कंवरपाल ने दावा किया किसान आंदोलन का कहीं नहीं कोई असर.
गुरनाम सिंह चुढ़ैनी और राकेश टिकैत को लिया आड़े हाथ.
किसान आंदोलन के नाम पर केवल नासमझ लोगों की भीड़

फतह सिंह उजाला
पटोदी ।
 प्रदेश के शिक्षा मंत्री कवरपाल गुर्जर ने कहा कि ऐसे लोग जो राजनीति के मैदान में चुनाव के दौरान अपनी जमानत जप्त करवा चुके हैं , वही लोग आज किसानों के सबसे बड़े हमदर्द होने का दावा कर रहे हैं । उन्होंने तल्ख लहजे में कहा बताओ कहां है किसान आंदोलन ? किसान आंदोेलन के नाम पर इसकी आड़ में केवल और केवल नासमझ और बागलाये हुए लोगों की भीड़ ही है। यह बात शिक्षा मंत्री ने तब कहीं जब उनसे सवाल किया गया कि आज के माहौल में कोरोना या फिर किसान आंदोलन कौन अधिक सरकार और सत्ता पक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण है ? इस मौके पर एमएलए एडवोकेट एसपी जरावता और नाथूपुर के सरपंच साहबराम लीलू भी मौजूद थे।

इस सवाल को सुनते ही उनकी पहली प्रतिक्रिया थी की कोरोना कोविड-19 और किसान आंदोलन का क्या मेल ? जब कहा गया कि कोरोना कॉविड 19 की तो वैक्सीन बनाकर डोज देनी शुरू कर दी गई है, तो फिर किसान आंदोलन की इसी प्रकार से कोई राहत वाली डोज अथवा बात अभी तक सामने क्यों नहीं आ सकी है ? उन्होंने किसान नेता गुरनाम सिंह चुढ़ैनी और राकेश राकेश टिकैत पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा की अपनी राजनीति चमकाने के लिए राजनीति के मैदान में पूरी तरह से नकारे जा चुके यही लोग आज किसानों के सबसे बड़े हमदर्द होने का दावा कर रहे हैं । वही उन्होंने यह भी दावा किया कि 3 वर्ष के बच्चे का बौद्धिक विकास हो जाता है , इसीलिए प्रदेश में 1000 से अधिक प्ले स्कूल भी खोले जा रहे हैं। इस जवाब को देते हुए शिक्षा मंत्री शायदं भूल गए कि करीब करीब इतने ही सकूल बंद करने के फरमान भी जारी कर दिए जा चुके हैं। इसके साथ ीर उन्होंने कहा कि अजय चैटाला जैसे नेता ही लोगों को भड़काने का काम कर रहें है। बीजेपी एमएलए प्रकरण को केंद्र में रख उन्होंने कहा कि, ऐसा काम अजय स्वयं या अपने ही बेटे से क्यों नहीं कराने की बात बोल रहे ? उन्होंने दावा किया कि बंगाल सहित असम में बीजेपी की ही सरकार बनना तय है।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि सरकार की मंशा 2025 तक नई शिक्षा नीति लागू करने की है। नई शिक्षा नीति में नैतिक मूल्यों व महापुरुषों को भी स्थान दिया जाएगा। उन्होंने कहा तीन साल के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया जाएगा व बच्चों को उनकी मातृ भाषा में शिक्षा दी जाएगी। सरकार ने इसके लिए 1057 स्कूल खोले हैं। कंवरपाल के साथ मौजूद परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा ने बताया कि कोरोना के कारण कुछ बसें बंद करनी पड़ी थीं। अब उन्हें जल्दी चलाया जाएगा। कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर कहा कि आंदोलन किसानों के हित में न होकर किसानों के विरोध में है। इसे वह लोग चला रहे हैं जिनके इससे निजी हित जुड़े हुए हैं। ऐसे लोग जनता को बरगला रहे हैं व कह रहे हैं कि इससे किसानों की जमीन चली जाएगी। आंदोलनकारी बताएं कि कैसे जमीन चली जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने तो किसानों को फसल बेचने का एक और मार्ग दिया है। वे चाहे तो फसल मंडी में बेचें व चाहे तो बाहर बेचें।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि पहले उपज कम होती थी परंतु अब जरूरत से भी ज्यादा पैदावार हो रही है। ऐसे में सरकार ने निजी क्षेत्र को भंडारण की छूट दी है परंतु साथ ही यह नियम भी बनाया है कि गेहूं आदि के दाम डेढ़ गुना बढ़ने की स्थिति में वे भंडारण नहीं कर पाएंगे। इसी प्रकार आलू प्याज की कीमतों में दोगुना वृद्धि होने पर भी उन्हें उपज का भंडारण करने का अधिकार नहीं होगा। किसान नेता राकेश टिकैत पर भी निशाना साधते कहा कि जो लोग चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाए वे ही लोग संसद द्वारा पारित कानूनों को चुनौती देते आ रहे हैं।

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