कैम्पस में 42 कमरें लगभग बनकर तैयार, जल्द होगा उद्घाटनहॉस्टल की लागत 5 करोड़ 20 लाख 83 हजारसरकारी व निजी संस्थाओं में काम करने वाली महिलाओं को मिलेगा हॉस्टल पंचकूला। शहर के सैक्टर 27 में जल्द ही कामकाजी महिलाओं को रहने के लिए हॉस्टल मिलेगा। वुमन वर्किंग हॉस्टल का प्रोजेक्ट लगभग बनकर तैयार है। सरकारी व निजी संस्थाओं में सेवारत नौकरी पेशा महिलाओं को जल्द ही सुरक्षित आवास मिलेगा। 5 करोड़ 20 लाख 83 हजार रूपए की लागत से वर्किंग वुमन हॉस्टल का निर्माण प्रगति पर चल रहा है। प्रौजेक्ट का कार्य देख रहे इंजीनियर विनोद जैन ने बताया कि यह बिल्डिंग ट्राईसिटी की पहली बिल्डिंग है जो लाइट गेज स्टील फ्रेमवर्कसिस्टम के साथ सिमेंट फाइबर बोर्ड तहत यह बिल्ड़िग बनाई जा रही है। यह बिल्डिंग साउंड पू्रफ, फायर प्रूफ है। आग लगने पर जल्दी आग नही पकड़ती है। सर्दी, गर्मी व भूकम्प को कोई असर नही पड़ता है। हॉस्टल की बिल्ंिडग में 42 कमरे है। हर कमरे के साथ एक किचन, बाथरूम, कप बोर्ड व कामन बरामदा दिया गया है। महिला छात्रावास में महिलाओं की सुरक्षा के साथ सोलर लाईट व पेयजल की पूरी व्यवस्था है। इसके अलावा वार्डन कार्यालय, विजिटर रूम, गेस्ट रूम, केयर टेकर रूम, डायनिंग हाल, किचन बनेगा। इसके अलावा रीडिंग रूम व एरोबिक्स हाल का निर्माण होगा। जमीन नगर निगम पंचकूला की, पैसा केन्द्र सरकार काहॉस्टल नगर निगम पंचकूला की देखरेख में भारत सरकार की एक एजैंसी द्वारा बनाया जा रहा है। हॉस्टल के लिए जमीन नगर निगम पंचकूला ने दी है। इसके प्लाट का कुल एरिया करीब 3571.81 स्केयर मीटर है। यह चार मंजिला इमारत होगी। भूतल पर 1467.77 वर्ग मीटर निर्माण होगा। प्लाट डीएचपी एरिया 1412.36 स्केयर मीटर है। कारपेट एरिया 21.86 स्केयर मीटर, टोटल निर्माण एरिया 31.51 स्केयर मीटर, कुल कवर्ड एरिया 2015.95 स्केयर मीटर है। यह योजना भारत सरकार द्वारा वर्किंग वुमेन के लिए है। योजना का मकसद घर से दूर रहने वाली कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और सस्ता आवास उपलब्ध कराना है। बहुत सी महिलाएं रोजगार की तलाश में अपने घर छोड़कर बड़े शहरों और शहरी और ग्रामीण औद्योगिक समूहों की तरफ रुख करती है। उन्हें सुरक्षित आशियाना उपलब्ध कराना योजना का उद्देश्य है। यह महिलाएं योजना के लिए होगी पात्रगैर सरकारी, शिक्षा व सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत महिलाएं, जो सिंगल, विधवा, तलाकशुदा, विवाहिता हो। लेकिन जिनके पति या तत्काल परिवार उसी शहर में नही रहते हैं। समाज के वंचित वर्गों की महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जा सकती है। शारीरिक रूप से विकलांग लाभार्थियों के लिए सीटों के आरक्षण का भी प्रावधान है। महिलाएं जो नौकरी के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं, उनकी प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष से अधिक नही होनी चाहिए। किसी भी कामकाजी महिला को छात्रावास में तीन साल से अधिक रहने की अनुमति नही है। कामकाजी महिलाओं के बच्चों (लड़कियों को 18 वर्ष की आयु तक और लड़कों को 5 वर्ष की आयु तक) को अपनी मां के साथ समायोजित किया जा सकता है। वर्किंग वुमन हॉस्टल स्कीम योजनादो जून की रोटी और आगे बढ़ने के लिए एक बेटी, एक बहन अपना घर छोड़कर प्रदेश जाती है, तो उसके मन में सबसे अधिक चिंता रहने के लिए सुरक्षित आशियाना तलाशने की होती है। उसे हर समय यही डर सताता रहता है कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए। कामकाजी महिलाओं की इसी परेशानी को गंभीरता से समझते हुए सरकार की ओर से लंबे समय से एक योजना चल रही थी। योजना का नाम है वर्किंग वुमन हॉस्टल स्कीम योजना का मकसद महिलाओं को सुरक्षित और सस्ता आशियाना उपलब्ध कराना है, जिससे वह बिना किसी डर के रह सकें। पंचकूला होग ट्राईसिटी का अव्वल शहर: कुलभूषण गोयलनगर निगम के मेयर कुलभूषण गोयल ने बताया कि वुमन वर्किंग हॉस्टल को मई माह तक हर स्थिति में काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यह योजना भारत सरकार द्वारा वर्किंग वुमेन के लिए है। नगर निगम ने जमीन उपल्बध करवाई थी। योजना का मकसद घर से दूर रहने वाली कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और सस्ता आवास उपलब्ध कराना है। हॉस्टल का न्यूनतम किराया होगा। जो नगर निगम द्वारा लिया जाएगा। पंचकूला शहर का विकास करना है। आने वाले दिनो में जनता के सहयोग से पंचकूला को ट्राईसिटी का अव्वल शहर बनाना है। Post navigation पुलिस नें कोविड-19 की उल्लघना करनें वालो पर कसा शिकंजा राज्य सरकारों के साथ केन्द्र के तालमेल का अभाव: चंद्रमोहन