दोनों प्रदेशों में मचे घमासान में छिपे हैं कई राज।
ठीकरा सिस्टम पर और बचाव नरेन्द्र मोदी का ?

अशोक कुमार कौशिक

 पिछले कुछ दिनों से मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर दिल्ली और हरियाणा के बीच घमासान की खबरें आती रही हैं। राजनीतिक दलों का आरोप है कि हरियाणा के ‘ऑक्सीजन’ प्लांट जानबूझकर बंद किए गए थे या उनकी सप्लाई चेन को बाधित किया गया। दोनों प्रदेशों के बीच बचे घमासान के पीछे कई राज छिपे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में ज्यादा सवाल जवाब करने वाले एक अधिकारी को डांट फटकार भी लगी है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता कहते हैं, कोरोना संक्रमण के दौरान यह एक गंभीर मामला है। जब ऑक्सीजन की कमी से लोग मारे जा रहे हैं और तभी ऑक्सीजन प्लांट या सप्लाई में गड़बड़ी हो जाती है। सच्चाई बाहर आ सके, इसलिए मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

 378 की जगह सिर्फ 177 टन ऑक्सीजन 
बता दें कि तीन-चार दिन पहले हरियाणा से दिल्ली को होने वाली ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा पहुंची थी। हालांकि उसी दौरान हरियाणा सरकार ने कोरोना संक्रमण के केसों में वृद्धि होने की बात कह कर केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि प्रदेश का ऑक्सीजन आपूर्ति कोटा बढ़ा दिया जाए। दिल्ली सरकार का कहना था कि हरियाणा ने उसके कोटे की ऑक्सीजन सप्लाई जानबूझकर रोकी है।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली और देश के कई हिस्सों में अफरा-तफरी का माहौल है। इसकी वजह कई राज्यों द्वारा ऑक्सीजन पर नियंत्रण करने की कोशिश हो रही है। केंद्र द्वारा राज्यों का कोटा तय करने के बावजूद हरियाणा सरकार ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधक बन रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस की दादागिरी की वजह से बुधवार को 378 टन की जगह सिर्फ 177 टन ऑक्सीजन लोड हो सकी।

सूत्रों का कहना है कि हरियाणा के पानीपत और फरीदाबाद के ऑक्सीजन प्लांट खराब नहीं हुए थे। उनकी मरम्मत का शिड्यूल भी नहीं था। जब ऐसा कुछ नहीं था तो दिल्ली को पहुंचने वाली ऑक्सीजन सप्लाई कम कैसे हो गई। पानीपत के प्लांट में कार्यरत सूत्र बताते हैं, हाल के दिनों में कोई प्लांट बंद नहीं हुआ है। सभी प्लांट लगातार काम कर रहें है। हमारा काम प्लांट को चालू रखना है। यहां से टैंकर के जरिए ऑक्सीजन कहां जाती है, ये देखना हमारा काम नहीं है।

जांच की मांग आप सांसद और हरियाणा के प्रभारी सुशील गुप्ता कुछ ऐसा ही संदेह जता रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर प्लांट बंद नहीं हुए तो दिल्ली का निर्धारित कोटा कौन ले गया। इसका मतलब जानबूझकर सप्लाई रोकी गई है। फरीदाबाद में किस अधिकारी ने किसके इशारे पर ऑक्सीजन सप्लाई को बाधित करने का प्रयास किया है, ये जांच का विषय है। इस मामले की सौ फीसदी जांच होना जरूरी है। हैरानी की बात है कि प्लांट चल रहा है, मगर ऑक्सीजन बाहर नहीं जा रही है। जांच में यह भी देखा जाए कि प्लांट के उत्पादन रजिस्टर में इस सप्ताह कितनी ऑक्सीजन जनरेट हुई है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि रजिस्टर में कोई हेरफेर हुई हो। यानी उत्पादन दिखाया ही न गया हो। ये सारी संभावनाएं हैं, इनकी सच्चाई जांच के बाद ही पता चल सकती है। हमारी मांग है कि सभी ऑक्सीजन प्लांट सेना के हवाले कर दिए जाएं।

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बात होने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, पानीपत में 260 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। दिल्ली को 140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटित की गई है। हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन ने मीडिया में दिए अपने बयान में कहा था, दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई बंद नहीं की गई है। फरीदाबाद की डीसी गरिमा मित्तल ने भी दिल्ली सरकार के इन आरोपों का खंडन किया था कि फरीदाबाद के एक संयंत्र से दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी गई थी।

फरीदाबाद संयंत्र से 32 अस्पतालों को ऑक्सीजन आपूर्ति की जाती है। खास बात ये है कि इनमें से 25 अस्पताल दिल्ली में हैं। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा था कि ऑक्सीजन के एक टैंकर को दिल्ली सरकार द्वारा लूट लिया गया। हरियाणा ने अपने समस्त आक्सीजन गैस प्लांटों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। प्लांट से एक भी सिलिंडर ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट के अधिकारियों की जानकारी के बिना बाहर नहीं निकलेगा। सभी प्लांट्स पर पुलिस तैनात कर दी गई है।

ठीकरा सिस्टम पर और बचाव नरेन्द्र मोदी का ?
आप जब निकम्मेपन पर खीजें तो सरकार और सरकार के मुखिया को न तो कोसें और न ही नरेंद्र मोदी का नाम लें। शायद एक, हुक्म जारी हुआ है कि, नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री की जगह, वर्तमान आपदा प्रबंधन के लिए, सिस्टम का नाम लें और 2014 के बाद साकार साक्षात ईश्वर के रूप में गढ़े जा रहे, नरेंद मोदी की जगह निराकार सिस्टम को ही कोसें। 

आप मरें या बीमार पड़े, पर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, भारत की क्षवि पर उन चिताओं की आंच न आने दें, जो प्रोटोकॉल के अनुसार, लाइन में लग कर जलाई जा रही हैं। 

जबकि वास्तविकता यह है कि आज के इस बदहालात के लिये, केवल और केवल सरकार की प्राथमिकताएं, नीतियां, और कुसाशन ही जिम्मेदार है। सरकार जिम्मेदार है। सरकार के मुखिया के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं। वे ही सिस्टम के प्रमुख हैं।

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