भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । गत रात्री तीन अप्रैल को गोमला में आयोजित आशुकाव्य-प्रतियोगिता में नौ प्रतिभागी कवियों में से जयपुर के पावटा से आए आशुकवि राधेश्याम पावटा ने आशुकवि-केसरी प्रथम पुरस्कार पाकर प्रतियोगिता जीती । राजस्थान के ही पाटण के आशुकवि दुलीचन्द दूसरे नम्बर पर रहे  ।लगातार आठ घण्टे चले इस कार्यक्रम का स्थानीय विधायक सीताराम यादव ने नौ बजे सरस्वती के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया । पौन घण्टा कार्यक्रम में रहे विधायक ने अपने सम्बोधन में कहा कि लुप्त होती आशुकाव्य-विधा को प्रोत्साहित और आगे बढ़ाने के लिए गोमला के ग्रामीणोँ ने इस प्रतियोगिता का आयोजन कर नई अच्छी परम्परा की  शुरुआत की है । इससे ना केवल यह विधा जिन्दा रहेगी बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का काम करेगी  ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी अरुण यादव ने कहा कि आशुकाव्य प्रतिभा परमात्मा प्रदत अद्भुत भेंट है जो दुर्लभ है | प्रतिभागी के रूप में इससे सम्बन्धित प्रतियोगिता में हिस्सा लेना सबके बसकी बात नही  । और और इसे समझना ही आम आदमी की समझ से बाहर है ।

कार्यक्रम का सफ़ल आयोजन और मंच संचालन सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम गोमला ने किया ।मैचोँ की भान्ति हुई उस प्रतियोगिता में चार चरणोँ का दौर चला , जिनमें आयोजकों द्वारा दिए विषयोँ को आधारित मान कविताएँ बनाई  ।

इस प्रतियोगिता में परमानंद झगडोली, बालमुकुन्द जाखौद, राधेश्याम पावटा, दुलीचन्द पाटण, सन्तलाल, सीताराम जयसिंहपुरा, सतनाम जयपुर, बिहारीलाल भाबरू व इन्द्रलाल आदि नौ आशुकवियों ने हिस्सा लिया  । उक्त नौ आशुकवियोँ की छँटनी अंकों के आधार पर हुई  । दो चरण के बाद उन नौ में से चार की छँटनी हुई । पश्चात उनमें से राधेश्याम पावटा व पाटण के आशुकवि दुलीचन्द फ़ाईनल के लिए छँटे । काफ़ी रस्साकसी के बाद राधेश्याम पावटा ने बाजी मारी ।

प्रथम आए राधेश्याम पावटा को दुलीचन्द पाटण ने खूब नाकों चने चबवाए । आखिर अंकों के आधार पर राधेश्याम पावटा विजयी हुए । इस अवसर पर सैँकड़ो काव्य और सन्गीत प्रेमियोँ ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया  ।

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