एचएमटी पिंजोर के बैंक खाते सील? : विजय बंसल

— ईपीएफ के 11 करोड़ जमा न करवाने पर 1 महीने से सील पड़े है खाते. — एचएमटी के जमीन पर मिले 243 करोड़ की राशि बेंगलोर मुख्यालय ने लिए, लेकिन कर्मियों का बकाया नही दिया

पिंजौर-चन्दरकान्त शर्मा

एचएमटी पिंजौर यूनिट के बैंक खाते सील हो चुके है जिस कारण न तो कर्मचारियों को बकाया वेतन दिया जा रहा है और न ही ठेकेदारों की पेमेंट्स क्लियर हो पा रही है। आलम यह है कि कर्मचारियों में अपने वेतन व अन्य राशि के लिए संशय बना हुआ है तो ठेकेदारों को भी अपने पेमेंट्स क्लियर होने पर संशय बना हुआ है। एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक व राज्य सरकार में चेयरमेन रह चुके विजय बंसल एडवोकेट का कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार व एचएमटी मुख्यालय की उत्तर भारत से निरन्तर दोहरी-भेदभावपूर्ण रवैए के कारण ही एचएमटी पिंजोर यूनिट की आर्थिक हालत खस्ता हुई है। दरअसल, कर्मचारियों के ईपीएफ में एचएमटी यूनिट पिंजोर को पैसे जमाने करने होते है,अब ईपीएफ(कर्मचारी प्रोविडेंट फंड) के लगभग 11 करोड़ जमा न करवाने के कारण करीब 1 महीने से एचएमटी पिंजोर के बैंक खाते सील पड़े है। विजय बंसल ने कहा कि बैंक खाते सील होने के कारण हालात हो चुके है कि सितंबर 2019 के बाद से एचएमटी मशीन टूल्स पिंजोर से रिटायर हुए समेत अन्य कर्मियों का बकाया नही दिया गया, केज्यूल समेत अन्य कर्मियों को वेतन नही मिला तो वही ठेकेदारों की भी पेमेंट्स बकाया है।

गौरतलब है कि एचएमटी मुख्यालय बेंगलोर ने अब तक हरियाणा सरकार के एचएसआइआइडीसी से जमीन के बदले कुल 248 करोड़ में से 243 करोड़ रुपए प्राप्त कर लिए है जबकि इन 243 करोड़ में से धरातल पर एचएमटी पिंजोर फेक्ट्री यूनिट के विकास व कर्मचारियों का बकाया देने समेत उनके हित मे एक रुपया भी नही लगाया। हालांकि इन पैसो से फेक्ट्री को रिवाइव करने समेत कर्मचारियों के हित मे लगाया जा सकता था।

विजय बंसल ने कहा कि एचएमटी प्रशासन को इस्टेट ऑफिस से लगभग 3 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कमाई होती है जबकि कालोनी की हालत खस्ता है और सभी सुविधाओं का अभाव है जबकि एचएमटी पिंजौर यूनिट फेक्ट्री में भी ट्रेक्टर प्लांट के लिए निर्मित 15 करोड़ के स्पेयर पार्ट्स खराब हो रहे है। हर जगह अनदेखी कर वित्तीय नुकसान किया जा रहा है जिससे फेक्ट्री को ही नुकसान हो रहा है। इस्टेट ऑफिस की प्रतिवर्ष कमाई भी मुख्यालय में जा रही है और धरातल पर कुछ खर्च नही किया जा रहा।

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