियां करके ? कोरोना के मामले ही बढ़े और संक्रमण फैलता चला गया ? कोरोना की लहर भयंकर होती चली गयी ? यही न । तो क्या तैयारी थी साहब आपकी ? बस , चुनाव जीतना ? क्या जन कल्याण आपकी सूची या एजेंडे में शामिल नहीं ? आज ही भिवानी में आए किसान नेताओं राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी पर मास्क न पहनने पर केस दर्ज किये जाने की खबर है। यह बहुत अच्छी बात है लेकिन इतनी तत्परता से सत्ताधारी दल के नेताओं पर भी कभी कार्यवाही होते देखी सुनी है ? रोज़ बिना मास्क वाले फोटोज प्रकाशित हो रहे हैं । क्या किसी दिन इनके आधार पर कार्यवाही करोगे हुजूर ? या यह भी एक तुरूप का पत्ता है जो जहां चाहे वहां फिट कर दिया जाता है ? सब एक समान चाहते हो आप । चुनाव एक समान तो नियम या कानून एक समान क्यों नहीं ? कानून की आंखें कहीं बंद और कहीं खुली क्यों ?

इधर कल शाम से टी वी चैनलों पर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण आए हैं और पश्चिमी बंगाल में इतना कुछ कर गुजरने के बाद खेला नहीं होता दिखता । घायल दीदी ही वापस आने वाली बताई जा रही है । फिर कोरोना की परवाह किये बिना क्यों इतनी रैलियां और रोड शो किये ? सिर्फ अपना आधार बढ़ाने और राज्यसभा सीट जीतने के लिए ? कितने तो लोकसभा सांसद उतार दिये मैदान में और मिथुन चक्रवर्ती जैसे स्टार भी दीदी का कुछ बिगाड़ते नज़र नहीं आ रहे अनुमान में । इसी तरह तमिलनाडु में सुपर स्टार रजनीकांत को राजनीति मे आने से तो रोक दिया लेकिन खुद सत्ता में नहीं आने के संकेत मिल रहे हैं । केरल में भी सफलता मिलती नहीं दिख रही । एक असम में जरूर कुछ रोशनी की किरण नज़र आ रही है । इतना कुछ होने जा रहा है सरकार । आप क्या समझ पा रहे हैं कि किसान आंदोलन आपका कितना नुकसान करने जा रहा है ? अभी ज्यादा देर नहीं हुई । दो मई आ जायेगी और आकर चली जायेगी । जीत हार बड़ी बात नहीं। बड़ी बात जनकल्याणकारी होना है । बड़ी बात एक ऐसी सरकार जो संवेदनशील हो अपनी जनता के प्रति न कि सिर्फ चुनाव के प्रति। तैयारियां आपकी चुनाव की होती हैं । कोरोना की लड़ाई के लिए नहीं। यदि तैयारी सही दिशा में होती तो कोरोना की दूसरी लहर इतना न फैल पाती । अब भी आप सरकारें बनाने में लग जाओगे । विधायकों की खरीद में लग जाओगे । सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता का अंश बहुत याद आता है :

यदि घर के किसी कोने में
लगी हो आग
तो आप कैसे आराम से सो सकते हो ?

पूरे देश में कोरोना कहर ढा रहा है । अकेले हिसार में एक ही श्मशानघाट पर 29 शव जलाये गये और जगह कम पड़ गयी । इतना कहकर है सब जगह । फिर भी आप सरकार गिराने के खेल ही करते रहोगे?

शुक्र है उत्तराखंड सरकार ने चार धाम की यात्रा स्थगित कर दी । नहीं तो कुंभ मेले की तरह यह यात्रा भी कोरोना को फैलने में पूरी मदद देती ।

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