-कमलेश भारतीय

कोरोना से लड़ने के लिए हमारे पास संसाधनों की कमी है -अस्पताल है तो ऑक्सीजन नहीं , ऑक्सीजन है तो मानवता नहीं और सबसे बड़ी बात कि हम कोरोना पर लगातार पर्दा डालने की कोशिश में लगे हैं । कोरोना से जितने लोग जान गंवा रहे हैं, सरकारी तंत्र उससे कम बता और दिखा रहा है । जाॅनी, इसे कहते हैं गोदी मीडिया ।

एक बात विज्ञापन के बारे में कही जाती है कि जब किसी व्यक्ति को निधन के बाद ऊपर लेकर यमराज गये तो दो वीडियो दिखाये। एक वीडियो में तो फिल्मी अभिनेत्रियां नृत्य कर रही हैं और अपनी अदाएं दिखा रही हैं। कहीं अपनी हरियाणवी सपना चौधरी भी ठुमके लगा रही है। दूसरे वीडियो में साधु संत प्रवचन दे रहे हैं। जैसे अपने बाबा लोग। ये दो वीडियो दिखाने के बाद यमराज पूछता है कि हे इंसान, बता कहां जाओगे ? इंसान पहले वाले वीडियो के आधार पर फैसले लेता है कि जहां सपना ठुमके लगा रही है , वहीं भेज दो । उसकी इच्छा पूरी की जाती है और वहां पहुंचने के बाद वह आदमी ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है कि मेरे साथ धोखा हुआ । यह तो घोर नर्क है । मुझे यहां सपना दिखाई नहीं दे रही। सपना सपना बन कर रह गयी। तब यमराज पूरे ज़ोर से हंस कर कहता है -अरे मूर्ख इंसान , वह वीडियो तो हमारे यमलोक के पी आर डिपार्टमेंट ने तैयार किया था । यदि इतना बढ़िया वीडियो न होता तो तुम नर्क में जाने की हामी भरते ?

बिल्कुल यही हमारा गोदी मीडिया है आजकल । यह नर्क जैसी स्थितियों को भी स्वर्ग जैसी दिखा रहा है और ऐसा लगता है जैसे कहीं कोई संकट ही नहीं है । कोरोना से मौतें ज्यादा हो रही हैं और यह कम दिखा रहा है । जैसे आतंकवाद के दिनों में पंजाब में बताया जाता था । कोरा झूठ । हम पत्रकार जान हथेली पर रख कर रिपोर्ट करते और हमें ही शक की नज़र से देखा जाता । अब देखिए न कि एक एम्बुलेंस में क्या 22 शव रखे जा सकते हैं ? पर रखे गये । ऑक्सीजन की जरूरत थी और वीडियो काल से मरीज की बात भी करवा दी एम्बुलेंस ड्राइवर ने लेकिन निष्ठुर पुलिस वालों ने रोके रखा और मरीज ऑक्सीजन के बिना दम तोड़ गया जैसे हमारे हिसार के एक अस्पताल में हुआ और पांच रोगी आखिरी सांस तक ऑक्सीजन सिलेंडर की राह देखते परलोक सिधार गये । यह है निश्ठुरता । हम आपदा में भी बिजनेस ढूंढ रहे हैं । जैसे पिछली बार एम्बुलेंस चालकों ने नकली मरीज बना कर लोगों को एक से दूसरे स्थान ले जाने के कारोबार से लाखों रुपये कमाये थे । हम आपदा में इंसानियत भूल कर व्यापार क्यों करने लगते हैं ? आखिर हमारी आत्मा कहां मर जाती है या हम अपनी आत्मा को कैसे मार लेते हैं ? शव 22 और एम्बुलेंस एक ।

शमशान घाट की हालत यह कि दो तीन शव एक साथ रख कर चितायें जलाई जा रही हैं । हमारी इंसानियत कहां खो रही है? हम मदद के लिए आगे क्यों नही आ रहे ? अरे , हमारे खिलाडियों से तो विदेशी खिलाड़ी अच्छे जिन्होंने कोरोना के लिए पचास पचास हजार डाॅलर अर्पित कर दिये । एक हमारे खिलाड़ी हैं जो सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बने हुए हैं । एक हमारे सोनू सूद हैं जो घर तक गिरवी रख कर कोरोना में देवदूत बने हुए हैं और दूसरे किसी एक्टर का क्या नाम लूं , जो आज भी सबके फेंके गये विज्ञापन करने में कोई शर्म महसूस नहीं करते लेकिन कोरोना के लिए कुछ नहीं है इनके पास । सरकार मौतें कम बता कर और अपने मीडिया की मदद से भयावह स्थिति को छिपाने की बेकार कोशिश में लगी है ।

अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की बैठक लाइव क्या की , प्रोटोकाॅल स्मरण हो आया । राजा अपनी असफलता छिपाने की कोशिश में और एक बच्चा बता देता है खुली राह में कि राजा नंगा है। आप सारी स्थितियों को अच्छे से देखिए और उसी हिसाब से तैयारी कीजिए । खुद को इस गोदी मीडिया के भरोसे मत छोड़िए । यह तो आपको नर्क के द्वार तक ले जायेगा ।

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