मुख्यमंत्री ने भी 6 अक्तूबर की मीटिंग में बर्खास्त पीटीआई को नौकरी पर बहाली का आश्वासन दिया था, लेकिन प्रदेश के मुखिया ही जनता के साथ वायदा खिलाफी कर राजनीति खेलने में लगे हुए हैं

भिवानी/मुकेश वत्स

 पिछले 283 दिनों से अपनी बहाली की मांग को लेकर धरने पर बैठे बर्खास्त शारीरिक शिक्षकों को अब सिर्फ हाईकोर्ट से ही न्याय की उम्मीद हैं। क्योंकि लगभग एक साल से रोजगार की मांग कर रहे बर्खास्त व निर्दोष शारीरिक शिक्षकों की प्रदेश सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही, जिसकेे चलते बर्खास्त पीटीआई में खासा रोष व्याप्त है।

यह बात हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के जिला प्रधान दिलबाग जांगड़ा ने लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे बर्खास्त पीटीआई को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लगभग एक साल से धरने पर बैठे बर्खास्त पीटीआई की प्रदेश सरकार द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही, जिसके बाद अब उन्हे सिर्फ हाईकोर्ट से ही न्याय की उम्मीद हैं। उन्होंने कहा कि उन्हे उम्मीद है कि देश की न्यायिक व्यवस्था उनके साथ जरूर इंसाफ करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा तानाशाही रवैया दिखाते हुए एक के बाद एक केस बर्खास्त पीटीआई के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर किए जा रहे है, लेकिन सरकार चाहे तो सभी का समाधान करके पीटीआई को नौकरी पर बहाल कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी 6 अक्तूबर की मीटिंग में बर्खास्त पीटीआई को नौकरी पर बहाली का आश्वासन दिया था, लेकिन प्रदेश के मुखिया ही जनता के साथ वायदा खिलाफी कर राजनीति खेलने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री से भी कई बार मीटिंग हो चुकी है और उन्होंने आश्वासन भी दिया था लेकिन उनके आश्वासन में भी कोई दम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक बर्खास्त पीटीआई को बहाल नहीं किया जाएगा, उनका धरना यू ही जारी रहेगा।

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