बेरोजगारी, अपराध, महंगाई और विकास समेत हर मोर्चे पर नकारा साबित हुई सरकार- हुड्डा
सरकारी महकमों में खाली पड़े एक लाख से ज्यादा पद, सरकार नहीं कर रही भर्ती- हुड्डा
जेबीटी, पीजीटी संस्कृत, टीजीटी इंग्लिश की भर्ती ना करके सरकार ने युवाओं के जले पर छिड़का नमक- हुड्डा
हमारी सरकार में निकली जेबीटी की 20 हजार से ज्यादा भर्ती, बीजेपी सरकार में एक भी नहीं- हुड्डा

22 मार्च, रोहतकः प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार बेरोजगारी, अपराध, महंगाई, आर्थिक मंदी और विकास समेत हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। रोहतक में आज पत्रकारों से बातचीत करने हुए उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से हरियाणा का युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर झेल रहा है। नई भर्तियां करने की बजाए सरकार द्वारा पीजीटी संस्कृत, टीजीटी इंग्लिश समेत एक के बाद एक भर्तियों को रद्द किया जा रहा है। इसी बीच सरकार ने भविष्य में जेबीटी भर्ती नहीं करने का ऐलान करके बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है।

हुड्डा ने बताया कि उनकी सरकार के दौरान 20 हजार से ज्यादा जेबीटी की भर्ती निकली थीं। लेकिन बीजेपी सरकार के 6 साल में एक भी जेबीटी की भर्ती नहीं निकाली गई। क्योंकि इस सरकार का लक्ष्य सरकारी नौकरियां पैदा करना नहीं बल्कि नौकरियां खत्म करना है। ये सरकार लगातार स्कूलों को बंद और नौकरियों को खत्म करने में लगी है। सरकार ने एक ही झटके में 1057 स्कूलों को बंद करने का ऐलान कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए 9 किसान मॉडल स्कूलों को भी इस सरकार ने बंद कर दिया। प्रदेश में 40 हजार अध्यापकों की पोस्ट खाली पड़ी हैं। बावजूद इसके सरकार टीचर्स की भर्ती नहीं कर रही है। अलग-अलग सरकारी महकमों में करीब 1 लाख पद खाली पड़े हैं। लेकिन सरकार भर्तियां करने को तैयार नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मौजूदा सरकार की नीतियों की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। सरकार को कर्ज लेकर खर्चे चलाने पड़ रहे हैं। गठबंधन सरकार चार्वाक की ‘कर्जा लो, घी पियो’ की नीति पर काम कर रही है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति ऐसी हो गई है कि बजट का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज व ब्याज भुगतान और पेंशन, वेतन व भत्तों के भुगतान में खर्च हो जाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास कोई बजट नहीं है।

हुड्डा ने कहा कि कुछ दिल पहले पेश हुए बजट से भी हर वर्ग को निराशा ही हाथ लगी। क्योंकि लॉकडाउन के बाद डीजल 28 प्रतिशत और राशन 43 प्रतिशत महंगा हो गया। लोगों को उम्मीद थी कि उन्हें इस बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए बजट में कोई ऐलान किया जाएगा। लेकिन बजट में ना किसान व मजदूरों के लिए कोई योजना थी और ना ही कर्मचारी व व्यापारी के लिए कोई राहत का ऐलान।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बजट सत्र के दौरान जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते कांग्रेस ने हर वर्ग की आवाज उठाने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष की जायज मांगों को भी सरकार ने मानने से इंकार कर दिया। मूल हरियाणवियों के अधिकारों पर कुठाराघात करने वाले रिहायशी प्रमाण पत्र के नए नियमों को सरकार ने बदलने से इंकार कर दिया। कांग्रेस की मांग है कि प्रमाण पत्र के लिए 15 साल की शर्त को कायम रखा जाए, जिसे कम करके सरकार ने 5 साल कर दिया है। कांग्रेस से गठबंधन सरकार को 5100 रुपये पेंशन का वादा पूरा करने की भी मांग की। लेकिन बीजेपी-जेजेपी ने खुद के किए गए वादे से भी मुकरने का काम किया।

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