गुरुग्राम प्रशासन ने आमजन की सहूलियत के लिए एक और पोर्टल की व्यवस्था शुरू कर दी , बताया जा रहा है कि ईस पोर्टल पर हस्पतालों में बैडस, दवाओं, वेंटीलेटर्स से लेकर सभी जानकारियां और सम्बंद्धि टीम के कॉन्टेस्ट नंम्बर उपलब्ध हैं , कोई भी यहाँ से कोविड -19 काल में रखरखाव व्यवस्थाओं से जुड़ी कैसी भी जानकारीयाँ प्राप्त कर सकता है – अब सवाल यह उठता है कि इन नम्बरों को उठाया भी जाएगा या नहीं और इन पोर्टल की साइट खुल भी सकेगी या नहीं , कहीं पहले से शुरू की गई योजनाओं की तरह यह साइट भी फेल तो नहीं हो जाएगी और अगर वही हाल रहा तो क्या आमजन को राहत मिल पाएगी ?

सोचा जाए तो इन पोर्टल्स को खोलकर इन साइट्स पर जाकर इन्हें खंगालने में और जानकारियां जुटा पाने में कितने प्रतिशत लोगों को सक्षम समझते हैं प्रशासनिक अधिकारी और सरकार ?

सिर्फ और सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाने का खेल चल रहा है पोर्टलों के नाम पर और मौजूदा सरकार मौके पर मौजूदगी दिखाने की बजाय केवल डी,सी, साहब, निगम कमिश्नर, सीएमओ साहब से ही सम्पर्क साधकर – वर्चुअल मीटिंग्स के सहारे समीक्षा कर ले रही है और स्तिथियाँ सामान्य हैं व्यवस्थित हैं नियंत्रण में हैं बयान जारी कर बता रही है जब्कि धरातल पर परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत हैं , टेस्ट कराने वालों की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं , दवा लेने वालों की अलग से लाइने लगी है और वैक्सीन लगवाने वालों का तो नंम्बर ही नहीं लग पा रहा है क़ई क़ई घँटों के बावजूद !

लोगों को होस्पिटलाइज करने की बजाय होमकवारन्टीन को महत्व देने वाला प्रशासन सरकार को सच बता नहीं रहा है कि उसके पास लोगों को एडमिट करने के लिए पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं सामान्य बैडस की ही उपलब्धता बहुत कम यानी 200 है तथा आईसीयू बैडस कुल संख्या 51 हैं और वेंटीलेटर्स गिनती महज 16 हैं !

सीएमओ साहब दवाओं के स्टॉक के बारे में कुछ बता नहीं पा रहे हैं ऑक्सीजन का काम बस राम भरोसे चल रहा है , वेंटीलेटर्स की व्यवस्था कराने के लिए डीसी साहब से अभी पत्राचार चल रहा है कब तक व्यवस्थित हो पाएगी योजनाऐं कुछ कह नहीं सकते हैं मगर अपनी दही को कोंन खट्टा बताएगा सवाल तो यह है और शासन ने भी जब दूर बैठकर समीक्षा कर ली और कह दिया हो कि हमारे सभी इंतजाम पुख्ता हैं वो भी इन अधिकारियों की सुनने के बाद चंडीगढ़ में बैठकर – तो जनता को कोंन इलाज दिलाएगा ?

रही प्रशाशन द्वारा शुरू किए गए पोर्टल की बात तो उनपर दिए गए नंम्बर मिलते ही नहीं सुझाव मिलना तो दूर की बात है और जब पोर्टल खुलने में भी दिक्कतें आ रही हैं तो कोंन बताएगा यह बात शाशन को कि अब जनता के लिए आत्मनिर्भर बनने के इलावे कोई रास्ता ही नहीं बचा है ।

एक ओर कोविड-19 के मरीजों की संख्या दिनोदिन दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है, यही हाल कमोवेश मृतकों की संख्या का भी है , शमशानों में दाह संस्कार करने के लिए चिताएं तक उपलब्ध नहीं हो रही हैं , लाहशों के ऊपर लाहशें को रखकर क्रियाकर्म किए जा रहे हैं , कोंन किसी के बाप को फूंककर जा रहा है तो कोंन किसी की बहन को फूंककर जा रहा है मालूम नहीं , चारों तरफ हाहाकार सा फैला है चीत्कार मचा है हंगामा सा बरपा है मगर असंवेदनशील सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मानकर अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त दिख रही है अपने इन्हीं अयोग्य अधिकारियों के दम पर !

दूसरी ओर सरकार द्वारा एक और नालायकी भरा निर्णय लिया गया है कि शाम 6 बैजे के बाद बाजार बंद रखे जाएंगे , यह निर्णय उसने शोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लिया है , इधर गुरुग्राम प्रशासन भी जहां अतिक्रमण है भीड़ है वहीं संक्रमण होने-बढ़ने की वजह मानते हुए निर्देशों को सही करार दे रहे हैं , चलो मान भी लिया जाए तो क्या इनको यह ज्ञात नहीं या ख्याल नहीं आया कि शाम पांच बजे तक नोकरियां करने वाले नोकरिपेशा लोगों को रसोई की ज़रूरतों का भी समान ले जाना होता है , वह छ बजे तक ही बाजार खुलने के नियमों के कारण बाजार का रुख करेंगें , तब जो 5 से 6 बजे के बीच भीड़ उमड़ेगी उससे क्या शोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां नहीं उड़ेंगीं ?

23 घंटे की सुरक्षित दूरी रखने के बावजूद उस एक घँटे की समयावधि में क्या भीड़ बेक़ाबू नहीं होगी और क्या फिर वही भीड़ संक्रमण नहीं फैलाएगी ?

तरविंदर सैनी (माईकल) समाजसेवी गुरुग्राम का मानना है कि बाजारों को खोलने की अधिक से अधिक समय तक छूट दी जानी चाहिए ताकि लोग आराम से खुले में शोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए समान खरीद कर जा सकें अफरा-तफरी का माहौल बनाए बगैर , खुद को भी और दुकानदारों को भी तथा समाज को भी सुरक्षित रख पाएंगे – शाशन प्रशासन की चिंताएं भी कम होंगीं और वह ठीक से व्यवस्थाओं को स्थापित कर कोरोना संक्रमितों की तीमारदारी में लग सकेंगें उनकी जान बचा पाने में सफल होंगें !

सरकार को सुझाव है कि उसे गैर जरूरी निर्णयों को वापिस ले लेना चाहिए और पोर्टल – वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग को छोड़कर धरातल पर उतर जनता की सुध लेनी चाहिए यथाशीघ्र ।

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